शनिवार, 17 दिसंबर 2016

हरियाणा की ताई

हरियाणा की ताई

एक बार एक मुकदमे में ताई गवाह बना दी गई।

ताई कोर्ट में जा कर खड़ी हो गई,

दोनो वकील भी ताई के गाँव के ही थे !

पहला वकील बोला= " ताई तू मन्ने जाणे स ?

ताई बोली= हाँ भाई तू रामफूल का छोरा है ना,

तेरा बापु घणा सूधा आदमी था ।

पर तू निकम्मा एक नम्बर का झूठा।

झूठ, बोल बोल कर के तूं लोगां ने ठगै सै।

" झूठे गवाह " बना कर के तू केस जीते सै।

तेरे से तो सारे लोग परेशान है,

तेरी लुगाई भी परेशान हो कर के तन्ने छोड़ गै भाज गई।

वकील बेचारा चुप हो कर के देखने लगा ।

उसने सोचा मेरी तो घणी बेइज्जती हो गई अब तू दुसरे की और करा,

उस वकील ने थोडी देर में
दूसरे वकील की तरफ इशारा कर के,

पुछा="ताई"तू इसने जाणे सै के?

ताई बोली=" हाँ "

यो फुले काणे का छोरा सै ।

इसके बापू ने निरे रूपिये खर्च करके इसे पढ़ाया पर इसने 'आंक ' नही सीखा ।

सारी उमर छोरियां के पीछै हांडे गया ।

इसका चक्कर तेरी बहू से भी था !

(कोर्ट में बैठी जनता हांसण लाग गी )

जज बोला :- "आर्डर आर्डर"।

और दोनो वकीलों को अपने चेम्बर में बुलाया।

जज बोला=अगर तुम दोनो वकीलों में से किसी ने भी इस ताई से यो पूछा के,

" इस जज न जाणे से "

तो मैं थारे गोली मरवा दूँगा.

गेल सफी कठई की

*पत्नी बोली* ….
ओ जी थे हर बात मं म्हारा पीहर वाला न बीच मं क्यूँ ल्याओ हो।
जो केवणो है म्हन सीधो- सीधो के दिया करो

*पति बोल्यो* :
देख बावळी, अगर आपणो मोबाइल खराब हु ज्याव तो आपां मोबाइल न थोड़ी बोलां ,
गाल्यां तो कंपनी वाला न ही काढस्यां नी
गेल सफी कठई की………

गुरुवार, 15 दिसंबर 2016

मायरो

टीचर : सभी लड़कियो को बहन मानो !

विद्यार्थी : मैं तो नहीं मानूंगा !

टीचर : क्यों.....  ???

विद्यार्थी : इत्तो मायरो  कुण भरेला।

शनिवार, 10 दिसंबर 2016

मधरो मधरो बोल पपीहा

गीत

रचना राजेन्द्र दान।राजन। पुत्र श्री भँवर दान जी झनकली

मधरो मधरो बोल पपीहा हाल हकीकत बोल

1 हूँ पंखी उन्मुक्त गगन रो आजादी सदा अपनावे।
रील मिल कर रहणो जगत मो संग सदा सुहावे।
भेळा होवे ने करो बसेरो इक डाली इक पोल।
हाँ हाँ मधरो मधरो बोल पपीहा  हाल हकीकत बोल।

2
ग्राम सेवक जी ग्राम मीटिंगों कागज मो ही करवावे।
नरेगा रो काम नजर मो देख्यो नी दरसावे।
राखे मिस्टोल रालियो भीतर पखवाड़े भर दे खोल।
हाँ हाँ मधरो मधरो बोल पपीहा हाल हकीकत खोल।

3
सरपंच होवे जनता रो सेवक चार आना खा जावे।
परसेंटो रा पइसा पूरा जईयन अईयन।ले जावे।
टांका औरड़ी शौचालय बाबत पूरा करो पेली कोल।
हाँ हाँ मधरो मधरो बोल पपीहा हाल हकीकत बोल

4
स्कूलां खुल गई असंखो नामांकन हो गयो नाश।
शिक्षा रे प्रयोगों आगे अवरुद्ध हुओ विकाश।
पढाई हो गई पूरी अब तो रिकार्ड राखो खोल।
हाँ हाँ मधरो मधरो बोल पपीहा हाल हकीकत बोल।

5
बाबू बण बेठो मास्टर अब हर दिन डाक बनावे।
पोषाहार पकाणो सब सु पेली पछे पाठ पढ़ावे।
इण खातर तो बढ़ रही संख्या निजी स्कुलो मो जोर।
हाँ हाँ मधरो मधरो बोल,,,,,,,,,,

6
हल्काधीश हुआ हाई टेक अब तो कम्प्यूटर काम करावे।
दर्शन हुआ हल्के मो दुर्लभ मुख्यालय मोज मनावे।
पीड़ हुवे तो ले जाओ परसादी बोतल रो मुंडो खोल।
हाँ हाँ मधरो मधरो बोल,,,,,,,

7
अस्पतालों डॉक्टर अण पूरा मरीजो कुण मरज घटावे।
लम्बी लम्बी लाइनों रे कारण प्राइवेटो फ़ीस चुकावे।
निशुल्क दवा नई लेकर वो तो बाजारों लेवे मोल।
हाँ हाँ मधरो मधरो बोल,,,,,,,,,

8
आंगनवाड़ी मो कोई नई आवे कागज मो काम करावे।
हाजरिया भरे कुड़ी हमेशा मिलकर मोज मनावे।।
गरम खाणे रा पइसा गटकावे ओ तो मुफ़्त खोरी रो होल।
हाँ हाँ मधरो मधरो बोल,,,,,,,,,

9
पुलिस तो जनता री पालक नाहक नाच नचावे।
पेली घटना पछे पुगणो बयान हकीकत बदलावे।
चोरी जारी लूटपाट चहु और मिलती रा चुके मोल।
हाँ हाँ मधरो मधरो बोल,,,,,,

10
सरकारी योजनावां सखरी कारिंदा नई काम करावे।
गरीबो रो हक गीटे गर्व सु मल्ला भाई मोज मनावे।
फोकट रो खाकर फोकटिया बोले बड़का बोल।
हाँ हाँ मधरो मधरो बोल,,,,,,,,

11
साचो मानव हुवे सतवादी कूड़ा बहू काम करावे।
फर्जीवाड़े रा काम फोकटिया सानी मो समझावे।
डोफा बनाकर करे डिलरिया राशन मो रोम्फा रोळ।
हाँ हाँ मधरो मधरो बोल,,,,,,,,

12
मदद करे गरीब मिनख री सो नर काम सहावे।
अण समझो रा काज अदब सु सरवत सदा सरावे।
आशीष देवे नित अमोलख बोले वो मीठे बोल।
हाँ हाँ मधरो मधरो बोल,,,,,,,

13
कूड़ कपट करे काचडो पाछे सब पछतावे।
सच्चाई री जीत सदा ही सारा काज सरावे।
कव राजन विनती कर कहता मानवता हे अनमोल।
हाँ हाँ मधरो मधरो बोल पपीहा हाल हकीकत खोल।

