शनिवार, 10 दिसंबर 2016

मधरो मधरो बोल पपीहा

गीत

रचना राजेन्द्र दान।राजन। पुत्र श्री भँवर दान जी झनकली

मधरो मधरो बोल पपीहा हाल हकीकत बोल

1 हूँ पंखी उन्मुक्त गगन रो आजादी सदा अपनावे।
रील मिल कर रहणो जगत मो संग सदा सुहावे।
भेळा होवे ने करो बसेरो इक डाली इक पोल।
हाँ हाँ मधरो मधरो बोल पपीहा  हाल हकीकत बोल।

2
ग्राम सेवक जी ग्राम मीटिंगों कागज मो ही करवावे।
नरेगा रो काम नजर मो देख्यो नी दरसावे।
राखे मिस्टोल रालियो भीतर पखवाड़े भर दे खोल।
हाँ हाँ मधरो मधरो बोल पपीहा हाल हकीकत खोल।

3
सरपंच होवे जनता रो सेवक चार आना खा जावे।
परसेंटो रा पइसा पूरा जईयन अईयन।ले जावे।
टांका औरड़ी शौचालय बाबत पूरा करो पेली कोल।
हाँ हाँ मधरो मधरो बोल पपीहा हाल हकीकत बोल

4
स्कूलां खुल गई असंखो नामांकन हो गयो नाश।
शिक्षा रे प्रयोगों आगे अवरुद्ध हुओ विकाश।
पढाई हो गई पूरी अब तो रिकार्ड राखो खोल।
हाँ हाँ मधरो मधरो बोल पपीहा हाल हकीकत बोल।

5
बाबू बण बेठो मास्टर अब हर दिन डाक बनावे।
पोषाहार पकाणो सब सु पेली पछे पाठ पढ़ावे।
इण खातर तो बढ़ रही संख्या निजी स्कुलो मो जोर।
हाँ हाँ मधरो मधरो बोल,,,,,,,,,,

6
हल्काधीश हुआ हाई टेक अब तो कम्प्यूटर काम करावे।
दर्शन हुआ हल्के मो दुर्लभ मुख्यालय मोज मनावे।
पीड़ हुवे तो ले जाओ परसादी बोतल रो मुंडो खोल।
हाँ हाँ मधरो मधरो बोल,,,,,,,

7
अस्पतालों डॉक्टर अण पूरा मरीजो कुण मरज घटावे।
लम्बी लम्बी लाइनों रे कारण प्राइवेटो फ़ीस चुकावे।
निशुल्क दवा नई लेकर वो तो बाजारों लेवे मोल।
हाँ हाँ मधरो मधरो बोल,,,,,,,,,

8
आंगनवाड़ी मो कोई नई आवे कागज मो काम करावे।
हाजरिया भरे कुड़ी हमेशा मिलकर मोज मनावे।।
गरम खाणे रा पइसा गटकावे ओ तो मुफ़्त खोरी रो होल।
हाँ हाँ मधरो मधरो बोल,,,,,,,,,

9
पुलिस तो जनता री पालक नाहक नाच नचावे।
पेली घटना पछे पुगणो बयान हकीकत बदलावे।
चोरी जारी लूटपाट चहु और मिलती रा चुके मोल।
हाँ हाँ मधरो मधरो बोल,,,,,,

10
सरकारी योजनावां सखरी कारिंदा नई काम करावे।
गरीबो रो हक गीटे गर्व सु मल्ला भाई मोज मनावे।
फोकट रो खाकर फोकटिया बोले बड़का बोल।
हाँ हाँ मधरो मधरो बोल,,,,,,,,

11
साचो मानव हुवे सतवादी कूड़ा बहू काम करावे।
फर्जीवाड़े रा काम फोकटिया सानी मो समझावे।
डोफा बनाकर करे डिलरिया राशन मो रोम्फा रोळ।
हाँ हाँ मधरो मधरो बोल,,,,,,,,

12
मदद करे गरीब मिनख री सो नर काम सहावे।
अण समझो रा काज अदब सु सरवत सदा सरावे।
आशीष देवे नित अमोलख बोले वो मीठे बोल।
हाँ हाँ मधरो मधरो बोल,,,,,,,

13
कूड़ कपट करे काचडो पाछे सब पछतावे।
सच्चाई री जीत सदा ही सारा काज सरावे।
कव राजन विनती कर कहता मानवता हे अनमोल।
हाँ हाँ मधरो मधरो बोल पपीहा हाल हकीकत खोल।

कव राजन झनकली कृत
भूल चूक गलती के लिए माफ़ी

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