हे मायड़ भाषा ! माफ करजै !
-गिरधर दान रतनू दासोड़ी
हे मायड़ भाषा !माफ करजै!
म्हे थारै सारू
कीं नीं कर सकिया!
फगत लोगां रो
मूंडो ताकण
उवांरी थल़कणां
धोक लगावण रै टाल़!
थारै नाम माथै
रमता रैया हां
आजतक
अंधल़गोटो
लुकमीचणी
कै
कदै -कदै
भांगता रैया हां
कोथल़ी में गुड़!!
कै
चूल्है रै चांद ज्यूं
चूल्है री बैवणी माथै
झाड़ता रैया भासण!
क्यूंकै
न तो है म्हांरी
आसंग उठण री!
अर नीं हां
म्हे इतरा पगाल़!
कै पूग सकां
उणां रै बारणै
जिकै करता रैया है
आंख टाल़ो थारी महत्ता सूं
नकारता रैया है
थारै वैभव नै
रगदोल़ता रैया है
थारै ऊजल़ियै इतियास नै
गदल़ावता रैया है
वर्तमान नै
स्वारथ रै कादै सूं
तोलता रैया है थारो तोल
वोटां री काण ताकड़ी सूं
मीढता रैया है
थारो मोल
आपरी आंटो
खावणी वाल़ी जीब सूं
अर जीब ई
इतरी लिपल़ी कै
आंटो खावती ई रैवै!!
अर म्हे इण आंटै!
आवता ई रैया
लेवता ई रैया थथूंबा!
फगत इण आशा में
कै
मा आवै ! अर बाटियो लावै!
काढ दिया वरसां रा वरस!
तन्नै तो ठाह है!
कै
म्हांमे नीं रैयी इतरी ऊरमा
कै सूरमापणो
जिणरै पाण
म्हे कर सकां
आंख सूं आंख मिलाय
उणां सूं बात
जिकै खावता रैया है
बाजरी म्हांरी
अर बजावता रैया हाजरी बीजां री!
इण में कांई इचरज?
कै
सूतां री भैंस
लावती रैयी है पाडा
माफ करजै म्हांनै!
म्हांरै निपोचापणै!
म्हां सगल़ां री गत आ ईज है
कै "उठ बींद फेरा ले!
हें र राम मोत दे!"
ऐड़ी पोच रै
धणियां रै भरोसै
तो नीं लागै
कै थारो गौरव
थारो वैभव
मंडणियो कोई जागेला?
तूं मत करजै आशा
कै थारो ऊजल़ियो इतियास
बणैला पाछो वर्तमान!
हे मायड़भाषा !
तूं क्षमादात्री है
म्हांरो ओ गुन्हो
करजै माफ कै
म्हे थारै सारू
रगत तो कांई!
पसीनै रो टोपो ई नी टपकाय सकां!!
गिरधर दान रतनू दासोड़ी
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