बुधवार, 22 मार्च 2017

घणां पालिया शौक

घणां पालिया शौक जीवणों दोरो होग्यो रे
देवे राम नें दोष जमानों फौरो होग्यो रे

च्यारानां री सब्जी ल्यांता आठानां री दाल
दोन्यूं सिक्का चाले कोनीं भूंडा होग्या हाल
च्यार दिनां तक जान जींमती घी की भेंती धार
एक टेम में छींकां आवे ल्याणां पडे उधार
जीवणों दोरो---

मुंडे मूंड बात कर लेंता नहीं लागतो टक्को
बिनां कियां रिचार्ज रुके है मोबाईल रो चक्को
लालटेन में तेल घालता रात काटता सारी
बिजली रा बिल रा झटका सूं आंख्यां आय अंधारी
जीवणों दोरो---

लाड कोड सुं लाडी ल्यांता करती घर रो काम
पढी लिखी बिनणिंयां बैठी दिनभर करै आराम
घाल पर्स में नोट बीनणीं ब्यूटी पारलर जावे
बैल बणें घाणीं रो बालम परणीं मोज उडावे
जीवणों दौरो---

टी वी रा चक्कर में टाबर भूल्या खाणों पीणों
चौका छक्का रा हल्ला में मुश्किल होग्यो जीणों
बिल माथै बिल आंता रेवे कोई दिन जाय नीं खाली
लूंण तेल शक्कर री खातर रोज लडै घरवाली
जीवणों दौरो---

एक रुपैयो फीस लागती पूरी साल पढाई
पाटी बस्ता पोथी का भी रुप्या लागता ढाई
पापाजी री पूरी तनखा एडमिशन में लागे
फीस किताबां ड्रेसां न्यारी ट्यूशन रा भी लागे
जीवणों दौरो---

सुख री नींद कदै नीं आवे टेंशन ऊपर टैंशन
दो दिन में पूरी हो ज्यावे तनखा हो या पैंशन
गुटखां रा रेपर बिखरयोडा थांरी हंसी उडावे
रोग लगेला साफ लिख्यो पणं दूणां दूणां खावे
जीवणों दौरो---

पैदल चलणों भूली दुनियां गाडी ऊपर गाडी
आगे बैठे टाबर टींगर लारै बैठे लाडी
मैडम केवे पीवर में म्हें कदै नीं चाली पाली
मन में सोचे साब गला में केडी आफत घाली
जीवणों दोरो---

चाऐ पेट में लडै ऊंदरा पेटरोल भरवावे
मावस पूनम राखणं वाला संडे च्यार मनावे
होटलां में करे पार्टी डिस्को डांस रचावे
नशा पता में गेला होकर घर में राड मचावे
जीवणों दौरो ---

अंगरेजी री पूंछ पकडली हिंदी कोनीं आवे
कोका कोला पीवे पेप्सी छाछ राब नहीं भावे
कीकर पडसी पार मुंग्याडो नितरो बढतो जावे
सुख रा साधन रा चक्कर में दुखडा बढता जावे
जितरी चादर पांव पसारो मन पर काबू राखो
गजानंद भगवान भज्यां ही भलो होवसी थांको
जीवणों दौरो होग्यो रे

(25)आईदानसिह केतू धीरपुरा

मंगलवार, 21 मार्च 2017

घुड़ला पर्व

मारवाड़ में होली के बाद एक पर्व शुरू होता है
जिसे घुड़ला पर्व कहते है
कुँवारी लडकिया अपने सर पर एक मटका उठाकर उसके अंदर दीपक जलाकर गांव में घूमती है
घर घर घुड़लो जैसा गीत गाती है
अब यह घुड़ला क्या है
कोई नहीं जानता है
घुड़ला की पूजा शुरू हो गयी
यह भी ऐसा ही धतकर्म है जैसा की अकबर महान था
वास्तव में घटना यह है घुड़ला खान अकबर का मुग़ल सरदार था
नागोर राजस्थान के पीपाड़ गांव के पास एक गांव है कोसाणा
उस गांव में लगभग 200 कुंवारी कन्याये गणगोर पर्व की पूजा कर रही थी
वे व्रत में थी
उनको मारवाड़ी भाषा में तीजणियां कहते है
पूजन का स्थान तालाब का किनारा था
जो गांव से थोड़ा दूर था
जब घुड़ला खान वहां से अपनी टुकड़ी के साथ निकला तो इन बालिकाओं को पूजा करते देख
अकेला देख  उसकी नीयत बिगड़ गयी
उसने सभी का बलात्कार के उद्देश्य से अपहरण कर लिया
गांव वाले संख्या में काम होने से विरोध नहीं कर पाए
परन्तु जब इसकी सूचना रांव सातल जोधपुर को मिली तो
उसने घुड़ला खान का पीछा किया
उसकी पूरी टुकड़ी का वध किया
सब बालिकाओ को मुक्त कर उनके सतीत्व  की रक्षा करी
उसके बाद घुड़ला खान का  सर काट कर उन बालिकाओ को सुपर्द किया
यह सर एक मिट्टी के टूटे घड़े में रखा गया
तथा बालिकाओं ने उस सर को पुरे गाँव के हर घर में रौशनी कर बताया
यह है घुड़ले की वास्तविक कहानी
अब लोग रांव सातल को भूल गए
और घुड़ला खान को पूजने लग गये
इतिहास से जुडो
सातल को याद करो घुड़ले को जूते मारो
कथा साभार ठाकुर लाखन सिंह जी चौहान शंखवास जिला नागोर

