शनिवार, 22 जुलाई 2017

परमवीर चक्र विजेता, शहीद पीरू सिंह जी ‌शेखावत

झुन्झुनू जिले के शेर, परमवीर चक्र विजेता, शहीद पीरू सिंह जी ‌शेखावत को उनके शहादत दिवस पर कोटि कोटि नमन।
शहीद कंपनी हवलदार मेजर (CHM) पीरू सिंह शेखावत
परमवीर चक्र (मरणोपरांत)
20 मई 1918 - 18 जुलाई 1948
यूनिट - 6 राजपूताना रायफल्स
लड़ाई - टीथवाल की लड़ाई
युद्ध - भारत - पाक कश्मीर युद्ध 1947-48

======जन्म=======

CHM पीरू सिंह का जन्म 20 मई 1918 को गाँव रामपुरा बेरी, (झुँझुनू) राजस्थान में हुआ | वह 20 मई 1936 को 6 राजपुताना रायफल्स में भर्ती हुए |
======वीरगाथा=====

1948 की गर्मियों में जम्मू & कश्मीर ऑपरेशन के दौरान पाकिस्तानी सेना व कबाईलियों ने संयुक्त रूप से टीथवाल सेक्टर में भीषण आक्रमण किया | इस हमले में दुशमन ने भारतीय सेना को किशनगंगा नदी पर बने अग्रिम मोर्चे छोड़ने पर मजबूर कर दिया | इस झटके के बाद भारतीय सेना ने टीथवाल पहाड़ी पर मोर्चा संभाल लिया |

इस परिस्थिति में इस सेक्टर में आसन्न हमलों को देखते हुए 163 ब्रिगेड को मजबूती देने के लिए 6 राजपुताना रायफल्स ने उरी से टीथवाल की तरफ कूच किया | भारतीय हमले 11 जुलाई 1948 को शुरू हुए | यह ऑपरेशन 15 जुलाई तक अच्छी तरह जारी रहे | इस इलाके में दुश्मन एक ऊँची पहड़ी पर काबिज था, अत: आगे बढ़ने के लिए उस जगह पर कब्जा करना बहुत ही आवश्यक था | उस के नजदीक ही दुश्मन ने एक और पहाड़ी पर बहुत ही मजबूत मोर्चाबंदी कर रखी थी | 6 राजपुताना रायफल्स को इन दोनों पहाड़ी मोर्चों पर फिर से काबिज होने का विशेष काम दिया गया |

