शंभु- स्तवन-
गिरधर दान रतनू दासोड़ी
दूहा
सुंदर सुखदायक सदा ,
कँदरां घर कैल़ास।
पनंगैसुर पूरै सदा,
आयां चरणां आस।।१
रुंडमाल़ा कंठां रहे,
मयँक सदा सिरमाथ।
फणवाल़ा गल़ फाबता,
नमो रीझाणां नाथ।।२
गंगा मसतक में गहर ,
नहर खल़क्कै नीर।
अहर निसा उण सूं अजब,
गरजत रीझ गँभीर।।३
राख चढायां रीझवै ,
तोड़ै दल़द तड़ाक।
दिन वाल़ै धिन दासरा
भाल़ै भीर भड़ाक।।४
बहै सवारी बैलियो
भलां झेलियो भार।
अहो नाथ अलबेलियो
सदा दासां री सार।।५
छंद भुजंगी
नमो वास कैल़ास ऐवास बाबो।
गुढै गात पे धारबा नाय गाभो।
रहे जागतो जोग में दीह रातं।
नमो शंभु नाथं नमो शंभुनाथं।।६
भयंकार भोताड़ उज्जाड़ भाल़ो।
जठै झाड़ झंखाड़ रै सून जाल़ो।
बठै रीझियां साम की थाट बातं।।
नमो ७
नमो गंगधारा हली बैय नामी।
थिरां सीस में भोल़ियै नाथ थामी।
सदा दास रै खास हो सुक्खदातं।
नमो ८
रहै राकसां भाखसां आप रीझ्यो।
खमा दाबिया दैतड़ां जुद्ध खीझ्यो।
छती भीजियो सेवगां राख छातं।
नमो ९
अहो रंजियो भंग सूं आप ओपै।
कृपा छांड नैं काम रै सीस कोपै।
गही सूल़ नैं मेटियो कीध घातं।
नमो १०
घणा खेलणा भूतड़ा आप गोढै।
किलक्कार कारोल़िया कीध कोडै।
नमो नाथ री टाल़वी ऐज न्यातं।
नमो ११
वरै भूखणां अंग पे सोभ बानी।
करै नाय आडंबरं मींट कानी।
अपै आपरै बाल़कां खूब आथं।
नमो १२
फणक्कार फूंकारता नाग फाबै।
तिका भाविया आविया आप ताबै।
सजै वींटियां झींटियां मांय साथं।
नमो १३
जयो लाभ संसार रै जैर जार्यो।
धिनो भाल़ पे चंद आणंद धार्यो।
गहै मृगछाल़ा रखै बांध गातं।
नमो १४
नरां रुंडमाल़ा रखै पैर नोखी।
सजै थान जीराण में देव सोखी।
भली कासिय वासिय नित्त भातं।
नमो १५
पुणां चंपणी आपरा पैर प्यारी।
नमो ऊमिया जामणी गेह नारी।
तवां पूत सूंडाल दूंधाल़ तातं
नमो १६
भणै गीधियो छंद नै ठाय भोल़ा।
मुदै मेटजै पात रा कर्म मोल़ा।
हिंवां राखजै सीस पे ईस हाथं।
नमो १७
कवत्त
नमो भोल़िया नाथ
तोड़िया अणहद तोटा।
नमो भोल़िया नाथ
आपियि कितरां ओटा।
नमो भोल़िया नाथ
भांगस धतूरा भोगी।
नमो भोल़िया नाथ
जगत रा मोटा जोगी।
चढायां राख रीझै चवां
खीझै राकस खाल़िया।
कवियाण गीध संभली कथा
पनँगैसुर संत पाल़िया।।१८
गिरधर दान रतनू दासोड़ी
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