कव राजन झनकली कृत
भूल चूक गलती के लिए माफ़ी

सौभाग्य सिंहजी शेखावत 

परम श्रद्धेय सौभाग्य सिंहजी शेखावत  ,राजस्थानी साहित्य रा थंभ हा।उणां जिकी डिंगल़ अर विशेषकर चारण साहित्य री जिकी सेवा करी,बा अनुपम अर अद्वितीय ही।म्हारै माथै उणांरी घणी मेहरबानी ही।म्हारी पोथी 'मरूधर री मठोठ' में आप आशीष सरूप अंजस रा आखर लिखिया।बीकानेर विराजता जितै ,म्हनै फोन करर बंतल़ सारू बुलावता।लारलै वरस पोतै नै परणावण पधारिया जणै व्यक्तिगत फोन करर मिलण रो आदेश दियो पण दुजोग सूं मिल नीं पायो।अणुंतो स्नेह हो।
म्हारी उण पुण्यात्मा अर दिव्यात्मा नैं सादर श्रद्धांजलि।
2003 में म्हारो निबंध संग्रह 'मरूधर री मठोठ' छपी।आदरणीय नाहटाजी री भूमिका अर शेखावत साहब अंजस रा आखर लिखिया।म्है जेड़ै अकिंचन माथै एक महामनीषी नैं अंजस आवणो,म्हारै सारु गीरबै री बात ही।
"राजस्थान अर राजस्थानी भाषा रो मध्यकाल़ रो घणकरो साहित्य सगती अर भगती रो साहित्य है।अठै एक कांनी वीर पूजा रै मान-मोलां री आरतियां उतारीजी है ,बठै दूजै कांनी सुरसती रै साधकां री पालकियां कंधां माथै ऊठायनै सत्कार अर सम्मान कर्यो गयो है।शास्त्र-पूजा अर शब्द-पूजा  साथै -साथै होवती रैयी है ।इणी परंपरा रा ओपता आखरां रा आखा (अक्षत) 'मरूधर री मठोठ' राजस्थानी साहित्य रा जोध -जवान साहित्यकार श्री गिरधर दान रतनू रै नुवै नकोर सात साहित्यिक अर सांस्कृतिक निबंधां रै संकलन में है।श्री गिरधर दान रतनू अध्ययनशील अर अनुसंधान रुचि रा साहित्यकार है।इणां रो गद्य अर पद्य लेखन माथै पूरसल अधिकार है।भाषा पर पूरी पकड़ है।बानगी रूप नीचै री ओल़ियां  भाषा री पोल़ियां री किंवाड़ इण भांत  खोलै-'मरस्या तो मोटै मतै,
सह जग सपूत।
जीस्यां तो देस्यां जरू,
जुलमी रै सिर जूत।।
ओ ईज चारण रो मूल़ मंत्र रैयो है,जद ईज तो चारण नीची नांखनै कदैई नीं जीया।स्वाभिमान कदीम सूं कायम राख्यो।जब लग सांस सरीर में ,तब लग ऊंची तांण।जका ऊंची ताणै ,उणांनैं जगत जाणै।वीर ईज वीरता री कूंत करसी।नीतर ईलोजी वाल़ा घोड़ा है।'म्हनै घणो भरोसो है कै श्री गिरधर दान रतनू राजस्थानी साहित्य सिरजण रै ऊंचै पगोथियां चढनै सुरसती रै कल़स रूपी सिखर नैं सौभायमान करसी अर राजस्थानी साहित्यकार समाज 'मरूधर री मठोठ' रो घणो लाड स्वागत करसी।'(काफी लंबा है,उसमें केवल आंशिक दिया।)
उण बगत म्है आपनै कीं दूहा अर एक वेलियो गीत निजर कियो सो आपनैं ई मेल रैयो हूं।-
दूहा
गुण आगर गाहक गुणी,
खरो रतन खत्रवाट।
शेखावत सौभागसी,
बहै वडेरां वाट।।
असतपणै री आज दिन,
लत सारां नैं लाग।
बोदी नासत बगत में,
सत पाल़ै सौभाग।।
मन री मजबूती मुदै,
धिन रजपूती धार।
शेखावत सौभाग रो
सिरै सपूतीचार।।
पाल़ै आदू प्रीत नैं
रति ना छंडै रीत।
सधरपणै सौभागसी,
जग सारै जस जीत।।
बेवै पुरखां वाटड़ी,
आदू मारग ऐह।
शेखाहर सौभाग नैं,
नित पातां सूं नेह।।
पह समोवड़ पेखणो,
बडो लघु इक बात।
शेखाहर सौभागसी
मुद जाहर महि माथ।।
गीत वेलियो

शेखाधर भगतपुरै शेखावत,
सुत काल़ू राजै सौभाग।
भड़ मग आद सुधारै भाल़ो
आयां पात बधारै आघ।।
पाल़ै प्रीत सुपातां पूरी,
रजवट तणी रुखाल़ै रीत।
अरियां तणो गरब उथवाल़ै
नित उजाल़ै आरज नीत।।
कारज सार बियां काल़ूवत,
जोगापण कीरत नित जीप।।
मीठो रहै सबां मनमेल़ू,
दीठो जात दीपतो दीप।।
इकरंग रहै बात इकरंगी,
बोरंग सथ बहै नीं वाट।
साचै तणो रहै हित संगी,
हेत तणी मांडै थिर हाट।।
विदगां अनै छत्रियां व्हालो,
सचवाल़ो टोल़ै सम सीर।
सुत काल़ू अज तक सतवाल़ो,
विरदाल़ो शेखाहर वीर।।
साहित तणी सिरजणा सधरी,
छत्री भाव तणा दे छौल़।
समवड़ कलम तुली समसेरां,
राची आ साची रणरोल़।।
चहुंवल़ आज शेखाहर चावो,
दाटक नर हद ठावो दाख।
संपादन सिरै साहित रो शोधक,
संसारै पूगी आ साख।।
बोदी बगत मानवी विटल़ा,
पड़गी प्रीत पुराणी पेख।
रजपूती तणो रूंखड़ो सींचै,
इल़ सौभाग धरण में एक।।
म्हारी विनम्र अर सादर श्रद्धांजलि।
नमन।
गिरधर दान रतनू दासोड़ी

टैक्स मांगता फिरो...ला.

