प्रिय साथियों!
सादर अभिवादन।
दिनांक 29 अप्रेल2019 को लोकतंत्र का महापर्व है। आपसे अपील है कि इस दिन मतदान अवश्य ही करें साथ ही आपके पडोसियों,परिजनों,परिचितों,परिवारवालों व सगा- संबंधियो को भी मतदान हेतु प्रेरित करें।पांच वर्ष पश्चात आने वाले इस मताधिकार का प्रयोग विवेक के साथ,सोच समझकर करें ताकि किसी गलत आदमी का चयन रोका जा सके।
आज जिस तरह भाई-भतीजावाद व जातिवाद के नाम पर समाज की सामूहिकता के भाव व समरसता को चोट पहुंचाई जा रही है, उससे लोकतांत्रिक व्यवस्था को चोट पहुंचने की संभावनाएं बढ़ती जा रही है।
आज आम आदमी के समक्ष यह यक्ष प्रश्न खड़ा दिखाई देता है कि ऐसे में किसको अपना प्रतिनिधि चुने?
मैंने आपकी इसी शंका व संशय के समाधान हेतु कतिपय दोहे लिखे हैं ।जो शायद आपका कुछ मार्ग प्रसस्त कर सकें। सादर अवलोकनार्थ पेश है--
बेशकीमती बोट
दिल मे चिंता देश री,
मन मे हिंद मठोठ।
भारत री सोचे भली, बिणनै दीजो बोट।।
कुटल़ाई जी में करे,
खल़ जिणरै दिल खोट।
नह दीजो बी निलज नै,
बहुत कीमती बोट।।
कुटल़ा कपटी कूडछा,
ठाला अनपढ ठोठ।
घर भरवाल़ा क्रतघणी,
भूल न दीजो बोट।।
बुध हीणा,गत बायरा,
पाप कमाणा पोट।
विस कटूता री विसतरै,
कदैन दैणा बोट।।
दशा बिगाडै दैश री,
कर हिंसा विस्फोट।
मोहन कहै दीजो मति,
बां मिनखां नै बोट।।
आयां घर आदर करै, सहविध करै सपोट।
मोहन कहै बि मिनख नै,
बेसक दीजो बोट।।
जात -पांत नह जोवणी,
नह बिकणो ले नोट।
भासा रै खातिर भिड़ै,
बिणनै दैणां बोट।।
सर्वधर्म सदभावना, सबजन लेय परोट।
हिल़मिल़ चालै हेत सू,
बी ने दीजो बोट।।
करड़ाई अड़चन करै,
सागै रखणो सोट।
निरभय,निडर,निसंक व्है,
बे हिचक दो बोट।।
पांच बरस बित्यां पछै, आयो परब अबोट।
चित उजवल़ नह चूकणो,
बढ चढ दीजो बोट।।
इण अवसर दारू अमल,
हिलणो नीं धर होठ।
जगां जगां नी जीमणो,
देख चीकणां रोट।।
प्रात काल न्हायां पछै,
हरि सुमरण कर होठ।
देणो बटण दबाय कर,
अवस आंपणो बोट।।
कल़ै कराणा कुटंब में,
कूड़ तणा रच कोट।
दुसटां नै नह देवणो,
बिलकुल अपणो बोट।।
अतंस तणी अवाज सुण,
सुध हृदय मन मोट।
विध विध सोच विचार ने,
बेसक दीजो बोट।।
रचियता
मोहन सिह रतनू,से.नि
आर.पी.एस ,जोधपुर