मंगलवार, 14 अप्रैल 2020

समय बड़ो बलवान



समय बड़ो बलवान
 जाने जहान सारो,
अवनी बड़े विद्वान कही गए ध्यान ते।
सूर की छिंयारी  भाई तीन वेर फिरि जात,
चंद्र भी गुजारे दीह सुन्यो अपमान ते।
मुरलोक नाथ हूं की लुटी घर नारी सारी ,
रुकी नहीं देखो जरा पाथ हूं के बान ते।
गिरधरदान 
सुन सावधान  होय बात
 केते केते बली कटे समय की कृपान ते।।

 समय  की मार झेली  
राजा हरिचंद जोवो,
सत्य को पूजारी भाई नेक थररायो नीं।
समय की झाट पंडव के थाटबाट गए,
सत्य हूं की वाट हों से मन विचलायो नीं।
समय भार  रंतिदेव अन्न को बिख्यो भोग्यो
सत पे अडग रह्यो  दिलगीरी लायो नीं।
समय की चोट झेल हुए जमीदोट जो तो,
वांको आज तांई जग नाम बतरायो नीं।।

 पलटि गयो समै जान महारान पत्ता  को,
दुख में अडग वो  रखन चख पानी को।
 उलटि समै  अटल दुर्गादास प्रण हूं पे,
रह्यो वीर थिर वो  रक्षक रजधानी को।
चिकनी रोटी को देख शिवो ललचायो नहीं,
समै विपरीत भयो रूप  हिंदवानी को।
कहै गिरधरदान सुनिए सुजान प्यारे,
 मुढ मैं सुनाऊं सुनी पूनि ग्यानी ध्यानी को।।

वक्त के तकाजे  खाए साक पात देख पता,
आजादी विसारी नहीं झेल सेल छाती पे। 
अस हूं की पीठ बजा रीठ दुर्ग स्वामी काज,
समय को बताय धत्ता चखन राती पे।
शिवा सो सपूत रह्यो रण मजबूत मन ,
समय  को खेल मान धार वार घाती पे।
 गीध मुर नरन के चरन बलिहार ले,
धरन पे अमर  गौरव निज जाती के।।
गिरधरदान रतनू दासोड़ी

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