सोमवार, 20 मार्च 2017

माँ शीतला कि पावन सत्य कथा

माँ शीतला कि पावन सत्य कथा

यह कथा बहुत पुरानी है एक वार शीतला माता ने सोचा कि चलो आज देखु कि धरती पर मेरी पूजा कोन करता है कोन मुझे मानता हे यही सोचकर शीतला माता धरती पर राजस्थान के डुंगरी गाँव में आई और देखा कि इस गाँव में मेरा मंदिर भी नही है। ना मेरी पुजा है माता शीतला गाँव कि गलियो में घूम रही थी तभी एक मकान के ऊपर से किसी ने चावल का उवला पानी (मांड) निचे फेका वह उवलता पानी शीतला माता के ऊपर गिरा जिससे शीतला माता के शरीर में (छाले) फफोले पडगये शीतला माता के पुरे शरीर में जलन होने लगी शीतला माता गाँव में इधर उधर भाग भाग के चिल्लाने लगी अरे में जल गई मेरा शरीर तप रहा है जल रहा हे कोई मेरी मददकरो लेकिन उस गाँव में किसी ने शीतला माता कि मदद नही कि तभी अपने घर बहार एक कुम्हारन (महिला) बेठी थी उस कुम्हारन ने देखा कि अरे यह बुडी माई तो बहुत जलगई इसके पुरे शरीर में तपन है इसके पुरे शरीर में (छाले) फफोले पड़गये है यह तपन सहन नही कर पा रही है तब उस कुम्हारन ने कहा है माँ तू यहाँ आकार बेठ जा में तेरे शरीर के ऊपर ठंडा पानी डालती हु कुम्हारन ने उस बुडी माई पर खुब ठंडा पानी डाला और बोली हे माँ मेरे घर में रात कि बनी हुई रावडी रखी है थोड़ा दही भी है तु ठंडी (जुवार) के आटे कि रावडी और दही खाया इससे शरीर में ठंडाई मिली तब उस कुम्हारन ने कहा आ माँ बेठ जा तेरे सिर के बाल बिखरे हे ला में तेरी चोटी गुथ देती हु और कुम्हारन माई कि चोटी गूथने हेतु (कंगी) कागसी बालो में करती रही अचानक कुम्हारन कि नजर उस बुडी माई के सिर के पिछे पड़ी तो कुम्हारन ने देखा कि एक आँख वालो के अंदर छुपी हे यह देखकर वह कुम्हारन डर के मारे घबराकर भागने लगी तभी उस बुडी माई ने कहा रुक जा बेटी तु डरमत में कोई भुत प्रेत नही हु में शीतला देवी हु में तो इस घरती पर देखने आई थी कि मुझे कोन मानता है। कोन मेरी पुजा करता है इतना कह माता चारभुजा वाली हीरे जबाहरात के आभूषण पहने सिर पर स्वर्णमुकुट धारण किये अपने असली रुप में प्रगट हो गई माता के दर्शन कर कुम्हारन सोचने लगी कि अब में गरीब इस माता को कहा विठाऊ तब माता बोली हे बेटी तु किस सोच मे पडगई तब उस कुम्हारन ने हाथ जोड़कर आँखो में आसु बहते हुए कहा है माँ मेरे घर में तो चारो तरफ दरिद्रता है बिखरी हुई हे में आपको कहा बेठाऊ मेरे घर में ना तो चोकी है ना बैठने का आसन तब शीतला माता प्रसन्न होकर उस कुम्हारन के घर पर खड़े हुए गधे पर बेठ कर एक हाथ में झाड़ू दूसरे हाथ में डलिया लेकर उस कुम्हारन के घर कि दरिद्रता को झाड़कर डलिया में भरकर फेक दिया और उस कुम्हारन से कहा है बेटी में तेरी सच्ची भक्ति से प्रसन्न हु अब तुझे जो भी चाहिये मुझसे वरदान मांग ले तब कुम्हारन ने हाथ जोड़ कर कहा है माता मेरी इक्छा है अब आप इसी (डुंगरी) गाँव मे स्थापित होकर यही रहो और जिस प्रकार आपने आपने मेरे घर कि दरिद्रता को अपनी झाड़ू से साफ़ कर दूर किया ऐसे ही आपको जो भी होली के बाद कि सप्तमी को भक्ति भाव से पुजा कर आपकी ठंडा जल दही व वासी ठंडा भोजन चडाये उसके घर कि  दरिद्रता को साफ़ करना और आपकी पुजा करने वाली नारि जाति (महिला) का अखंड सुहाग रखना उसकी गोद हमेसा भरी रखना साथ ही जो पुरुष शीतला सप्तमी को नाई के यहा बाल ना कटवाये धोबी को कपड़े धुलने ना दे और पुरुष भी आप पर ठंडा जल चडाकर नरियल फूल चडाकर परिवार सहित ठंडा वासी भोजन करे उसके काम धंधे व्यापार में कभी दरिद्रता ना आये तव माता बोली तथाअस्तु है बेटी जो जओ तुने वरदान मांगे में सब तुझे देती हु । है बेटी तुझे आर्शिबाद देती हु कि मेरी पुजा का मुख्ख अधिकार इस धरती पर सिर्फ कुम्हार जाति का ही होगा। तभी उसी दिन से डुंगरी गाँव में शीतला माता स्थापित हो गई और उस गाँव का नाम हो गया (शील कि डुंगरी) शील कि डुंगरी भारत का एक मात्र मुख्ख मंदिर है। शीतला सप्तमी वहाँ बहुत विशाल मेला भरता है। इस कथा को पड़ने से घर कि दरिद्रता का नाश होने के साथ सभी मनोकामना पुरी होती है।
जय माँ शितला सबका कल्याण करे..

रविवार, 19 मार्च 2017

ओ कांई हुग्यो ??

राजस्थानी छात्र~~~
परीक्षा देते समय...
ओ हुग्यो
ओ भी हुग्यो
ओ भी हुग्यो
और
ओ भी हुग्यो ।।
और परिणाम आने के समय...
ओल्ले...
ओ कांई हुग्यो ??

शीतला माता पुजा (बास्योडा) का शास्त्रीय आधार

*शीतला माता पुजा (बास्योडा) का शास्त्रीय आधार*

प्रश्नन : इस बार शीतला माता की पूजा कब करे?
® : लोकपर्व बास्योड़ा (शीतलाष्टमी) * सोमवार ( 2O मार्च, 2017)* को मनाया जाएगा। इससे पहले रविवार को घरों में विभिन्न पकवान बनाए जाएंगे। शीतलाष्टमी पर शीतला माता के भोग के लिए पुए, पापड़ी, राबड़ी, लापसी और गुलगुले सहित विभिन्न पकवान तैयार किए जाएंगे।

* सोमवार को महिलाएं शीतला माता की पूजा-अर्चना कर उन्हें ठंडे पकवानों का भोग लगाकर परिजनों की सुख-समृद्धि की कामना करें।*

प्रश्न : *क्यों लगाते हैं ठंडे पकवानों का भोग,*
®: भारतीय संस्कृति में जितने भी पर्व-उत्सव मनाए जाते हैं *उनका संबंध ऋतु, स्वास्थ्य, सद्भाव और भाईचारे से है।* होली के बाद मौसम का मिजाज बदलने लगता है और गर्मी भी धीरे-धीरे कदम बढ़ाकर आ जाती है। बास्योड़ा मूलतः इसी अवधारणा से जुड़ा पर्व है।

इस दिन ठंडे पकवान खाए जाते हैं। राजस्थान में बाजरे की रोटी, छाछ, दही का सेवन शुरू हो जाता है ताकि गर्मी के मौसम और लू से बचाव हो सके। शीतला माता के पूजन के बाद उनके जल से आंखें धोई जाती हैं। यह हमारी संस्कृति में नेत्र सुरक्षा और खासतौर से गर्मियों में आंखों का ध्यान रखने की हिदायत का संकेत है।

प्रश्न : *क्या संदेश है इस पर्व का हमारे जीवन को?*
®: माता का पूजन करने से सकारात्मकता का संचार होता है। मस्तक पर तिलक लगाने का मतलब है अपने दिमाग को ठंडा रखो। जल्दबाजी से काम न लो। *विवेक और समझदारी से ही फैसला लो। क्रोध, तनाव और चिंता को पीछे छोड़कर वर्तमान को संवारो।*
®
प्रश्न : *क्या बहुत पुराना है ये प्रचलन*
® : बास्योड़ा के दिन नए मटके, दही जमाने के कुल्हड़, हाथ से चलने वाले पंखे लाने व दान करने का भी प्रचलन है। यह परंपरा बताती है कि हमारे पूर्वज ऋतु परिवर्तन को स्वास्थ्य के साथ ही परोपकार, सद्भाव से भी जोड़कर रखते थे। यह प्रचलन तब से है जब कूलर, फ्रीज, एसी जैसे उपकरणों का आविष्कार भी नहीं हुआ था।
प्रश्न : *कैसे करें मां शीतला का पूजन?*
उतर: बास्योड़ा के दिन सुबह एक थाली में राबड़ी, रोटी, चावल, दही, चीनी, मूंग की दाल, बाजरे की खिचड़ी, चुटकी भर हल्दी, जल, रोली, मोली, चावल, दीपक, धूपबत्ती और दक्षिणा आदि सामग्री से मां शीतला का पूजन करना चाहिए। पूजन किया हुआ जल सबको आंखों से लगाना चाहिए ।।

शनिवार, 18 मार्च 2017

किण स्यूं किंया बात करणी चाईजै

*किण स्यूं किंया बात करणी चाईजै* ..

माँ= स्यूं बिन्या भेद ...खुल'र बात करणी
बाप= स्यूं आदर स्यूं बात करणी...
गुरूजी= स्यूं नजर नीची कर'र बात करणी ...
भगवान= स्यूं नैण भर'र बात करणी ...
भायां= स्यूं हियो खोल'र बात करणी ...
बैना= स्यूं हेत सू बात करणी ...
टाबरा= स्यूं हुलरा'र बात करणी..
सगा-समधी= स्यूं सन्मान दे'र बात करणी ...
भायलां= स्यूं हंसी मजाक सू बात करणी...
अफसरा= स्यूं नम्रता स्यूं बात करणी ...
दुकान हाळै= स्यूं कडक स्यूं बात करणी..
गिराक= स्यूं ईमानदारी स्यूं बात करणी ...
और
*घरवाळी स्यूं ....अं हं हं हं ह ह..... *
अठै आतां चेतो राखणो .....
ई, माते-राणी आगै तो चुप ही रेणो ....
नत-मस्तक हू'र सगळी सुण लेणी ...
बोलणूं घातक हुवै ।
फेर भी कोई रै घणी ही बाकड़ चालती हुवै तो...
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आगली-पाछली ..तीन भो की सोच'र बात करणी ..

