मंगलवार, 25 जुलाई 2017

विज्ञान का युग है या अज्ञान का ?

वो कुँए का मैला कुचला पानी पिके भी 100 वर्ष जी लेते थे ,
हम RO का शुद्ध पानी पीकर 40 वर्ष में बुढे हो रहे है।

वो घाणी का मैला सा तैल खाके बुढ़ापे में भी दौड़~मेहनत कर लेते थे।
हम डबल~ट्रिपल फ़िल्टर तैल खाकर जवानी में  भी हाँफ जाते है।

वो डळे वाला लूण खाके बीमार ना पड़ते थे और हम आयोडीन युक्त खाके हाई~लो बीपी लिये पड़े है।

वो निम~बबूल कोयला नमक से दाँत चमकाते थे और 80 वर्ष तक भी चब्बा~चब्बा कर खाते थे !
और हम कॉलगेट सुरक्षा वाले रोज डेंटिस्ट के चक्कर लगाते है ।।

वो नाड़ी पकड़ कर रोग बता देते थे और
आज जाँचे कराने पर भी रोग नहीं जान पाते है ।

वो 7~8 बच्चे जन्मने वाली माँ 80 वर्ष की अवस्था में भी घर~खेत का काम करती थी
और आज 1महीने से डॉक्टर की देख~रेख में रहते है फिर भी बच्चे पेट फाड़ कर जन्मते है ।

पहले काळे गुड़ की मिठाइयां ठोक ठोक के खा जाते थे
आजकल तो खाने से पहले ही शुगर की बीमारी हो जाती है।

पहले बुजर्गो के भी गोडे मोढे नहीं दुखते थे और जवान भी घुटनो और कन्धों के दर्द से कहराता है ।

और भी बहुत सी समस्याये है फिर भी लोग इसे विज्ञान का युग कहते है, समझ नहीं आता ये विज्ञान का युग है या अज्ञान का ?????

मत दीज्यै

.        हालांकि मै नही जानता की ये रचना किसकी है ,
लेकिन जिसने लिखी है ,,,वो जरूर कोई महान कवि होगा ,,

हाथी दीज्ये घोडा दीज्यै, गधा गधेडी मत दीज्यै
सुगरां री संगत दे दीज्यै, नशा नशैडी मत दीज्यै

घर दीज्यै घरवाली दीज्यै, खींचाताणीं मत दीज्यै
जूणं बलद री दे दीज्ये, तेली री घाणीं मत दीज्यै

काजल दीज्यै टीकी दीज्यै, पोडर वोडर मत दीज्यै
पतली नार पदमणीं दीज्यै, तूं बुलडोजर मत दीज्यै

टाबर दीज्यै टींगर दीज्यै, बगनां बोगा मत दीज्यै
जोगो एक देय दीज्यै पणं, दो नांजोगा मत दीज्यै

भारत री मुद्रा दै दीज्यै, डालर वालर मत दीज्यै
कामेतणं घर वाली दीज्यै, ब्यूटी पालर मत दीज्यै

कैंसर वैंसर मत दीज्यै, तूं दिल का दौरा दे दीज्यै
जीणों दौरो धिक ज्यावेला, मरणां सौरा दे दीज्यै

नेता और मिनिस्टर दीज्यै, भ्रष्टाचारी मत दीज्यै
भारत मां री सेवा दीज्यै, तूं गद्दारी मत दीज्यै

भागवत री भगती दीज्यै, रामायण गीता दीज्यै
नर में तूं नारायण दीज्यै, नारी में सीता दीज्यै

मंदिर दीज्यै मस्जिद दीज्यै, दंगा रोला मत दीज्यै
हाथां में हुन्नर दे दीज्यै, तूं हथगोला मत दीज्यै

दया धरम री पूंजी दीज्यै, वाणी में सुरसत दीज्यै
भजन करणं री खातर दाता, थौडी तूं फुरसत दीज्यै

घी में गच गच मत दीज्यै, तूं लूखी सूखी दे दीज्यै
मरती बेल्यां महर करीज्यै, लकड्यां सूखी दे दीज्यै

कवि नें कीं मत दीज्यै, कविता नें इज्जत दीज्यै
जिवूं जठा तक लिखतो, रेवूं इतरी तूं हिम्मत दीज्यै

सोमवार, 24 जुलाई 2017

नवी बीनणी

सासू जी पहली वार
नवी बीनणी ने पूछ्यो.....

