रुकी नांही धर्म राह'सती सत वंती पद्मावती!
अखर्यों अल्लों आय पर्द'मन पुर माङि अती!! (1)
केद कर रांण लिन्यो'कुटल करहु महाराणी तांही!
पात भेज प्रेम पिताण्यो'नेह धर्म नार समझाही!!(2)
कटायों केद कंथ रांणी'दम दिखा तुर्काण को!
खिरें कोट खुन खेल'चिंतह रांणी चितांय को!!(3)
मरजाद देख दुनि मांहि'होत नांहि हिन्दू दांहि!
राखे आंन बान रजपुत'जुगा ज्यांरी बात केहि!!(4)*
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