मंगलवार, 14 मार्च 2017

म्हांरै जीवतां डंड भरावै!उणां री भुजां में गाढ चाहीजै!!

*म्हांरै जीवतां डंड भरावै!उणां री भुजां में गाढ चाहीजै!!*
*-गिरधर दान रतनू दासोड़ी*
भारत रै इतिहास अर विशेषकर राजस्थान रै इतियास में चहुवांणां रो नाम ऊजल़ो।
गोगदेव, अचल़ेश्वर पृथ्वीराज, कान्हड़देव,वीरमदेव,मालदेव बणवीर,हम्मीर,कान्हो डूंगरोत,सांवल़दास-करमसी जैड़ा अनेक सपूत चावा रैया है।किणी कवि कैयो है-
गोकल़ीनाथ जग जापिये,
कान्हड़दे मालम करै।
ए राव सुखत्री ऊपना ,
चवां वंश चहुवांण रै।।
चहुवांणां री एक शाखा 'वागड़िया चहुवांण'।इण शाखा में मुंधपाल मोटो मिनख होयो।इणी मुंधपाल री वंश परंपरा में बालो अर बालै रै डूंगरसी होयो।डूंगरसी ,राणै सांगै रै मोटै सामंतां में शुमार।जिणरै बदनोर पटै।डूंगरसी कई जुद्धां में आपरी वीरता बताई ।जद राणै अहमदाबाद रै शासक मुदाफर माथै हमलो कियो उण बगत ई डूंगरसी आपरै पूरै कुंटबी वीरां साथै हरावल़ में हो।अहमदाबाद रै गढ री जंगी पोल़ जद किणीगत नीं खुली उण बगत डूंगरसी रै बेटे कान्है पोल़ री शूल़ां रै आडै ऊभर हाथियां री सूंड सूं बींधीज पोल़ पटकाई।इणी डूंगरसी रै एक बेटे लालसी  रो बेटो सांवल़दास अर दूजै बेटै सूरसी रो भाण अर भाण रो करमसी होयो।
आ बात सांवल़दास-करमसी री वीरता अर अदम्य साहस री है।
उण दिनां डूंगरपुर माथै रावल़ आसकरण(1603-1637) राज करै।ऐ आसकरण रा मोटा सामंत ।उदयपुर माथै राणा उदयसिंह(1597-1628) रो राज।उदयसिंह आपरा आदमी मेल आसकरण नै धमकायो अर डंड सरूप घोड़ा मांगिया।आसकरण री उदयसिंह सूं टक्कर लेवण री आसंग नीं पड़ी उण डरतै डंड भरण री हां भरली अर घोड़ा पुगावण री तैयारी करण लागो।आ बात जद वागड़ियै वीरां सांवल़दास अर करमसी नै ठाह पड़ी तो बै अजेज आपरै ठिकाणै सूं डूंगरपुर आया।रावल़ आसकरण अर उणरै बीजै सिरदारां नै फटकारिया।सांवल़दास कैयो "थे डंड री हां भरणिया कुण हो?म्हे वागड़ रा भोमिया हां अर इण भोम री आबरू राखणो म्हांरो कर्त्तव्य है।म्हे मर थोड़़ा ग्या जिको उदयपुर वागड़ सूं अणखाधी रो डंड भरावै।कोई डंड नीं।म्हे मरांला अर मारांला पण डंड नीं दां ला-
खागां वागां खिर पड़ै,
परतन छाडै पग्ग।
रंग अणी रा रावतां,
टणकां आडी टग्ग।।
कविवर मेहा वीठू आपरी कालजयी कृति -'करमसी-सांवल़दास चहुंवांण रा कवित्त' में लिखै-
परधांन मेल्हि चित्रोड़पति,
डूंगरपुरांस दक्खियो।
मांगिया उदैसिंघ मछरियै,
दियो डंड घोड़ां दियो।।
......
मेवाड़ै मांगिया,
पवंग कनला डूंगरपुर।
सुणै बात चहुंव़ांण,
रोसि हंसिया राजेसर।
म्हे वागड़ भोमिया,
भोमि वागड़ म्हां पूठी।
ताइ भविता नह टल़ै,
परमि जाइ लेखै परठी।
इखेवि अंत डर अंतरै,
सिरै डंड जाइसां सहै।
जीवियो अजीवित ताहि जग,
करमसीह सांवल़ कहै।।
आसकरण ई इण वीरां रै साहस अर वीरता सूं परिचित हो।उण डंड भरण सूं मना कर दियो।आ बात उदयसिंह रै प्रधानां राणै नैं मांडर बताई-
कारिमां पिंड जतनह किसा,
कथन मुक्खि एरस कहै।
ऊद रा प्रधानां आगल़ी,
सांमल़ डंड न सहै।।(मेहा वीठू)
आ बात सुण र उदयसिंह आपरी फौज डूंगरपुर माथै मेली।इण वीरां मेवाड़ी सेना नै धूड़ चटा दीनी। वीरता अर अडरता सूं मुकाबलो कियो अर लड़तां थकां वीरगति वरी-
मरण करै मछरीक,
विढै चढै विम्माणै।
पल़चारी पल़ भखै,
रुधर पूरै रणढाणै।
सात वीस रावत्त,
सांमि सरसां समरट्टां।
सतियां झूल़ सहेत,
वरां सरिसै कुल़वट्टां।
मेवाड़ दल़ सो लोह मिल़ि,
हेकव के जए तांम होइ।
करमसी अने सोमल़ि कियो,
करै न इम अवसांण कोइ।।(मेहा वीठू)
आ बात किणी ऐतिहासिक ग्रंथां में तो नीं मिलै पण कविवर मेहा वीठू री इण कृति में आए इण दाखलै री साखी वनेश्वर महादेव रै कनै विष्णु मंदिर री आषाढादि वि.सं.1617 (चैत्रादि 1618 शाके 1483 जेठ सुदि 3 री महारावल़ आसकरण रै समै री प्रशस्ति है-
पृथ्वीराजात्मजो योशावाशकर्णः श्रियान्वितः
यस्य किंकर वर्गेण मेदपाट पतिर्जित।।
अर्थात पृथ्वीराज रै पुत्र सम्पतिशाली आसकरण रै सेवकां मेवाड़ रै राजा नै जीतियो।
वागड़ियै चहुवांण वीरां आपरी बात अर जनमभोम रो गौरव अखी राखियो।
गिरधर दान रतनू दासोड़ी