बेटा थने रसोई मे कंई कंई आवे...

बीनणी बोली सासू जी
मने रसोई मे घणो आलस आवे  
पसीना आवे और चक्कर आवे

कवित्त करनीजी रा

*कवित्त करनीजी रा -गिरधरदान रतनू दासोड़ी*

*वय पाय थाकी हाकी न केहर सकै शीघ्र,*
*कान न ते सुने नहीं किसको पुकारूं मैं।*
*चखन तें सुझै नहीं संतन उदासी मुख,*
*कौन ढिग जाय अब अश्रुन ढिगारुं मैं।*
*तेरे बिन मेरो कौन अब तो बताओ मात,*
*दृष्टि मे न आत दूजो हिय धीर धारूं मैं।*
*चरण की ओट मिले दोय वर रोट मिले,*
*कहै दास गीध  फिर मन को न मारूं मैं।।1*

*उदधि अथाह बीच शाह की पुकार सुनी,*
*पाण को पसार नै निसार बार लाई तूं ।*
*ऊ टूटी लाव कूप मंझ दंभी रूप तूं जुङी,*
*अनंद के अनंद वो फंद मेट आई तूं ।*
*ऊ भूप पूगलान मुलतान कैद मे रटी ,*
*जेल हों सों काढ शेख चाढ पंख लाई तूं।*
*आद समै आध साद संत फरियाद सुनी ,*
*वेर कवि गीध हूं की देर कैसे लाई तूं ।।2*

*जदै वा पुकारी सिंह री सवारी साज मात,*
*विघन विदारी अरूं काज को सुधारी है ।*
*म्हारी वारी देर न लगारी भीरधारी अब,*
*दैत वा दलनहारी पात पोखवारी है ।*
*कळू में भरोसो भारी महतारी तोरो आज ,*
*ओ मेहारी दुलारी हमारी रखवारी है ।*
*महमा अपारी दुनी हूं पे राज थारी सुन ,*
*आस आ तिहारी पर  दास गिरधारी है।।3*

*विकराल कलिकाल हाल को बेहाल कियो,*
*भाल न करेगी मैया पाल कौन करेगो ।*
*रोजी की तो तोजी नहीं साधन की सोजी नहीं,*
*कोजी भई मैया अब पेट कैसे भरेगो।*
*ऐ पूत है कपूत तेरे मन मजबूत ना ,*
*धूत जान छोडेगी तो ध्यान कौन धरेगो ।*
*जैसे भी हैं तेरी धणियाप के भरोसे हम ,*
*ओगन को देखेगी तो काम कैसे सरेगो ।।4*
*गिरधरदान रतनू दासोड़ी*

शनिवार, 22 जुलाई 2017

अंगूठा री छाप सु

आपणां बडेरा
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बडेरां रो काम चालतो अंगूठा री छाप सुं

दीखणं में गिंवार हा लाखां रो बिजनस कर लेंता
ब्याजूणां दाम दियां पेली अडाणें गेणां धर लेंता

च्यार महीनां खपता हा बारा महीनां खांता हा कांण मोखाण औसर मौसर दस दस गांव जिमांता हा

एक लोटो हूंतो हो सगला घर रा निमट (फ्रेस) आऊन्ता हा
दांतणं खातर नीमडा री डाली तोड लियांता हा

गाय भैंस रा धीणां हा बलदां री जोडी राखता

परणींजण नें जांवता हा ऊंट बलद रा गाडां में
हनीमून मनाय लेंवता भैंसियां रा बाडा में

न्यारा न्यारा रूम कठै हा कामलां रा ओटा हा
पोता पोती पसता पसता दादी भेला सोंता हा

सात भायां री बेनां हूंती दस बेटां रा बाप हूंता
भूखो कोई रेंवतो कोनीं मोटा अपणें आप हूंता

मा बापां रे सामनें फिल्मी गाणां गांता कोनीं
घरवाली री छोडो खुद रा टाबर नें बतलांता कोनीं

कारड देख राजी हूंता तार देखकर धूजता
मांदगी रा समाचार मरयां पछै ही पूगता

मारवाडी में लिखता लेणां आडी टेडी खांचता
लुगायां रा लव लेटर नें डाकिया ही बांचता

च्यार पांच सोगरा तो धाप्योडा गिट ज्यांवता
खेजडी रा छोडा खार काल सुं भिड ज्यांवता

लुगायां घर में रेंती मोडा पर कोनीं बैठती
साठ साल की हू ज्यांती बजार कोनीं देखती

बाडा भरयोडा टाबर हूंता कोठा भरिया धान हा
पैदा तो इंसान करता पालता भगवान हा

कोङियां री कीमत हूंती अंटी में कलदार रेंता
लुगायां री पेटियां में गेणां रा भंडार रेंता