आदरणीय
मोदी जी,
सर्दी बहुत ज्यादा हो री है
सियाळा का लाडू बना सकां हां की??
....
...
और बना सकां हां तो कता???
*पाव*
या
*आधा किलो....???*
.
.
.
और जे, किलो दो किलो बणावां तो *आईडी* और *पैन कार्ड* की जरूरत तो कोनी पड़ैली न..???
सरकार की तरफ स्यूं कोई गाइडलाइन हो तो पैलां ही बता देईयो...
.
.
.
.
.
*फेर थे कठ:ई टैक्स मांगता फिरो...ला...!!!!

सोमवार, 5 दिसंबर 2016

जीवणों दौरो होग्यो

जीवणों दौरो होग्यो
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घणां पालिया शौक जीवणों दोरो होग्यो रे
देवे राम नें दोष जमानों फौरो होग्यो रे

च्यारानां री सब्जी ल्यांता आठानां री दाल
दोन्यूं सिक्का चाले कोनीं भूंडा होग्या हाल
च्यार दिनां तक जान जींमती घी की भेंती धार
एक टेम में छींकां आवे ल्याणां पडे उधार
जीवणों दोरो-----------------------------------

मुंडे मूंड बात कर लेंता नहीं लागतो टक्को
बिनां कियां रिचार्ज रुके है मोबाईल रो चक्को
लालटेन में तेल घालता रात काटता सारी
बिजली रा बिल रा झटका सूं आंख्यां आय अंधारी
जीवणों दोरो----------------------------------------

लाड कोड सुं लाडी ल्यांता करती घर रो काम
पढी लिखी बिनणिंयां बैठी दिनभर करै आराम
घाल पर्स में नोट बीनणीं ब्यूटी पारलर जावे
बैल बणें घाणीं रो बालम परणीं मोज उडावे
जीवणों दौरो----------------------------------------

टी वी रा चक्कर में टाबर भूल्या खाणों पीणों
चौका छक्का रा हल्ला में मुश्किल होग्यो जीणों
बिल माथै बिल आंता रेवे कोई दिन जाय नीं खाली
लूंण तेल शक्कर री खातर रोज लडै घरवाली
जीवणों दौरो-----------------------------------------

एक रुपैयो फीस लागती पूरी साल पढाई
पाटी बस्ता पोथी का भी रुप्या लागता ढाई
पापाजी री पूरी तनखा एडमिशन में लागे
फीस किताबां ड्रेसां न्यारी ट्यूशन रा भी लागे
जीवणों दौरो----------------------------------------

सुख री नींद कदै नीं आवे टेंशन ऊपर टैंशन
दो दिन में पूरी हो ज्यावे तनखा हो या पैंशन
गुटखां रा रेपर बिखरयोडा थांरी हंसी उडावे
रोग लगेला साफ लिख्यो पणं दूणां दूणां खावे
जीवणों दौरो--------------------------------------
पैदल चलणों भूली दुनियां गाडी ऊपर गाडी
आगे बैठे टाबर टींगर लारै बैठे लाडी
मैडम केवे पीवर में म्हें कदै नीं चाली पाली
मन में सोचे साब गला में केडी आफत घाली
जीवणों दोरो--------------------------------------

चाऐ पेट में लडै ऊंदरा पेटरोल भरवावे
मावस पूनम राखणं वाला संडे च्यार मनावे
होटलां में करे पार्टी डिस्को डांस रचावे
नशा पता में गेला होकर घर में राड मचावे
जीवणों दौरो ------------------------------------------

अंगरेजी री पूंछ पकडली हिंदी कोनीं आवे
कोका कोला पीवे पेप्सी छाछ राब नहीं भावे
कीकर पडसी पार मुंग्याडो नितरो बढतो जावे
सुख रा साधन रा चक्कर में दुखडा बढता जावे
जितरी चादर पांव पसारो मन पर काबू राखो
भगवान भज्यां ही भलो होवसी थांको
जीवणों दौरो होग्यो रे
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रविवार, 4 दिसंबर 2016

बाटी खाने के नियम..

