रविवार, 29 जनवरी 2017

जलंधरनाथ सुजस

जलंधरनाथ सुजस

गिरधर दान रतनू दासोड़ी
किणियागिर री किंदरां,
वसै जलंधर वास।
प्रतख जोगी पूरणो,
आप जनां री आस।।1
दाल़द दासां दाटणो,
उरड़ आपणो आथ।
जोगी रहै जाल़ोर में,
नमो जल़धरनाथ।।2
जाहर जूनी जाल़ियां,
थाहर सिंघां थाट।
जिथियै नाथ जलंधरी,
हर हर खोली हाट।।3
सैखाल़ै रू सोनगिर,
जप-तप नगर जोधाण।
तापस रातै गिरँद त़ू,
इथियै रहै अमाण।।4
रातै गिर सिर राजणो
रटणो हर हर हेर।
वाहर जाहर बाल़कां
दुरस करै नीं देर।।5
भीम दलो रु कान भण,
सबल़ो लाल़स साच।
ज्यां सिर नाथ जलंधरी ,
आय दिया निज आच।।6
अपणाया निज आप कर
सेवग किया सनाथ।
वसुधा तिण दिन बाजियो,
नमो चारणानाथ।।7
छंद रूपमुकंद
बजियो धर चारणनाथ बडाल़िय,
रंग सदामत रीझ रखी।
सबल़ै दलसाह रु भीमड़(भीमड़ै) सांप्रत,
आपरि कीरत कान अखी।
तद तोड़िय दाल़द तूठ तिणां पर,
बात इल़ा पर आज बहै।
जय नाथ जलंधर जोगिय जाहर,
राज रातैगिर थान रहै।।
राज रातै गिर वास रहै।।1
भल अंग भभूत सुसोभित भारण,
धारण ध्यान धणी धजरो।
श्रवणां बिच कुंडल़ वेस सिंदूरिय,
आच कमंडल़ है अजरो।
जग कारण जोग जगावत जाणिय,
सामियमोड़ समाज सहै।
जय नाथ जलंधर जोगिय जाहर,
राज रातैगिर थान रहै।।2
अवधूत अलेखत नांमत आगल़,
पांमत क्रांमत नाय पुणां।
गुरु गोरखनाथ गहीर गुणाढय,
सांझ मछंदर संग सुणां।
रमता कई सिद्ध धुणी तप रावल़,
ग्यान मुनेसर आय गहै।
जय नाथ जलंधर जोगिय जाहर,
राज रातैगिर थान रहै।।3
समरत्थ सिधेसर आप तणी सत,
चाव उछाव चलै चरचा।
रँक राव किया अपिया द्रब राजस,
पेख सुभाव दिया परचा।
मरुदेश तप्यो हद मान महीपत,
पाव तिहाल़िय ओट पहै।
जय नाथ जलंधर जोगिय जाहर,
राज रातैगिर थान रहै।।4
वर आसण धार विछाय बघंबर,
ओढण अंबर गात अहो।
धुन धार जटेसर जापण धारण,
कारण जारण ताप कहो।
सज संतन काज सताब सुधारण,
थाट अपारण आप थहै।
जय नाथ जलंधर जोगिय जाहर,
राज रातै गिर थान रहै।।5
किणियागिर पाट जहान कहै इम,
राजत आण अमाण रमै।
तन ताप जमात सनाथ तपेसर
जाण जाल़ां बिच जोर जमै।
थल़वाट शेखाल़य गोगरु थांनग,
मंझ मरूधर देश महै।
जय नाथ जलंधर जोगिय जाहर,
राज रातै गिर थान रहै।।6
मुख नूर निरम्मल़ तेज महीयल़,
देह कड़क्कड़ ऐह दिपै।
विरदाल़ निजां जन बुद्ध वरीसण,
काम मनोरथ कष्ट कपै।
उपजै उकती उर म़ांय अमामिय,
जामिय तूझ रि जाप जहै।
जय नाथ जलंधर जोगिय जाहर,
राज रातैगिर थान रहै।।7
वरणूं वनवासिय हेक विसासिय,
आसिय पूरण तूं अमणी।
सुणजै सुखरासिय साद सँनासिय,
तीख प्रकासिय आप तणी।
हिव गीध उपासिय तो हिवल़ासिय,
दीह उजासिय साम दहै।
जय नाथ जलंधर जोगिय जाहर,
राज रातैगिर थान रहै।।8
छप्पय
जयो जलंधरनाथ,
वाह जोगी विरदाल़ा।
जिण जपियो मन जाप,
वण्यो हमगीर वडाल़ा।
जूनी जाल़ां जोर,
तवां जाल़ोर तिहाल़ी।
वडी कंदरां वास,
इल़ा जसवास उजाल़ी।
शेखाल़ै थल़ी मँदर सिरै,
रातै गिरँदां रीझियै।
कवियाण गीध कीरत कथै,
दाता आणद दीजियै।।
गिरधर दान रतनू दासोड़ी

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