सोमवार, 24 जुलाई 2017

कवित्त करनीजी रा

*कवित्त करनीजी रा -गिरधरदान रतनू दासोड़ी*

*वय पाय थाकी हाकी न केहर सकै शीघ्र,*
*कान न ते सुने नहीं किसको पुकारूं मैं।*
*चखन तें सुझै नहीं संतन उदासी मुख,*
*कौन ढिग जाय अब अश्रुन ढिगारुं मैं।*
*तेरे बिन मेरो कौन अब तो बताओ मात,*
*दृष्टि मे न आत दूजो हिय धीर धारूं मैं।*
*चरण की ओट मिले दोय वर रोट मिले,*
*कहै दास गीध  फिर मन को न मारूं मैं।।1*

*उदधि अथाह बीच शाह की पुकार सुनी,*
*पाण को पसार नै निसार बार लाई तूं ।*
*ऊ टूटी लाव कूप मंझ दंभी रूप तूं जुङी,*
*अनंद के अनंद वो फंद मेट आई तूं ।*
*ऊ भूप पूगलान मुलतान कैद मे रटी ,*
*जेल हों सों काढ शेख चाढ पंख लाई तूं।*
*आद समै आध साद संत फरियाद सुनी ,*
*वेर कवि गीध हूं की देर कैसे लाई तूं ।।2*

*जदै वा पुकारी सिंह री सवारी साज मात,*
*विघन विदारी अरूं काज को सुधारी है ।*
*म्हारी वारी देर न लगारी भीरधारी अब,*
*दैत वा दलनहारी पात पोखवारी है ।*
*कळू में भरोसो भारी महतारी तोरो आज ,*
*ओ मेहारी दुलारी हमारी रखवारी है ।*
*महमा अपारी दुनी हूं पे राज थारी सुन ,*
*आस आ तिहारी पर  दास गिरधारी है।।3*

*विकराल कलिकाल हाल को बेहाल कियो,*
*भाल न करेगी मैया पाल कौन करेगो ।*
*रोजी की तो तोजी नहीं साधन की सोजी नहीं,*
*कोजी भई मैया अब पेट कैसे भरेगो।*
*ऐ पूत है कपूत तेरे मन मजबूत ना ,*
*धूत जान छोडेगी तो ध्यान कौन धरेगो ।*
*जैसे भी हैं तेरी धणियाप के भरोसे हम ,*
*ओगन को देखेगी तो काम कैसे सरेगो ।।4*
*गिरधरदान रतनू दासोड़ी*

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