रजवट रीझे राजवी,कर रीझे करतार।
मन मनवारां रीझणों, बाकी सब बेकार।।
प्रेम रिझाव पावणा,मन मुळके मनवार।
आदर रीझे आत्मा,सत रीझे सत्कार।।
पीव रिझाव प्रीतड़ी,मात रिझाव मान।
भायां रीझण बातड़ी,वक्त पड्यां सब जाण।।
बापू रीझे बाग सूं, भैनड़ रीझे भात।
साथी रीझे साथ सूं, नव होज्या प्रभात।।
भावां रिझे भायला, टीस करे तकरार।
मान रिझाव मानवी,जोड़े मन रा तार।
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