अजै मेड़तिया मरणो जाणै!!
गिरधर दान रतनू दासोड़ी
जद जोधपुर महाराजा अभयसिंहजी बीकानेर घेरियो उण बगत बीकानेरियां जयपुर महाराजा जयसिंहजी नै आपरी मदत सारु कैयो।जयसिंहजी फौज ले जोधपुर माथै चढाई करी।आ बात अभयसिंहजी नै ठाह पड़ी तो उणां बीकानेर सूं जोधपुर जावणो ई ठीक समझियो।जोधपुर उण बगत जयपुर रो मुकाबलो करण री स्थिति में नीं हो ।राजीपै री बात तय हुई अर 21लाख जयपुर नै फौज खरचै रा दैणा तय होया,जिणमें 11लाख रो गैणो अभयसिंहजी री कछवाही राणी रो दियो अर बाकी रुपियां मौजीज मिनखां री साख में लैणा किया।जद किणी जयसिंहजी नै कैयो कै "हुकम ओ गैणो तो बाईजी राज रो है अर आप लेय रैया हो!!"जयसिंहजी कैयो कै "अबार ओ गैणो जयपुर री राजकुमारी रो नीं है अपितु जोधपुर री राणी रो है सो ले लियो जावै!!"
समझौतो होयां जयपुरियां री भर्योड़ी तोपां पाछी जयपुर रवाना होई।गूलर कनै जावतां किणी जयपुरियै कैयो कै "कांई मारवाड़ में रणबंका राठौड़ नीं रैया!!लागे उणांरै बूकियां में आपाण नीं रैयो जद ई तो म्हांरी फौज कंवारी अर तोपां भर्योड़ी जा रैयी है!!" आ बात उठै किणी आदमी सुणी अर गूलर जाय ठाकुर विसनसिंहजी नै बताई।आ बात सुणतां ई विसनसिंहजी आपरा मर्जीदान चारण जादूरामजी खिड़िया (जगतेसपुरा)साम्हीं जोयो अर पूछियो कै बाजीसा आपरी कांई राय है?जादूरामजी महावीर अर साहसी मिनख हा ।मारवाड़ रै मरट री बात ही।उणां किणी कवि रै एक गीत री ऐ ओल़्यां सुणाई-
दूदा पग आगा दे जाणै,
पाछी फेर न जाणै पूठ।
भिड़वा री पौसाल़ भणाणा,
मुड़वा तणी न सीख्या मूठ!!
हुकम मेड़तिया तो लड़णो ई जाणै!इणमें विचार री कांई बात है!!-
मेड़तिया जाणै नीं मुड़णो ,
भिड़णो ई जाणै भाराथ!!
इणी खातर तो मेड़तो मोतियां री माल़ा बाजै-
मेड़तो मोतियां तणी माल़ा!!
ठाकुर आपरै छुटभाईयां रै ठिकाणै भखरी रै ठाकुर केशरीसिंहजी नै ओ समाचार करायो कै "मेड़तियां री मूंछ रो सवाल है!आपांरी कांकड़ मांय सूं तोपां खाली जावै!!अजै आंपां जीवां हां!!"केशरीसिंहजी अजेज चढिया अर जयपुरियां रै देखतां -देखतां उणां रो हाथी घेर र भखरी गढ में लेयग्या।जयपुरियां गढ घेर लियो।केशरीसिंहजी गढ में।विसनसिंहजी गूलर, गढ रै बारै मुकाबलो कियो।रजपूति बताय जस कमायो।किणी कवि कैयो-
मेड़तिया मुड़िया नहीं,
जुड़ियां खागां जंग।
वल़ू रैया विसनेस रै
(वां)रजपूतां नै रंग।।
गूलर फौज में जादूरामजी खिड़िया ई साथै।महावीर खिड़ियो जादूरामजी ई मारवाड़ री आण खातर तरवारां ताणी।आपरी खाग बल़ वीरता बताय इण मारकै वीरगति वरी।शीश कटियां ई लड़तां थकां इण वीर री देह सौ मीटर आगी जाय शांत होई।वीरता री कद्र जाणणिया भखरी ठाकुर साहब इण जूंझार रो चूंतरो गढ रै आगे बणायो।आज ई आसै -पासै रा लोग पूजै।जादूरामजी री वीरता विषयक तत्कालीन कवियां रा कथिया दूहा चावा-
भखरी भाखर ऊपरै,
गढ दोल़ूं गोलांह।
खिड़ियो खागां जूंझियो,
पौहर हेक पौलांह।।
झूक-झुक राल़ै झाग,
अधपतिया अकबक हुवै,
खिड़ियो बावै खाग,
जुद्ध वेल़ा जगरामवत।।
(उलेख्य है कै ऐ जादूरामजी कविश्रेष्ठ कृपारामजी खिड़िया रा अग्रज हा।)
भखरी गढ रा दरवाजा खुलिया अर केशरिया करर मेड़तियां मरण तिंवार मनायो।केशरीसिंहजी अदम्य साहस रै पाण मारवाड़ री आब कायम राखी जिणरो साखी किणी कवि रो ओ दूहो पढणजोग है-
केहरिया करनाल़ ,
जे न जुड़त जैसाह सूं।
आ मोटी अवगाल़,
रैती सिर मारूधरा।।
महावीर केशरीसिंहजी देश रै माण नै अखी राखतां थकां वीरगति रो वरण कियो।कविवर उदयराजजी ऊजल़ कितरी सटीक लिखी है-
सेखी जैपर सेनरी,
भखरी पर भागीह।
करगो टकरी केहरी,
लंगरधर लागीह!!
गिरधर दान रतनू दासोड़ी
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