भाखरां पर ऊंचा म्हेल मालिया चिणायग्या
आदमी में ताकत किती आपां नें समझायग्या

पाला जांता मालवे डांग ऊपर डेरा हा
दूजा कोनीं बे आपणां बडेरा हा

परमवीर चक्र विजेता, शहीद पीरू सिंह जी ‌शेखावत

झुन्झुनू जिले के शेर, परमवीर चक्र विजेता, शहीद पीरू सिंह जी ‌शेखावत को उनके शहादत दिवस पर कोटि कोटि नमन।
शहीद कंपनी हवलदार मेजर (CHM) पीरू सिंह शेखावत
परमवीर चक्र (मरणोपरांत)
20 मई 1918 - 18 जुलाई 1948
यूनिट - 6 राजपूताना रायफल्स
लड़ाई - टीथवाल की लड़ाई
युद्ध - भारत - पाक कश्मीर युद्ध 1947-48

======जन्म=======

CHM पीरू सिंह का जन्म 20 मई 1918 को गाँव रामपुरा बेरी, (झुँझुनू) राजस्थान में हुआ | वह 20 मई 1936 को 6 राजपुताना रायफल्स में भर्ती हुए |
======वीरगाथा=====

1948 की गर्मियों में जम्मू & कश्मीर ऑपरेशन के दौरान पाकिस्तानी सेना व कबाईलियों ने संयुक्त रूप से टीथवाल सेक्टर में भीषण आक्रमण किया | इस हमले में दुशमन ने भारतीय सेना को किशनगंगा नदी पर बने अग्रिम मोर्चे छोड़ने पर मजबूर कर दिया | इस झटके के बाद भारतीय सेना ने टीथवाल पहाड़ी पर मोर्चा संभाल लिया |

इस परिस्थिति में इस सेक्टर में आसन्न हमलों को देखते हुए 163 ब्रिगेड को मजबूती देने के लिए 6 राजपुताना रायफल्स ने उरी से टीथवाल की तरफ कूच किया | भारतीय हमले 11 जुलाई 1948 को शुरू हुए | यह ऑपरेशन 15 जुलाई तक अच्छी तरह जारी रहे | इस इलाके में दुश्मन एक ऊँची पहड़ी पर काबिज था, अत: आगे बढ़ने के लिए उस जगह पर कब्जा करना बहुत ही आवश्यक था | उस के नजदीक ही दुश्मन ने एक और पहाड़ी पर बहुत ही मजबूत मोर्चाबंदी कर रखी थी | 6 राजपुताना रायफल्स को इन दोनों पहाड़ी मोर्चों पर फिर से काबिज होने का विशेष काम दिया गया |

