गुरुवार, 26 सितंबर 2019

लोगो री पंचायती

लोगो री पंचायती ,      करता रह दिन रात ।
खुद री बाता निपटे न , धिन पंचो री न्यात ।।

खाज खिणता खुंजा भरे , कर अणहुती बात
निर्दोषी ने दोषी करै ,   धिन पंचो री न्यात ।।

ओंटा बेङी करता रहे ,   करै भायप री बात ।
मोको पङिया बट काढे , धिन पंचो री न्यात ।

नारेळा सु न्याय करै ,       करै घणो मे घात ।
झूठा ब्यान साचा करे ,  धिन पंचो री न्यात ।।

लखपतियो रै लागु नही ,    दे गरीब ने लात ।
पोल माही ढोल घुरावे , धिन पंचो री न्यात ।।

बहु बींदणी बेटा बेटी ,        घरै न माने बात ।
ओरो घर हुक्म चलावे , धिन पंचो री न्यात ।।

अपणो ठरको राखण सारु , दिन गिणे न रात
तालर माही तंबू ताणे ,  धिन पंचो री न्यात ।।

जर्दा बीङी अमल तंबाकु ,  डोडा.री जमात ।
खेंगारा कर करै हथाई , धिन पंचो री न्यात ।।

माल ठोके मोकळो ,  वे    फेर पेट पर हाथ ।
मृत्युभोज करावे देखो , धिन पंचो री न्यात ।।

खेत बिको चाहे घर बिको , राखे अपणी बात
बहियो माही ऊंठ मंडावे ,  धिन पंचो री न्यात   

सांची कहुं तो दोरी लागे , आ म्हारोङी बात ।
कहे मेघ रिख रामचंद्र , धिन पंचो री न्यात ।।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें