बुधवार, 25 अप्रैल 2018

मारवाड़ रै सिरदार

एक मारवाड़ रै सिरदार रै एक थल़ियै सूं बेलिपा!!
एक दिन थल़ियै सोचियो कै हालो सिरदारां सूं मिल आवां,घणा दिन होया है!!
बो आपरै ऊंठ माथै दो च्यार दिनां सूं उणां रै गांम पूगियो!!
उणांनै सिरदारां री कोई घणी रीतां-पातां तो आवती कोनी,उण एक दो हेलो कियो पण किणी सुणियो नीं
बो सीधो ई धमै-धमै आंगणै आगे बुवो ग्यो,आगे देखै तो उणरी आंख्यां फाटगी!!
थल़ी कानी आयां बडाई रा भाखर चिणणिया ठाकर आपरै घरै घट्टी में बाजरी पीसै !!
सिरदारां रो ध्यान ढालड़ियै अर उणमें पड़ी बाजरी कानी हो !!कै हमें कितरीक बची है!! उणां गाल़ो ऊरतां- ऊरतां एक फाको भरियो अर अचाणचक उणां री मीट आपरै थल़ियै मित्र माथै पड़ी जिको थलकण माथै ऊभो उणांनै ई देखै हो!!
बारै घणी धसल़ां बावणी अर घरै घट्टी सूं माथो लगावतै नै मित्र देख लियो!! आ केड़ीक होई!!
जणै सिरदार  थोड़़ा लचकाणा पड़ग्या!!
उणांनै लचकाणा पड़तां नै देखर थल़ियै सोचियो कै मोटा मिनख है!!अर रावल़सां रो हाथ बंटावण री अठै आ कोई रीत होसी!!
मित्र कह्यो -
"अरे!बडै  मिनखां थे तो मरद हो!!जको फाको तो लियो !!
म्हारै तो बडभागण आटो पीसूं जितरै माथै ऊभी रैवै!!गाबड़ नीं फोरण दे!!"
आ सुणर उणांरै मूंडै माथै चेल़को आयो अर बोलिया-
"इतरी पोल अठै नीं है इयां म्हारै पग में जूत आवै भाई!!
गि.रतनू

रविवार, 22 अप्रैल 2018

रिझाव......

रजवट रीझे राजवी,कर रीझे करतार।
मन मनवारां रीझणों, बाकी सब बेकार।।

प्रेम रिझाव पावणा,मन मुळके मनवार।
आदर रीझे आत्मा,सत रीझे सत्कार।।

पीव रिझाव प्रीतड़ी,मात रिझाव मान।
भायां रीझण बातड़ी,वक्त पड्यां सब जाण।।

बापू रीझे बाग सूं, भैनड़ रीझे भात।
साथी रीझे साथ सूं, नव होज्या प्रभात।।

भावां रिझे भायला, टीस करे तकरार।
मान रिझाव मानवी,जोड़े मन रा तार।