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सावण रा दिन चार है,आवण री नी बात। दिव्लो जोऊं प्रेम रो,आँख्या जागे रात।। (६१)
सूक्या समदर प्रीत रा,सूकी हिवड़े प्रीत। पाळ टूटगी प्रेम री, हार गयो जग जीत।।(६२)
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