मलसीसर झुंझुनू के गजराज सिंह कारगिल युद्ध में शहीद हुए..
हर रक्षाबंधन पर उनकी बहन की यह तस्वीर वायरल हो जाती है और मन में अनेक करुण भाव भऱ जाती है
इस बार श्री गजराज सिंह जी के दिव्य बलिदान को और उनकी बहन के अपने भाई के प्रति प्रेम को शब्द देने का प्रयास किया है...
सादर शाब्दिक श्रद्धांजलि
बैनड़ निरखै सगोड़ो बीर , आँखड़ल्या में नीर भरयो l
उमगी काळजिये में पीर , अर भाईडा ने बाथां भरियो ll
टूटी धीरजड़ै री डोर , नैणां सूं मोती रळक पड़िया l
होग्यो हिवड़ो दो छोर , आँसूड़ा आंगण बरस पड़िया ll
कूकी कातर मन कुरळाय , बीरो सा म्हारा कठौड़े गिया l
लागी काळजियै मे लाय , अंतस रा आलम चौड़े व्हिया ll
एकर देखो थैं आंखियां खोल , बैनड़ कैवे खड़ी रे खड़ी l
सुण लो बाईसा रा बोल , मनवारूं थाने घड़ी रे घड़ी ll
करस्यूं किण रा मैं कोड , लडास्यूं किणने लाडलड़ा l
चालिया एकलडी ने छोड़ , लारे जी राखी लाडलड़ा ll
कुंण करेला औळूं इण बार , पीहर पोळियां सूनी पड़ी l
भावज़ बिलखै हैं बारम्बार , मावड म्हारी मगसी पड़ी ll
मुळकै मन मे ही मनडै ने मार , बाबोसा बोले बात नहीं l
आँखियां पोंछे मूंडो लु'कार , धीजै दिन और रात नहीं ll
दिखासी कुण पीवरिया री पाळ , कुण मिलवा आवसी l
भरसी कुण मायरिये रो थाळ , चुन्दड़ कुण औढावसी ll
करसी कुण जीजोसा स्यूं रोळ , भाणेजां कुण पाट उतारसी l
करसी कुण सगां स्यूं ठिठोळ , मनवारां कर प्याला पावसी ll
अावे क्यों अब तीज तींवार , किणरे बाँथू आ राखडली l
वीरा एक बार हाथ पसार , बंधवाले म्हारी आ राखड़ली ll
रतनसिंह चाँपावत रणसीगाँव कृत
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