#आपणा_बडेरा_केयग्या
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बाग बिगाङे बांदरो,सभा बिगाङे फूहङ ।
लालच बिगाङे दोस्ती,करे केशर री धूङ ।।
जीभड़ल्यां इमरत बसै,जीभड़ल्यां विष होय।
बोलण सूं ई ठा पड़ै,कागा कोयल दोय।।
चंदण की चिमठी भली,गाडो भलो न काठ।
चातर तो एक ई भलो,मूरख भला न साठ।।
गरज गैली बावली,जिण घर मांदा पूत ।
सावन घाले नी छाछङी,जेठां घाले दूध ।।
पाडा बकरा बांदरा,चौथी चंचल नार ।
इतरा तो भूखा भला,धाया करे बोबाङ ।।
भला मिनख ने भलो सूझे,कबूतर ने सूझे कुओ ।
अमलदार ने एक ही सूझे,किण गाँव मे कुण मुओ ।।
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