6 राजपुताना रायफल्स की "D" कंपनी को पहले अपने लक्ष्य पर हमला कर वहां ये दुश्मन को खदेड़ना था | जबकि "C" कंपनी को अपने लक्ष्य पर तब हमला करना था, जब "D" कंपनी अपने लक्ष्य पर अच्छी तरह काबिज हो जाए | "D" कंपनी ने 18 जुलाई 1948 को दोपहर 1:30 बजे अपने लक्ष्य पर हमला किया | उस पोस्ट की तरफ जाने वाला रास्ता लगभग मात्र एक मीटर ही चौड़ा था, व इस के दूसरी तरफ गहरे खतरनाक दर्रे थे | यह संकरा रास्ता दुश्मन के गुप्त बंकरों की जद में भी था | इस रास्ते में आगे बढ़ने पर "D" कंपनी दुश्मन की भीषण गोलाबारी की चपेट में आ गई, व आधे घंटे में ही कंपनी के 51 सैनिक शहीद हो गए |
इस हमले के दौरान CHM पीरू सिंह इस कंपनी के अगुवाई करने वालों में से थे, जिस के आधे से ज्यादा सैनिक दुश्मन की भीषण गोलाबारी में मारे जा चुके थे | पीरू सिंह दुश्मन की उस मीडियम मशीन गन पोस्ट की तरफ दौड़ पड़े जो उन के साथियों पर मौत बरसा रही थी | दुश्मन के बमों के छर्रों से पीरू सिंह के कपड़े तार - तार हो गए व शरीर बहुत सी जगह से बुरी तरह घायल हो गया, पर यह घाव वीर पीरू सिंह को आगे बढ़ने से रोक नहीं सके | वह राजपुताना रायफल्स का जोशीला युद्धघोष " राजा रामचंद्र की जय" करते लगातार आगे ही बढ़ते रहे | आगे बढ़ते हुए उन्होनें मीडियम मशीन गन से फायर कर रहे दुश्मन सैनिक को अपनी स्टेन गन से मार डाला व कहर बरपा रही मशीन गन बंकर के पूरे crew को मार कर उस पोस्ट पर कब्जा कर लिया | तब तक उन के सारे साथी सैनिक या तो घायल होकर या प्राणों का बलिदान कर रास्ते में पीछे ही पड़े रह गए | पहाड़ी से दुश्मन को हटाने की जिम्मेदारी मात्र अकेले पीरू सिंह पर ही रह गई | शरीर से बहुत अधिक खून बहते हुए भी वह दुश्मन की दूसरी मीडियम मशीन गन पोस्ट पर हमला करने को आगे बढ़ते, तभी एक बम ने उन के चेहरे को घायल कर दिया | उन के चेहरे व आँखो से खून टपकने लगा तथा वह लगभग अँधे हो गए | तब तक उन की स्टेन गन की सारी गोलियां भी खत्म हो चुकी थी | फिर भी दुश्मन के जिस बँकर पर उन्होने कब्जा किया था, उस बँकर से वह बहादुरी से रेंगते हुए बाहर निकले, व दूसरे बँकर पर बम फेंके |
बम फेंकने के बाद पीरू सिंह दुश्मन केे उस बँकर में कूद गए व दो दुश्मन सैनिकों को मात्र स्टेन गन के आगे लगे चाकू से मार गिराया | जैसे ही पीरू सिंह तीसरे बँकर पर हमला करने के लिए बाहर निकले उन के सिर में एक गोली आकर लगी फिर भी वो तीसरे बँकर की तरफ बढ़े व उस के मुहाने पर गिरते देखे गए |
तभी उस बँकर में एक भयंकर धमाका हुआ, जिस से साबित हो गया की पीरू सिंह के फेंके बम ने अपना काम कर दिया है | परतुं तब तक पीरू सिंह के घावों से बहुत सा खून बह जाने के कारण वो शहीद हो गए | उन्हे कवर फायर दे रही "C" कंपनी के कंपनी कमांडर ने यह सारा दृश्य अपनी आँखों से देखा | अपनी विलक्षण वीरता के बदले उन्होने अपने जीवन का मोल चुकाया, पर अपने अन्य साथियों के समक्ष अपनी एकाकी वीरता, दृढ़ता व मजबूती का अप्रतिम उदाहरण प्रस्तुत किया | इस कारनामे को विश्व के अब तक के सबसे साहसिक कारनामो में एक माना जाता है।

तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने उन की 75 वर्षीय माता श्रीमती तारावती को लिखे पत्र में लिखा कि "देश कंपनी हवलदार मेजर पीरू सिंह का मातृभूमि की सेवा में किए गए उनके बलिदान के प्रति कृतञ है, और हमारी ये प्रार्थना है की यह आप को कुछ