बाटी खाने के नियम..

(1) बाटी जीन्स पेन्ट पहन कर नहीं खानी चाहिए ।
बैठने में तकलीफ होती है,
बाटी कम भाती है।

(2) बाटी खाते वक्त मोबाइल का स्विच ऑफ रखें ।
बात करने से पेट में हवा जाती है, जिससे एक बाटी कम खाई जाती है ।

(3) बाटी खाते वक्त सुई गिरने जितनी भी आवाज नहीं आनी चाहिए।
खाते वक्त कोई बच्चा आवाज करे तो, उसे भी लप्पड़ मेल देनी चाहिए, बगैर रहम करे।

(4) बाटी खाते वकत पंखा पास में होना चाहिए।

(5) बाटी खाते वक्त घी की बाल्टी फुल होनी चाहिए ।
जितना घी जाएगा बाटी के साथ, उतनी तरावट रहेगी और कुम्भकर्ण के जैसे नींद आएगी एकदम टेंशन फ्री।

(6) बाटी खाने के बाद मिथुनचक्रवर्ती की पिक्चर नहीं देखनी चाहिए,
उससे माथा खराब रहता है,
खोपड़ी घनचक्कर हो जाती है।

बाटी की महिमा :-सोमवार हो या रविवार रोज खाओ बाटी दाल।

जिस दिन घर पे बाटी बनती है उस दिन घर मे खुशी का माहौल रहता है ।

बच्चे भी सभी काम पे लग जाते हैं ।
कोई कांदा काटने लग जाता है,
कोई चटनी घोटता है,
कोई कड़ी पत्ता लेने चला जाता है । कोई अपने आप को दाल बनाने का उस्ताद जता कर दाल की वाट लगाता है।

बाटी खाने के बाद दाल बाटी और लड्डू की तारीफ़ करने से पुण्य मिलता है।
और

अनेकानेक जन्म के पाप नष्ट हो जाते हैं।

कहीं कहीं तो बाटी की धूप भी लगाते हैं।
पांच पकवान की तरह मानते हैं।

बाटी खाने के बाद आदमी को ऐसा लगता है कि मेरे उपर कोई कर्जा नही हैं ।

बामण गुरु के अनुसार बाटी खाने का सही दिन रविवार है ।

लगातार सात दिन तक बाटी खाने से गंगा जी के घाट पर हज़ार बामणों का लंगर कराने और सौ गाएँ दान करने बराबर पुण्य लगता है ।

"पिज़ा बर्गर छोड़ो
" देसी खाना खाओ।"
जय रामजी की

शुक्रवार, 2 दिसंबर 2016

राजस्थानी लड़के

राजस्थानी लड़के का
टीम इंडिया मे चयन हुआ

खलबली तो तब मची जब
उसने कोच से कहा-

अगर बेटिंग नही आई तो आपा
तो घंटा ही फिल्डींग कोनी करा ला

गुरुवार, 1 दिसंबर 2016

रूडा़ राजस्थान बता ..वा थारी रूड़ी रीत कठै..!

शीश बोरलो..नासा मे नथड़ी..सौगड़ सोनो सेर कठै,
कठै पौमचो मरवण रौ..बोहतर कळियां घेर कठै...!!

कठै पदमणी पूंगळ री ..ढोलो जैसलमैर कठै,
कठै चून्दड़ी जयपुर री ..साफौ सांगानेर कठै.. !!

गिणता गिणता रेखा घिसगी.. पीव मिलन की रीस कठै,
ओठिड़ा सू ठगियौड़़ी ..बी पणिहारी की टीस कठै..!!

विरहण रातां तारा गिणती.. सावण आवण कौल कठै,
सपने में भी साजन दीसे ...सास बहू का बोल कठै..!!

छैल भवंरजी.. ढौला मारू ..कुरजा़ मूमल गीत कठै,
रूड़ा राजस्थान बता.. वा थारी रूड़ी रीत कठै..!!

हरी चून्दड़ी तारा जड़िया ..मरूधर धर की छटा कठै,
धौरां धरती रूप सौवणौ.. काळी कळायण घटा कठै.!!

राखी पूनम रेशम धागे.. भाई बहन को हेत कठै,
मौठ बाज़रा सू लदियौड़ा.. आसौजा का खैत कठै..!!

