बुधवार, 18 जनवरी 2017

साध सती अर सुरमा;

साध सती अर सुरमा;
ग्यानी और गजदंत!
ऐ पाछा ना बावड़ै;
जै जुग जाय अनंत!!१!!

मैहा मंडण बीजळी;
सरवर मंडण पाळ!
बाप ज मंडण दीकरी;
घर री मंडण नार!!२!!

तिरियॉ मूरत प्रेम री;
सुख दुख भागीदार!
जिणनै जूती पॉव री;
समझै सोय गंवार!!३!!

तिरिया थॉ में तीन गुण;
औगण और घणैह !
घर मंडण मंगळ करण;
पूत सपूत जणैह!!४!!

नारी नारी मत करो;
नारी नर री खॉण !
अंत समै भी दैखियै;
नारी में ही प्रॉण !!५!!

नारी रै अपमान सूँ;
गयौ बंश अरूं दैश!
कौरव सारा कट गया;
अधरम सूं हुक्मैश!!६!!

पुरस बिचारा क्या करै;
जो घर नार कुनार!
ओ सीवै दो ऑगळ;
बॉ फाड़ै गज च्यार!!७!!

औछे घर की बहुँ बुरी;
बिन न्यॉणै की गाय!
रौपे रण रोज रो;
बादै लात लगाय!!८!!

पॉव पिछॉणै मौजडी;
नैण पिछॉणै नैह !
पीव पिछॉणै गौरड़ी;
मौर पिछॉणै मैह!!१०!!

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें