गुरुवार, 29 जून 2017

छंद: नाराच|

साहित्य जगत में छंद नाराच का महत्पूर्ण स्थान व  विशेष प्रभाव होता है इसी छंद की  संस्कृत भाषा में संगीतमय प्रस्तुति तथा  डिंगल साहित्यिक राजस्थानी की एक बानगी देखिये

                 *||छंद: नाराच||*

विडारणीय दैत वंश सेवगाँ सुधारणी।
निवासणी विघन अनेक त्रणां भुवन्न तारणी।
उतारणी अघोर कुंड अर्गला मां अर्गला।
करंत देवि हिंगळा कल्याण मात मंगळा॥1॥

रमे विलास मंगळा जरोळ डोळ रम्मिया।
सजे सहास औ प्रहास आप रुप उम्मिया।
होवंत हास वेद भाष्य वार वार विम्मळ।
करंत देवि हिंगळा कल्याण मात मंगळा॥2॥

रणां झणां छणां छणां विलोक चंड वाजणां।
असंभ देवि आगळी पडंत पाय पेखणां।
प्रचंड मुक्ख प्रामणा तणां विलंत त्रावळां।
करंत देवि हिंगळा कल्याण मात मंगळा॥3॥

रमां झमां छमां छमां गमे गमे खमा खमा।
वाजींत्र पे रमत्तीये डगं मगं तवेश मां।
डमां डमां डमक्क डाक वागि वीर प्रघ्घळा।
करंत देवि हिंगळा कल्याण मात मंगळा॥4॥

सोहे सिंगार सब्ब सार कंठमाळ कोमळा।
झळां हळां झळां हळां करंत कान कुंडळा।
सोळां कळा संपूर्ण भाल है मयंक निरमळा।
करंत देवि हिंगळा कल्याण मात मंगळा॥5

छपन्न क्रोड शामळा करंत रुप कंठळा।
प्रथी प्रमाण प्रघ्घळा ढळंत नीर धम्मळा॥
वळे विलास वीजळा झमां झऴो मधंझळा।
करंत देवि हिंगळा कल्याण मात मंगळा॥6॥

नागेशरां जोगेशरां मनंखरा रिखेशरां।
दिनंकरां धरंतरां दशे दिशा दिगंतरां।
जपै “जीवो” कहे है मात अर्गला मां अर्गला।
करंत देवि हिंगळा कल्याण मात मंगळा॥7॥

रचियता :- कविराज बचुभाई रोहड़िया ,गुजरात

बुधवार, 28 जून 2017

प्रभु सिंह राठौड़ रा मरसिया

अमर शहीद वीरवर प्रभु सिंह राठौड़ खिरजा के समाधि स्थल पर मूर्ति अनावरण समारोह की पूर्व संध्या दिनांक 25 जून 2017 को उनके पैतृक गांव में समाधि स्थल के पास एक विराट कवि सम्मेलन का आयोजन हुआ....
इस आयोजन में राजस्थान भर के डिंगल और वीर रस के ख्यातनाम कवियों ने वीरवर को अपनी काव्यांजलि पेश की ....जिसमें कवि वर श्रीमान नवल जी जोशी श्री डूंगर दान जी आसिया कवि मधुकर कवि मोहन सिंह जी रतनू कवि गिरधर दान रतनू कवि हिम्मत सिंह उज्जवल भारोड़ी मीर मीठा डाभाल वीरेंद्र सिंह जी लखावत सुरेश दान लक्ष्मण सिंह राठौड़ शंभू दानकजोई महेंद्र सिंह जी छायन कवि कान सिंह जी भाटी गड़ा रवि दर्शन सांदू , राजेंद्र झणकली हिंगलाज दान ओगाला सहित 25 से अधिक सुविख्यात कवियों ने रात्रि 3:00 बजे तक अपनी काव्य धारा से वीरवर को श्रद्धांजलि और भाव सुमन अर्पित किए ..

इस अवसर पर महा कवियों के इस महासंगम में मुझे भी अपनी कविता पाठ के द्वारा शब्द सुमन अर्पित करने का शुभ अवसर प्राप्त हुआ उसका वीडियो आपके लिए प्रस्तुत है

जुग जुग सूं रूडी ऐ रीतां , अब सैल अणी चढणों वाजिब
जस री जूणां जीवण खातर,  बार-बार मरणों  वाजिब

इतिहासां रा उजऴा आखर,  बोल रह्या साम्ही छाती
माथो दे 'र राखी मरजादा  कद देखी रजवट जाती
माटी रो मोल़ चुकाबा खातिर अरपण शीश करणो वाजिब.
जस री ......................

कुळ कीरत रा कांण कायदा , गोगो गुटकी लीनी ही
पुरखां रो पत पोखण सारूं,  परभू पालणां कीनी ही
खत्रवट री कर खेवना , अरियां सूं अडणों वाजिब
जस री ................

हिमाळो जद करी हुंकारा , कासमीर कुरळायो हो 
परभू डूंगर डिगा दिया , वो क्षत्राणी रो जायो हो
औसर जद ओ आय गयो , भूमि भार हरणों वाजिब
जस री ..........

परभू तो पण कौपियो , दुसमी आतां देख
मर कर भी धर दूं नहीं , अब तो आँगळ ऐक
धवल हिमाळै री धरती में,  रंग रगत भरणों वाजिब
जस री...................

रग-रग में रमी रणचंडी , काया में कंकाळी ही माछल में पाछल नहीं राखी,  राँघड़़ रसा रूखाळी ही
निवत जिमावां जोगणिया जद , खून-खप्पर भरणों वाजिब
जस री ............

गरजी तोपां घोर रव , गोऴां री घमरोळ
रणचण्डी राजी हुई ,करतब किया किलोळ
रणक उठे जद रणभेरी तो , सूर समर करणो वाजिब
जस री .................

रज रज कटियो राजवी , साँचो वीर सपूत
दागळ व्ही दुनियांण में , कायर री करतूत
क्षात्र धरम अर देशहित , मौत वरण करणों वाजिब
जस री ...............

सुरगांपत सुणजौ सकल , साँची करजौ सेव
पग पूजौ परभू तणां ,ओ देव देव महादेव
प्रणवीर परभेस ने निवण आज करणों वाजिब
जस री ....................

©© *रतन सिंह चाँपावत कृत*

शनिवार, 24 जून 2017

छोरी आळा लड़को देखण न गया।

छोरी आळा लड़को देखण न गया।
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लड़को देख्यो, लड़को एकदम दूबळो
पण सरकारी नौकरी लागेड़ो हो ।
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थोड़ी देर बात कर छोरी आळा बोल्या, जी म्हे थोडी देर म पाछा आवां हां।
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लड़का ळा सोच्यो कोई जाण पिछाण का होवे ला , मिलण न जाता होसीं।
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छोरी आळा बजार जा र पाछा आया
सागे एक घी को पीपो ल्याया।
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लड़क का बाप न देर बोल्या, लड़का न गूंद का लाडू जिमावो, तीन महीना पाछे बात करस्यां।
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लड़का को बाप बोल्यो  - जे तीन महीना पाछे भी ओ दूबळो ई रियो जणां ?
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छोरी आळा  बोल्या - -  तो कोई बात नहीं,
छोरी डूबण स तो पीपो डूबेड़ो चोखो।

रविवार, 18 जून 2017

फोड़ा घणा घाले

'फोड़ा घणा घाले'

घटिया पाड़ोस,
बात बात में जोश,
कु ठोड़ दुखणियो,
जबान सुं फुरणियो....फोड़ा घणा घाले।

थोथी हथाई,
पाप री कमाई,
उळझोड़ो सूत,
माथे चढ़ायोड़ो पूत....फोड़ा घणा घाले।

झूठी शान,
अधुरो ज्ञान,
घर मे कांश,
मिरच्यां री धांस.... फोड़ा घणा घाले।

बिगड़ोडो ऊंट,
भीज्योड़ो ठूंठ,
हिडकियो कुत्तो,
पग मे काठो जुत्तो.... फोड़ा घणा घाले।

दारू री लत,
टपकती छत,
उँधाले री रात,
बिना रुत री बरसात....फोड़ा घणा घाले।

कुलखणी लुगाई,
रुळपट जँवाई,
चरित्र माथे दाग,
चिणपणियो सुहाग....फोड़ा घणा घाले।

चेहरे पर दाद,
जीभ रो स्वाद,
दम री बीमारी,
दो नावाँ री सवारी....फोड़ा घणा घाले।

अणजाण्यो संबन्ध,
मुँह री दुर्गन्ध,
पुराणों जुकाम,
पैसा वाळा ने 'नाम'....फोड़ा घणा घाले।

ओछी सोच,
पग री मोच,
कोढ़ मे खाज,
मूरखां रो राज....फोड़ा घणा घाले।

कम पूंजी रो व्यापार,
घणी देयोड़ी उधार,
बिना विचार्यो काम .... फोड़ा घणा घाले !

