मंगलवार, 27 दिसंबर 2016

मारवाड़ री कविता

आ लो सा मारवाड़ री कविता

*थे रिश्वत देणीं बंद करो,*
*लेवणियां भूखां मर ज्यासी।*
*थे घास नांखणीं बंद करो,*
*सरकारी सांड सुधर ज्यासी।*

*खुद रा घर को करो सुधारो,*
*आखो गांव सूधर ज्यासी।*
*थे भाव देवणां बंद करो,*
*केयां रा भाव उतर ज्यासी।*

*दूजां में गलत्यां मत देखो,*
*गलत्यां खुद में ही मिल ज्यासी।*
*जे खुद चोखा बण रेवोला,*
*पाडोसी चोखा मिल ज्यासी।*

*थे ब्लेक लेवणों बंद करो,*
*दो नंबर पूंजी घट ज्यासी।*
*ईमान धरम पर चालोला,*
*तो पाप पाप रो कट ज्यासी।*

*बेटी री कदर करोला तो,*
*झांसी की राण्यां आ जासी।*
*पन्ना मीरां अर पदमणियां,*
*सीतां सावित्र्यां आ ज्यासी।*

*आजादी रो मतलब समझ्यां,*
*भारत रो रूप संवर ज्यासी।*
*सूतोडा शेर जाग ज्यासी,*
*साल्यां में भगदड मच ज्यासी।*

*भिड ज्यावो आतंकवादयां सूं,*
*आतंकवादी खुद डर ज्यासी।*
*सीमाडे सूता मत रेवो,*
*दुशमणं री छाती फट ज्यासी।*

*जे एक होयकर रेवोला,*
*तो झोड झमेला मिट ज्यासी।*
*मेहनत की रोटी खावोला,*
*तो बेईमानी मिट ज्यासी।*

*झूठा वादां में मती फसो,*
*वादां री हवा निकल ज्यासी।*
*वोटां री ताकत नें समझ्यां,*
*दादां री जमीं खिसक ज्यासी।*

*नारां रे लारे मत भागो,*
*नारां रे नाथां घल ज्यासी।*
*मत बंद और हड़ताल करो,*
*नुकसाणं देश रो बच ज्यासी।*

*जे नेम धरम पर चालोला,*
*जीणें रो ढंग बदल ज्यासी।*
*मैणंत रा मोती बोयां सुं,*
*धरती रो रंग बदल ज्यासी।*

*कविता री कदर करोला तो,*
*गीतां री राग बदल ज्यासी।*
*दोस्तों आलस छोड ऊठो,*
*भारत रा भाग बदल ज्यासी।*

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