शनिवार, 11 मार्च 2017

नवी बीनणी

सासू जी पहली वार रसोई बणावण वाळी नवी बीनणी मे पूछ्यो,

बेटा थने रसोई मे कंई कंई आवे

बीनणी बोली सासू जी....

आळस,पसीनो और चक्कर

छोरी आळा

छोरी आळा लड़को देखण न गया।
लड़को देख्यो, लड़को एकदम दूबळो
पण सरकारी नौकरी लागेड़ो हो ।
थोड़ी देर बात कर छोरी आळा बोल्या जी म्हे थोडी देर म पाछा आवां हां।
लड़का ळा सोच्यो कोई जाण पिछाण का होव ला , मिलण न जाता होसीं।

छोरी आळा बजार जा र पाछा आया
सा ग एक घी को पीपो ल्याया।
लड़क का बाप न देर बोल्या लड़का न गून का लाडू जिमावो, तीन महीना पीछ बात करस्यां।
लड़का को बाप बोल्यो  - जे तीन महीना पीछ भी ओ दूबळो ई रियो जणां ?
छोरी आळा  बोल्या - -  तो कोई बात न तो जणां छोरी डूबण स तो पीपो डूबेड़ो चोखो।

स्टाइल ऑफ गुड नाइट...

स्टाइल ऑफ गुड नाइट...

फ्रेन्ड- गुड नाइट यार...

लवर- गुड नाइट जानू...

डेड- गुड नाइट बेटा...
लेकिन

मारवाङी मॉ- अब सोजा गधेडा 12 बजगी 12-12 बजिया तक तो सौवे कोनी 10-10 बजिया तक उठै कोनी पुरो गॉव सो जावे मगर ओह डाकी  कोनी सोवे टाबर तो घणी देखिया पर थारे जेङा कोनी देखिया अब सोवै है के थारे बाप ने हेलो मारू...