शुक्रवार, 16 जून 2017

राजस्थान चालीसा

राजस्थान चालीसा
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उत्तर देख्यो दिख्खणं देख्यो देश दिसावर सारा देख्या, पणं
हीरा तो चमके है बालू रेत में।
मोतीडा भलके है म्हारा देस में।

रणबंका सिरदार अठै है।
मोटा साहूकार अठै है।
तीखोडी तलवार अठै है।
भालां री भणकार अठै है।
साफा छुणगादार अठै है।
नितरा तीज तिंवार अठै है।
बाजर मोठ जंवार अठै है।
मीठोडी मनवार अठै है।
अन धन रा भंडार अठै है।
दानी अर दातार अठै है।
कामणगारी नार अठै है।
मुंछ्यांला मोट्यार अठै है।
पो पाटी परभात अठै है।
तारां छाई रात अठै है।
अर,तेजो तो गावे है करसा खेत में।
हीरा तो चमके है---------------------।

झीणो जैसलमेर अठै है।
बांको बीकानेर अठै है।
जोधाणों जालोर अठे है ।
अलवर अर आमेर अठै है।
सिवाणों सांचोर अठै है।
जैपर सांगानेर अठै है।
रुडो रणथंबोर अठै है।
भरतपुर नागौर अठै है।
उदयापुर मेवाड अठै है।
मोटो गढ चित्तोड अठै है।
झुंझनूं सीकर शहर अठै है।
कोटा पाटणं फेर अठै है।
आबू अर अजमेर अठै है।
छोटा मोटा फेर अठै है।
अर,डूगरपुर सुहाणों वागड देस में।
हीरा तो चमके है--------------------।

पाणीं री पणिहार अठै है।
तीजां तणां तिंवार अठै है।
रुपलडी गणगौर अठै है।
सारस कुरजां मोर अठै है।
पायल री झणकार अठै है।
चुडलां री खणकार अठै है।
अलगोजां री तान अठै है।
घूंघट में मुसकान अठै है।
खमां घणीं रो मान अठै है।
मिनखां री पहचाण अठै है।
मिनखां में भगवान अठै है।
घर आया मेहमान अठै है।
मीठी बोली मान अठै है।
दया धरम अर दान अठै है।
अर मनडा तो रंगियोडा मीठा हेत में।
हीरा तो चमके है बालू रेत में।
मोतीडा भलके है म्हारा देस में।
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गौरी पुत्र गणेश अठै है।
मीरां बाई रो देश अठै है।
मोटो पुष्कर धाम अठै है।
सालासर हनुमान अठै है।
रूणीचे रा राम अठै है।
गलता तीरथ धाम अठै है।
महावीर भगवान अठै है।
खाटू वाला श्याम अठै है।
चारभुजा श्रीनाथ अठै है।
मेंहदीपुर हनुमान अठै है।
दधिमती री गोठ अठै है।
रणचंडी तन्नोट अठै है।
करणी मां रो नांव अठै है।
डिग्गीपुरी कल्याण अठै है।
गोगाजी रा थान अठै है।
सेवा भगती ग्यान अठै है।
अर कितरो तो बखाणूं मरुधर देस नें।
हीरा तो चमके है-------------------------।

जौहर रा सैनाणं अठै है।
गढ किला मैदान अठै है।
हरिया भरिया खेत अठै है।
मुखमल जेडी रेत अठै है।
मकराणा री खान अठै है।
मेहनतकश इंशान अठै है।
पगडी री पहचाणं अठै है।
ऊंटां सज्या पिलाणं अठै है।
चिरमी घूमर गैर अठै है।
मेला च्यारूंमेर अठै है।
सीधी सादी चाल अठै है।
गीतां में भी गाल अठै है।
सीमाडे री बाड अठै है।
बेरयां रा शमशाणं अठै है।
तिवाडी रो देश अठै है।
ऐडी धरती फेर कठै है ।
साची केवूं झूठ कठै है ।
समझौ तो बैंकूठ अठै है।
अर आवो नीं पधारो म्हारा देश में।
हीरा तो चमके है बालू रेत में।
मोतीडा झलके है म्हारा देश में।
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