6 राजपुताना रायफल्स की "D" कंपनी को पहले अपने लक्ष्य पर हमला कर वहां ये दुश्मन को खदेड़ना था | जबकि "C" कंपनी को अपने लक्ष्य पर तब हमला करना था, जब "D" कंपनी अपने लक्ष्य पर अच्छी तरह काबिज हो जाए | "D" कंपनी ने 18 जुलाई 1948 को दोपहर 1:30 बजे अपने लक्ष्य पर हमला किया | उस पोस्ट की तरफ जाने वाला रास्ता लगभग मात्र एक मीटर ही चौड़ा था, व इस के दूसरी तरफ गहरे खतरनाक दर्रे थे | यह संकरा रास्ता दुश्मन के गुप्त बंकरों की जद में भी था | इस रास्ते में आगे बढ़ने पर "D" कंपनी दुश्मन की भीषण गोलाबारी की चपेट में आ गई, व आधे घंटे में ही कंपनी के 51 सैनिक शहीद हो गए |
इस हमले के दौरान CHM पीरू सिंह इस कंपनी के अगुवाई करने वालों में से थे, जिस के आधे से ज्यादा सैनिक दुश्मन की भीषण गोलाबारी में मारे जा चुके थे | पीरू सिंह दुश्मन की उस मीडियम मशीन गन पोस्ट की तरफ दौड़ पड़े जो उन के साथियों पर मौत बरसा रही थी | दुश्मन के बमों के छर्रों से पीरू सिंह के कपड़े तार - तार हो गए व शरीर बहुत सी जगह से बुरी तरह घायल हो गया, पर यह घाव वीर पीरू सिंह को आगे बढ़ने से रोक नहीं सके | वह राजपुताना रायफल्स का जोशीला युद्धघोष " राजा रामचंद्र की जय" करते लगातार आगे ही बढ़ते रहे | आगे बढ़ते हुए उन्होनें मीडियम मशीन गन से फायर कर रहे दुश्मन सैनिक को अपनी स्टेन गन से मार डाला व कहर बरपा रही मशीन गन बंकर के पूरे crew को मार कर उस पोस्ट पर कब्जा कर लिया | तब तक उन के सारे साथी सैनिक या तो घायल होकर या प्राणों का बलिदान कर रास्ते में पीछे ही पड़े रह गए | पहाड़ी से दुश्मन को हटाने की जिम्मेदारी मात्र अकेले पीरू सिंह पर ही रह गई | शरीर से बहुत अधिक खून बहते हुए भी वह दुश्मन की दूसरी मीडियम मशीन गन पोस्ट पर हमला करने को आगे बढ़ते, तभी एक बम ने उन के चेहरे को घायल कर दिया | उन के चेहरे व आँखो से खून टपकने लगा तथा वह लगभग अँधे हो गए | तब तक उन की स्टेन गन की सारी गोलियां भी खत्म हो चुकी थी | फिर भी दुश्मन के जिस बँकर पर उन्होने कब्जा किया था, उस बँकर से वह बहादुरी से रेंगते हुए बाहर निकले, व दूसरे बँकर पर बम फेंके |
बम फेंकने के बाद पीरू सिंह दुश्मन केे उस बँकर में कूद गए व दो दुश्मन सैनिकों को मात्र स्टेन गन के आगे लगे चाकू से मार गिराया | जैसे ही पीरू सिंह तीसरे बँकर पर हमला करने के लिए बाहर निकले उन के सिर में एक गोली आकर लगी फिर भी वो तीसरे बँकर की तरफ बढ़े व उस के मुहाने पर गिरते देखे गए |
तभी उस बँकर में एक भयंकर धमाका हुआ, जिस से साबित हो गया की पीरू सिंह के फेंके बम ने अपना काम कर दिया है | परतुं तब तक पीरू सिंह के घावों से बहुत सा खून बह जाने के कारण वो शहीद हो गए | उन्हे कवर फायर दे रही "C" कंपनी के कंपनी कमांडर ने यह सारा दृश्य अपनी आँखों से देखा | अपनी विलक्षण वीरता के बदले उन्होने अपने जीवन का मोल चुकाया, पर अपने अन्य साथियों के समक्ष अपनी एकाकी वीरता, दृढ़ता व मजबूती का अप्रतिम उदाहरण प्रस्तुत किया | इस कारनामे को विश्व के अब तक के सबसे साहसिक कारनामो में एक माना जाता है।

तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने उन की 75 वर्षीय माता श्रीमती तारावती को लिखे पत्र में लिखा कि "देश कंपनी हवलदार मेजर पीरू सिंह का मातृभूमि की सेवा में किए गए उनके बलिदान के प्रति कृतञ है, और हमारी ये प्रार्थना है की यह आप को कुछ