आधी रात तक होती हथाई ..माघ पौष का शीत कठै,
सुख दुःख में सब साथ रैवता.. बा मिनखा की प्रीत कठै..!!

जन्मया पैला होती सगाई ..बा वचना की परतीत कठै,
गाँव गौरवे गाया बैठी ..दूध दही नौनीत कठै..!!

दादा को करजौ पोतो झैले ..बा मिनखा की नीत कठै,
रूड़ा राजस्थान बता ..वा थारी रूड़ी रीत कठै..!!

काळ पड़िया कौठार खोलता ..बे दानी साहूकार कठै,
सड़का ऊपर लाडू गुड़ता ..गैण्डा की बै हुणकार कठै..!!

पतियां सागै सुरग जावती ..बै सतवन्ती नार कठै,
लखी बणजारो.. टांडौ ढाळै ..बाळद को वैपार कठै..!!

धरा धरम पर आँच आवतां ..मर मिटण री हौड़ कठै,
फैरा सू अधबिच उठिया..बे पाबू राठौड़ कठै..!!

गळियां में गिरधर ने गावै ..बीं मीरा का गीत कठै ,
रूड़ा राजस्थान बता ..वा थारी रूड़ी रीत कठै..!!

बितौड़ा वैभव याद दिरावै.. रणथम्बौर चितौड़ जठै ,
राणा कुम्भा रौ विजय स्तम्भ.. बलि राणा को मौड़ जठै..!!

हल्दीघाटी में घूमर घालै.. चैतक चढ्यौ राण जठै ,
छत्र छँवर छन्गीर झपटियौ.. बौ झालौ मकवाण कठै..!!

राणी पदमणी के सागै ही ..कर सोला सिणगार जठै,
सजधज सतीया सुरग जावती.. मन्त्रा मरण त्यौहार कठै..!!

जयमल पत्ता ..गौरा बादल.. रै खड़का री तान कठै,
बिन माथा धड़ लड़ता रैती.. बा रजपूती शान कठै..!!

तैज केसरिया पिया कसमा ..साका सुरगा प्रीत कठै,
रूड़ा राजस्थान बता ..वा थारी रूड़ी रीत कठै..!!

निरमोही चित्तौड़ बतावै ..तीनों सागा साज कठै,
बौहतर बन्द किवाँड़ बतावै...ढाई साका आज कठै..!!

चित्तौड़ दुर्ग को पेलौ पैहरी ..रावत बागौ बता कठै ,
राजकँवर को बानौ पैरया ..पन्नाधाय को गीगो कठै..!!

बरछी भाला ढाल कटारी.. तोप तमाशा छैल कठै,
ऊंटा लै गढ़ में बड़ता ..चण्डा शक्ता का खैल कठै.!!

जैता गौपा सुजा चूण्डा .?चन्द्रसेन सा वीर कठै,
हड़बू पाबू रामदेव सा ..कळजुग में बै पीर कठै..!!

मेवाड़ में चारभुजा सांवरो सेठ ..श्रीनाथ सो वैभव कठे ,
कठै गयौ बौ दुरगौ बाबौ.. श्याम धरम सू प्रीत कठै..!!

हाथी रौ माथौ छाती झालै.. बै शक्तावत आज कठै,
दौ दौ मौतों मरबा वाळौ.. बल्लू चम्पावत आज कठै..!!

खिलजी ने सबक सिखावण वाळौ ..सोनगिरौ विरमदैव कठै,
हाथी का झटका करवा वाळौ ..कल्लो राई मलौत कठै..!!

अमर कठै ..हमीर कठै ..पृथ्वीराज चौहान कठै,
समदर खाण्डौ धोवण वाळौ.. बौ मर्दानौ मान कठै..!!

मौड़ बन्धियोड़ौ सुरजन जूंझै ..जग जूंझण जूंझार कठै ,
ऊदिया राणा सू हौड़ करणियौ .?बौ टौडर दातार कठै..!!

जयपुर शहर बसावण वाळा.. जयसिंह जी सी रणनीत कठै,
अकबर ने ललकारण वाला ..अमर सीग राठौड कठे,

रूड़ा राजस्थान बता ..वा थारी रूड़ी रीत कठै.. !!
रूडा़ राजस्थान बता ..वा थारी रूड़ी रीत कठै..!!