सोमवार, 17 जुलाई 2017

गीत वरसाल़ै रो चित इलोल

गीत वरसाल़ै रो चित इलोल

़-गिरधरदान रतनू दासोड़ी

अहर निस असमान आयो,
महर कर मघवान।
लहर कर हद ल़ोर लूंब्या,
ठहर थल़वाट थान।
तो थिरथानजी थिरथान,
थपियो इँद थल़वट थान।।1
गहर नभ गड़डाट गाजै,
धरर कर धड़ड़ाट।
अड़ड़ाट ओसर आवियो इल़,
डकर भर दड़ड़ाट।
तो कड़ड़ाटजी कड़ड़ाट
कड़कै बीजल़ी कड़ड़ाट।।2
छता सरवर तोय छौल़ां,
भरै तण-तण भाव।
खल़किया नद नीर खाल़ा
डगर दिस दरियाव।
तो मनभाव रै मनभाव ,
मुरधर रूप ओ मनभाव।।3
सुरपत्त भरिया खाडिया सह,
नाडिया नीवाण।
काढिया दिन कूट दुरभक्ख,
आप मनसुध आण।
तो महराण रै महराण,
मन रो इँदवो महराण।।4
हरस अवनी वसन हरिया,
पहरिया कर प्रीत।
जोप जोबन कोड करणी,
रीझ तरुणी रीत।
तो मनमीतजी मनमीत,
मिल़ियो आय वासव मीत।।5
सरस सावण रयो सुरँगो,
झड़ी मंडियो जोर।
तीज रै मिस वरस तूठो,
रसा तोड़ण रोर।
तो घणघोर रै घणघोर
घुरियो रीझ नै घणघोर।।6
भादवा तूं भलो भाई!
बूठियो वरियाम।
बूठियां तुझ मिटी विपती,
केक सरिया काम।
तो इमकामजी इमकाम
करिया भादवै भल काम।।7
किसन रा तर वसन कीधा
निमल पालर नीर।
पमँग निजपण आप पाया,
पेख गोगै पीर।
तो निजनीरजी निजनीर
नामी भादवै निजनीर।।8
जँगल़ धरती मँगल़ जोवो,
हरदिसा हरियाल़।
मुरधरा ठाकर आय मोटै,
काटियो सिर काल़।
तो हरियाल़जी हरियाल़
हरदिस थल़ी में हरियाल़।।9
धरा भुरटी मोथ धामण,
सरस सेवण साव।
मछर सुरभी महक मसती
चरै गंठियो चाव।
तो कर चावजी कर चाव,
चरणी चरै डांगर चाव।।10
डेयरियां में बधी डीगी,
बाजरी बूंठाल़।
मूंग मगरै तिल्ल तालर,
फूल मोठां फाल़।
तो मतवाल़जी मतवाल़
मुरधर रीझियो मतवाल़।।11
धापिया पालर देख धोरा,
भर्या तालर भाल़।
दहै टहुका मोर दादर,
ताण ऊंची टाल़।
तो नितपाल़जी नितपाल़,
परगल़ नेह सुरियँद पाल़।।12
मही माटां मांय मत्थणो,
देय झाटां दोय।
दही माखण देय दड़का,
लहै लावा लोय।
तो सब लोयजी सब लोय,
सब दिस हरसिया सह लोय।।13
रल़ियावणी धर करो रल़ियां,
थया थल़ियां थाट।
खरी इणविध लगी खेतां,
हेतवाल़ी हाट।
तो हिव हाटजी हिव हाट,
हर दिस हेत री थल़ हाट।।14
गिरधरदान रतनू दासोड़ी

बुधवार, 12 जुलाई 2017

हाबु दाना


एक महिला मॉल से बिस्कुट चुराते हुए पकड़ी गई

जज ने कहा : तुम ने जो बिस्कुट का पैकेट चुराया, उस में 10 बिस्कुट थे |इसलिए तुम्हे 10 दिन की जेल की सजा दी जाती है |

तभी पति पीछे से चिल्लाया : जज साहब, अणि हाबु दाना रो पैकिट भी लिदो है |

शनिवार, 1 जुलाई 2017

आ राजस्थानी भासा है

शक्तिदान कविया साब री अेक कविता निजर करूं सा... ल्यौ भणौ सा...

इणरौ इतिहास अनूठो है, इण मांय मुलक री आसा है ।
चहूंकूंटां चावी नै ठावी, आ राजस्थानी भासा है ।

जद ही भारत में सताजोग, आफ़त री आंधी आई ही ।
बगतर री कड़ियां बड़की ही, जद सिन्धू राग सुणाई ही ।
गड़गड़िया तोपां रा गोळा, भालां री अणियां भळकी ही ।
जोधारां धारां जुड़तां ही, खाळां रातम्बर खळकी ही ।
रड़वड़ता माथा रणखेतां, अड़वड़ता घोड़ा ऊलळता ।
सिर कटियां सूरा समहर में, ढालां तरवारां ले ढळता ।
रणबंका भिड़ आरांण रचै, तिड़ पेखै भांण तमासा है ।
उण बखत हुवै ललकार उठै, वा राजस्थानी भासा है ॥१॥

