म्है मरियां ई कोट भिल़सी !!
गिरधर दान रतनू दासोड़ी
बीकानेर माथै जिण दिनां महाराजा जोरावर सिंहजी रो राज तो जोधपुर माथै अभयसिंहजी रो।
जोधपुर रै राजावां री कुदीठ सदैव बीकानेर माथै रैयी है।उणां जद ई देखियो कै बीकानेर में अबार सत्ता पतल़ी है अथवा आपसी फूट रा बीज ऊग रैया है तो इणां बीकानेर कबजावण सारु आपरो लसकर त्यार राखियो।ओ ई काम अभयसिंहजी कियो।ऐ ई बीकानेर माथै सेना लेय आया।देशनोक करनीजी रा दरसण किया अर देपावतां(करनीजी री संतान)माथै जोर दियो कै 'वे ज्यूं बीकानेर राजावां सारु करनीजी सूं अरज करै उणीगत म्हारै खातर ई करै।'पण चारणां मना कर दियो अर कैयो कै बीकानेर री रुखाल़ी कोई करनीजी म्हांरै कैणै सूं थोड़ी करै !!ओ तो इणांरो दियोड़ो राज है सो म्हांरी अरज री जरूत नीं पड़ै-
बीको बैठो पाट,
करनादे श्रीमुख कैयो।
थारै रैसी थाट,
म्हांरां सूं बदल़ै मती!!
अभयसिंहजी नै रीस आयगी अर उणां कैयो कै 'म्हारै बूकियां में गाढ होवैला तो करनीजी आपै ई म्हारी मदत में आ जावैला!!'
अभयसिंहजी री फौज रो डेरो बीकानेर रै पाखती लागो।महाराजा जोरावर सिंहजी रो पख पतल़ो।कई सिरदार विमुख।महाराजा गढ छोड कठै ई सुरक्षित जावण रो विचार कियो पण सलाहकारां सलाह दी कै भूकरका ठाकुर कुशल़ सिंहजी नै खबर करो अर उणांनैं उडीको।हलकारै नै कुशल़सिंहजी कनै मेलियो।
कुशल़ सिंहजी साधारण वेशभूषा में आपरै कोट में आपरी भागोड़ी बकरी रै चाखड़ बांध रैया हा।हलकारो पूगियो अर बकरी रै चाखड़ बांध रैया ठाकुर साहब नै कोई साधारण हाल़ी बालधी समझर पूछियो कै 'ठाकुर साहब कठै है?कोई खबर दैणी है।'ठाकुर साहब बोलिया '"हां तो बता कांई खबर है?'उण पाछो कैयो 'भाई थूं थारो काम कर ,म्हनै ऐ समाचार कोई दूजै नीं, खाली ठाकुर साहब नैं ई दैणा है!'ठाकुर साहब समझग्या कै आंधो अर अजाण बरोबर होवै सो बै मांयां जायर आपरा गाभा पेरिया अर बैठक में हलकारै नै बुलायो।ज्यूं ई हलकारो मांयां आयो तो देखियो कै चाखड़ बांधण वाल़ो आदमी ई ठाकुर साहब री गादी माथै बैठो है!!उण माफी मांगी पण मोटै मिनखां रा मन ई मोटा होवता सो उणां कैयो थूं तो बात बता!पूरी बात सुणतां ई ठाकुर साहब रा भंवारा तणग्या।मूंछां फरूकण लागी अर आपाण में शरीर खावण लागो।ठाकुर साहब साथ नै चढण रो आदेश दियो अर कैयो कै "उठै बैठा राजपूत ,अपणै आपनै राजपूत कीकर कैवै?देश रो लूण खावणिया कीकर दूजै राजावां सूं जा मिलै?ऐड़ा निलज्जा कीकर आपरै सिर सेर सूत अर बगतर पैर कीकर तरवार बांधै?'कुशल़ सिंहजी रै इण भावां नै किणी चारण कवि कितरै सतोलै सबदां में कैयी है-
पत मेलै रजपूत,
महपत जा बीजां मिल़ै।
तो सिर माथै सूत,
किम बांधै कुशल़ो कहै।।?
वीग्रहियो बीकाण,
घणखायक बैठा घरै!
कड़ी पास केवाण,
किम बांधै कुशल़ो कहै।।?
उणां अजेज आपरो साथ सजायो अर बीकानेर आया।आगे देखियो कै बीकानेर में च्यारां कानी अभय सिंहजी रै आतंक रो सायो पसर्योड़ो।कुशल़सिंहजी देखियो कै गढ रो गाढ जाब देवण वाल़ो है अर महाराजा गढ छोड कठै ई सुरक्षित जावण खातर कुशल़सिंहजी नै उडीकै हा!!उणां आवतां कैयो कै 'गढ म्हांरै र म्हांरै बाप रो !!महाराजा कुण होवै गढ छोडणिया?महाराजा म्हांरै माथै रा धणी अर म्हे गढ रा धणी!!म्है ऊभां गढ में कोई बड़ेलो तो आप मानजो सूरज ऊगणो ई बंद कर देला!!'किणी चारण कवेसर ठाकुर साहब रै इण भावां नै कितरा सतोला सबद दिया है-
कुशल़ो पूछै कोट नै,
विलखो क्यूं बीकाण।
मो ऊभां तो पालटै,
भोम न ऊगै भाण।।
कुशल़सिंहजी रै आपाण अर उणांरी तीखी तरवार रै पाण बीकानेरियां मे बल़ बधियो।सवार रा गढ माथै धवल़ चील रा महाराजा नै दरसण होया।धवल़ चीर साक्षात करनीजी री प्रतीक मानी जावै।करनीजी रा दरसण सूं महाराजा नै ई विश्वास होयो कै अबै जीत बीकानेर री ई होसी।उणां करनीजी नैं संबोधित करर एक दूहो कैयो-
दाढाल़ी डोकर थई,
कै थूं गई विदेस।?
खून बिनां क्यूं खोसवै,
निज बीकां रो नेस।।?
महाराजा रो ओ दूहो सुण पाखती ई ऊभा शंभुदानजी रतनू(दासोड़ी) पाछो एक दूहो कैयो-
निज नेसां जोखो नहीं,
जोखो है जोधाण।
अभो अफूठो जावसी,
मेलै मन रो माण।।
जोधपुरियां सुणियो कै ठाकुर कुशल़सिंह आयग्यो है अर हमें बीकानेर आवणो अबखो है !सो उणां आपरा डेरा उठाय पाछा जोधपुर जावण री त्यारी करी।होल़ी आगला दिन हा।जोधपुरियां होल़ीअठै ई करण अर मंगल़ावण री पूरी त्यारी कर राखी ही।कुशल़सिंहजी रै आत्मविश्वास अर बीकानेरियां री मरण त्यारी देख जोधपुर रो साथ होल़ी नै गाडां घाल बहीर होया।बीकानेर सूं पैंतीस कोस आगा जायर नागौर कनै होल़ी मंगल़ाई।इण बात रो साखीधर शंभुदानजी रतनू रो एक गीत उल्लेखणजोग है-
हुवो ताव सूजां इसो राव बीकाहरां,
झाट खग अजावत नकू झाली।
सीस गाडां तणै बैठ एकण समै,
होल़का कोस पैंतीस हाली।।
ठाकुर कुशल़ सिंहजी रो नाम आज ई अमर है।
गिरधर दान रतनू दासोड़ी
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