साल सत्रहवों सरस,
आप घर खुशी अथागां।
अपणायत अणमाप,
रहे मन आणंद रागां।
सुबस बसो सब सैण,
सदा सनमान सवायो।
चित हित सबरो चाव
भाव भायां सो भायो।
प्रगति वाट रू पद प्रतिष्ठा
रहे सदामत राजरे।
आपरै काज गिरधर अखै,
ऐड़ी आसा आजरै।।
गिरधर दान रतनू दासोड़ी
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