जे किणी सैण नै पुख्ता जाणकारी होवै तो निम्न चारण कवेसरां रै विषय म
मख आढै नीसांणमल,
*सामधरम सिवदान।*
*रतन सपूताचार रो
आडो वल़ियो अंक।
सांसण कीधा माल रा,
कल़ंक काट निकल़ंक।।
नरू जसौ कवियो बिहूं,
ईसर खिड़ियो एक।
*झीबौ गंग सुरपुर झलै*
टल़ै न जां रण टेक।।
रथ खंचियो गैणांग रथ,
धर कज मचियो धींग।
रचियो भारत रूकड़ां,
*नह मुचियो नरसींग*
*अइयो ईसरियाह*
बारठ आडा बोलणा।।
कल़ में कांधल़काह
*वीदा अन बांटत नहीं।।*
दुसटी पड़्यो दुकाल़,
दुरभख सारा देस में।
सेवाहरै सुगाल़,
*निपट जणायो नैतसी*
गिरधर दान रतनू दासोड़ी
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