इणमें सतियां रा शिलालेख, इणमें संतां री बाणी है ।
इणमें पाबू रा परवाड़ा, इणमें रजवट रो पांणी है ।
इणमें जांभै री जुगत जोय, पीपै री दया प्रकासी है ।
दीठौ समदरसी रामदेव, दादू सत नांम उपासी है ।
इणमें तेजै रा वचन तौर, इणमें हमीर रो हठ पेखौ ।
आवड़ करनी मालणदे रा, इणमें परचा परगट देखौ ।
जद तांई संत सूरमा अर, साहितकारां री सासा है ।
करसां रै हिवड़ै री किलोळ, आ राजस्थानी भासा है ॥२॥

करमां री इण बोली में ही, भगवान खीचडौ़ खायौ है ।
मीरां मेड़तणी इण में ही, गिरधर गोपाळ रिझायौ है ।
इणमें ही पिव सूं माण हेत, राणी ऊमांदे रूठी ही ।
पदमणियां इणमें पाठ पढ्यौ, जद जौहर ज्वाळा ऊठी ही ।
इणमें हाडी ललकार करी, जद आंतड़ियां परनाळी ही ।
मुरधर री बागडोर इणमें ही, दुरगादास संभाळी ही ।
इणमें प्रताप रौ प्रण गूंज्यौ, जद भेंट करी भामासा है ।
सतवादी घणा सपूतां री, आ राजस्थानी भासा है ॥३॥

इणमें ही गायौ हालरियौ, इणमें चंडी री चिरजावां ।
इणमें ऊजमणै गीत गाळ, गुण हरजस परभात्यां गावां ।
इणमें ही आडी औखांणा, ओळगां भिणत वातां इणमें ।
जूनौ इतिहास जौवणौ व्है, तौ अणगिणती ख्यातां इणमें ।
इणमें ही ईसरदास अलू, भगती रा दीप संजोया है ।
कवि दुरसै बांकीदास करन, सूरजमल मोती पोया है ।
इणमें ही पीथल रचि वेलि, रचियोड़ा केइक रासा है ।
डिंगळ गीतां री डकरेलण, आ राजस्थानी भासा है ।।४॥

इणमें ही हेड़ाऊ जलाल, नांगोदर लाखौ गाईजै ।
सौढो खींवरौ उगेरै जद, चंवरी में धण परणाईजै ।
काछी करियौ नै तौडड़ली, राईको रिड़मल रागां में ।
हंजलौ मौरूड़ौ हाड़ौ नै, सूवटियौ हरियै बागां में ।
इणमें ही जसमां औडण नै, मूमल रूप सरावै है ।
कुरजां पणिहारी काछवियौ, बरसाळौ रस बरसावै है ।
गावै इणमें ही गोरबंद, मनहरणा बारैमासा है ।
रागां रीझाळू रंगभीनी, आ राजस्थानी भासा है ॥५॥

इणमें ही सपना आया है, इणमें ही औळूं आई है ।
इणमें ही आयल अरणी नै, झेडर बाळौचण गाई है ।
इणमें ही धूंसौं बाज्यौ है, रण-तोरण वन्दण रीत हुई ।
इणमें ही वाघै-भारमली, ढोलै-मरवण री प्रीत हुई ।
इणमें ही बाजै बायरियौ, इणमें ही काग करूकै है ।
इणमें ही हिचकी आवै है, इणमें ही आंख फ़रूकै है ।
इणमें ही जीवण-मरण जोय, अन्तस रा आसा-वासा है ।
मोत्यां सूं मूंगी घणमीठी, आ राजस्थानी भासा है ॥६॥

श्री नागणेच्या माता जी की भोग  आरती

श्री नागणेच्या माता जी की भोग  आरती
म्हारा कमधज कालरा सर्जनहार कलेवो कराताई मुलके
म्हारा राठोड कुलरा सिरताज कलेवो करताई हर्ष
सखिये  चन्द्र बदन  आरो रुप सुन्दर  ऑरी बिन्दिया चमके
सखिये   नागरी असवारी हाथा तो  आरे खड़क भलके
सखिये   लाडू पेडा रो प्रसाद घेवरीया आरे गले अटके
सखिये   लापसी रो भोग जीम लिया मैया जी झटके
सखिये   जल यमुना रो नीर झारी तो ल्याई सखि ललिता
सखिये   तुलसी सरस  अमृत कलेवा मे मैया जी के अमृत बरसे
जिमो जिमो मैया जी जिमावे थारा लाल
जिमो जिमो मैया जी जिमावे थारा लाल
म्हारा कमधज कुलरा सर्जनहार
कलेवो करताई मुलके
म्हारा राठोड कुलरा सिरताज कलेवो करताई हर्ष