रविवार, 21 मई 2017

तूं मत पाल़ भरम  नै भाई!

तूं मत पाल़ भरम  नै भाई!
थोड़ो समझ परम नै भाई!!
गुणचोरां री संगत रल़ग्यो!
आंख्यां राख शरम नै भाई!!
अहम वहम में केयक मरग्या!
ओ तो समझ मरम नै भाई!!
चकाचूंध में यूं चकरीजर!
तूं मत छोड करम नै भाई!!
करड़ा लट्ठ तूटग्या कितरा!
साबत देख नरम नै भाई!!
ठार! ठार ! नै जीम धीज सूं
कर मत घाल गरम नै भाई!!
खाय गपंदा गया बावल़ा!
भूल्या मिनख -धरम नै भाई!!
गिरधर दान रतनू दासोड़ी

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें