बुधवार, 9 अगस्त 2017

सावण रा दिन चार

सावण रा दिन चार है,आवण री नी बात।
दिव्लो जोऊं प्रेम रो,आँख्या जागे रात।। (६१)

सूक्या समदर प्रीत रा,सूकी हिवड़े प्रीत।
पाळ टूटगी प्रेम री, हार गयो जग जीत।।(६२)

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