शनिवार, 24 दिसंबर 2016

लूणोजी रोहड़िया री  वेलि-

लूणोजी रोहड़िया री  वेलि-गिरधर दान रतनू दासोड़ी
बीठूजी नै खींवसी सांखला 12 गांव दिया।बीठूजी आपरै नाम सूं बीठनोक बसायो।कालांतर में इणी गांव म़े सिंध रै राठ मुसलमानां सूं सीमाड़ै अर गोधन री रुखाल़ी करतां बीठूजी वीरगति पाई।जिणरो साखीधर उठै एक स्तंभ आज ई मौजूद है।बीठूजी री वंश परंपरा में धरमोजी होया अर धरमोजी रै मेहोजी ।मेहोजी रै सांगटजी/सांगड़जी होया।बीठनोक भाईबंटै में सांगड़जी नै मिलियो जिणरै बदल़ै में तत्कालीन जांगलू नरेश इणां नै सींथल़ इनायत कियो।
सांगड़जी सींथल आयग्या।सांगड़जी रै च्यार बेटा हा-मूल़राजजी,सारंगजी,पीथोजी,अर लूणोजी।एकबार भयंकर काल़ पड़ियो तो च्यारूं भाई आपरी मवेशी लेयर माल़वै गया परा।लारै सूं सूनो गांम देख ऊदावतां सींथल माथै कब्जो कर लियो।मेह होयो।हरियाल़ी होई तो ऐ पाछा आपरै गांम आया।आगे देखै तो ऊदावत धणी बणिया बैठा है!उणां विध विध सूं समझाया पण उणांरै कान जूं ई नीं रेंगी।दूजै भाईयां तो कोई घणो जोर नीं कियो पण लूणैजी सूं आ बात सहन नीं होई।उणां ऊदावतां माथै रीस अणाय आपरै गल़ै इक्कीस बार कटारी खाधी पण घाव एकर ई नीं फाटियो।देखणियां नै अचूंभो होयो अर उणां मानियो कै लूणोजी कटारी नीं खायर खाली राजपूतां नै डरावण रो सांग कर रैया है।घाव नीं फाटण सूं लूणैजी नै ई आपरो अपमान लागियो।बै सीधा देशनोक करनीजी कन्नै आया अर पूरी बात बताय स्वाभिमान कायम राखण रो निवेदन कियो।करनीजी कैयो कै "आज थारै पाखती रै गांम वासी में सांखलां रै अठै ब्याव है सो तूं उठै जा परो।उठै तन्नै बकरी रै दूध री खीर पुरसैला ।उण खीर में बकरी रो बाल़ आवैला बो थारै कंठां में आवतां ई पूरा घाव फाट जावैला।पछै तैं में आपै ई देवत्व प्रगट होवैलो।"
लूणोजी वासी आया।उठै सांखलां घणा कोड किया।जीमण रो बगत होयो जणै जानियां अर मांढियां लूणैजी नै भोजन अरोगण रो कैयो पण लूणैजी मना कर दियो।राजपूतां कैयो" आ तो होय नीं सकै कै म्हे भोजन करां अर म्हांरै घरै चारण भूखो रैवै!धूड़ है म्हांरै ऐड़ै भोजन में।"
लूणैजी कैयो "थांरै घरै शुभ काम है अर म्हारा भोजन करतां ई प्राण नीं रैवै सो थांरै घरै विघन नीं करूं।"सांखलां कैयो कै "आप म्हांरै माथै रा मोड़।आप भूखा रैवो अर म्हे जीमां!तो म्हांनै लख लांणत है।!हिंदू मरै जठै ई हद है!जे ऐड़ी होयगी तो आपरी जथा जुगत करांला!!"लूणैजी देखियो सांखला मानै नी जणै उणां कैयो कै "थे ओ वचन देवो कै अठै म्हारा प्राणांत हो जावै तो म्हनै अठै दाग नीं देयर म्हारै गांम ले जाय ऊदावतां री तिबारी रै दरवाजै माथै दाग देवोला!"
सांखलां कैयो "वचन है !!जै आपरो शरीर नीं रैवैला तो म्हे दाग ऊदावतां री तिबारी रै दरवाजै देवांला।"
लूणैजी ज्यूं ई भोजन कियो।ज्यूं ई इक्कीस घाव फाटग्या।जिगन में विघन पड़ियो पण उण बगत रा मिनख बाप अर बोल नै एक मानता।उणां लूणैजी री अरथी बणाय खांधां उखणी अर सींथल़ आया।लूणैजी नै दिए वचनां मुजब ऊदावतां री तिबारी में अरथी नै उतारी।ऊदावतां ई उजर किय़ो पण सांखलां नै मरण मतै देख हियो हेठो कियो।
उणी दिन कई ऊदावत डरता दिन रा गाडां गोल़ नाठग्या।एक ऊदावत आ कैयर नीं गयो कै लूणो जीवतो ई कीं नीं कर सक्यो तो मरियोड़ो कांई करेला!रात रा उणरो मांचो ऊ़चो उठियो।बो डाडियो कै थारी कवली गाय हूं !मार मती।अबार ई सींथल़ छोड दूंला!लूणैजी उणनै नै छोड दियो बो गयो परो।ओ जिकै गांम में बस्यो ,सींथल़ रा वासी उणनै निनामियो गांम कैवै।नाम नीं लेवै।जिकै ऊदावत दिन रा डरता नाठा बै सोवै गांम में बसिया।
म्हारी घणै दिनां.सूं इच्छा ही कै इण महान जूंझार माथै कीं लिख्यो जावै।आज इच्छा पूरी होई अर पूरै कथानक माथै 31दूहालां रो एक वेलियो गीत लिखियो जिको आपरी पारखी निजरां भेंट कर रैयो हूं---
क्रमशः
गिरधर दान रतनू दासोड़ी

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