सोमवार, 17 जुलाई 2017

गीत वरसाल़ै रो चित इलोल

गीत वरसाल़ै रो चित इलोल

़-गिरधरदान रतनू दासोड़ी

अहर निस असमान आयो,
महर कर मघवान।
लहर कर हद ल़ोर लूंब्या,
ठहर थल़वाट थान।
तो थिरथानजी थिरथान,
थपियो इँद थल़वट थान।।1
गहर नभ गड़डाट गाजै,
धरर कर धड़ड़ाट।
अड़ड़ाट ओसर आवियो इल़,
डकर भर दड़ड़ाट।
तो कड़ड़ाटजी कड़ड़ाट
कड़कै बीजल़ी कड़ड़ाट।।2
छता सरवर तोय छौल़ां,
भरै तण-तण भाव।
खल़किया नद नीर खाल़ा
डगर दिस दरियाव।
तो मनभाव रै मनभाव ,
मुरधर रूप ओ मनभाव।।3
सुरपत्त भरिया खाडिया सह,
नाडिया नीवाण।
काढिया दिन कूट दुरभक्ख,
आप मनसुध आण।
तो महराण रै महराण,
मन रो इँदवो महराण।।4
हरस अवनी वसन हरिया,
पहरिया कर प्रीत।
जोप जोबन कोड करणी,
रीझ तरुणी रीत।
तो मनमीतजी मनमीत,
मिल़ियो आय वासव मीत।।5
सरस सावण रयो सुरँगो,
झड़ी मंडियो जोर।
तीज रै मिस वरस तूठो,
रसा तोड़ण रोर।
तो घणघोर रै घणघोर
घुरियो रीझ नै घणघोर।।6
भादवा तूं भलो भाई!
बूठियो वरियाम।
बूठियां तुझ मिटी विपती,
केक सरिया काम।
तो इमकामजी इमकाम
करिया भादवै भल काम।।7
किसन रा तर वसन कीधा
निमल पालर नीर।
पमँग निजपण आप पाया,
पेख गोगै पीर।
तो निजनीरजी निजनीर
नामी भादवै निजनीर।।8
जँगल़ धरती मँगल़ जोवो,
हरदिसा हरियाल़।
मुरधरा ठाकर आय मोटै,
काटियो सिर काल़।
तो हरियाल़जी हरियाल़
हरदिस थल़ी में हरियाल़।।9
धरा भुरटी मोथ धामण,
सरस सेवण साव।
मछर सुरभी महक मसती
चरै गंठियो चाव।
तो कर चावजी कर चाव,
चरणी चरै डांगर चाव।।10
डेयरियां में बधी डीगी,
बाजरी बूंठाल़।
मूंग मगरै तिल्ल तालर,
फूल मोठां फाल़।
तो मतवाल़जी मतवाल़
मुरधर रीझियो मतवाल़।।11
धापिया पालर देख धोरा,
भर्या तालर भाल़।
दहै टहुका मोर दादर,
ताण ऊंची टाल़।
तो नितपाल़जी नितपाल़,
परगल़ नेह सुरियँद पाल़।।12
मही माटां मांय मत्थणो,
देय झाटां दोय।
दही माखण देय दड़का,
लहै लावा लोय।
तो सब लोयजी सब लोय,
सब दिस हरसिया सह लोय।।13
रल़ियावणी धर करो रल़ियां,
थया थल़ियां थाट।
खरी इणविध लगी खेतां,
हेतवाल़ी हाट।
तो हिव हाटजी हिव हाट,
हर दिस हेत री थल़ हाट।।14
गिरधरदान रतनू दासोड़ी

बुधवार, 12 जुलाई 2017

हाबु दाना


एक महिला मॉल से बिस्कुट चुराते हुए पकड़ी गई

जज ने कहा : तुम ने जो बिस्कुट का पैकेट चुराया, उस में 10 बिस्कुट थे |इसलिए तुम्हे 10 दिन की जेल की सजा दी जाती है |

तभी पति पीछे से चिल्लाया : जज साहब, अणि हाबु दाना रो पैकिट भी लिदो है |

शनिवार, 1 जुलाई 2017

आ राजस्थानी भासा है

शक्तिदान कविया साब री अेक कविता निजर करूं सा... ल्यौ भणौ सा...

इणरौ इतिहास अनूठो है, इण मांय मुलक री आसा है ।
चहूंकूंटां चावी नै ठावी, आ राजस्थानी भासा है ।

जद ही भारत में सताजोग, आफ़त री आंधी आई ही ।
बगतर री कड़ियां बड़की ही, जद सिन्धू राग सुणाई ही ।
गड़गड़िया तोपां रा गोळा, भालां री अणियां भळकी ही ।
जोधारां धारां जुड़तां ही, खाळां रातम्बर खळकी ही ।
रड़वड़ता माथा रणखेतां, अड़वड़ता घोड़ा ऊलळता ।
सिर कटियां सूरा समहर में, ढालां तरवारां ले ढळता ।
रणबंका भिड़ आरांण रचै, तिड़ पेखै भांण तमासा है ।
उण बखत हुवै ललकार उठै, वा राजस्थानी भासा है ॥१॥

इणमें सतियां रा शिलालेख, इणमें संतां री बाणी है ।
इणमें पाबू रा परवाड़ा, इणमें रजवट रो पांणी है ।
इणमें जांभै री जुगत जोय, पीपै री दया प्रकासी है ।
दीठौ समदरसी रामदेव, दादू सत नांम उपासी है ।
इणमें तेजै रा वचन तौर, इणमें हमीर रो हठ पेखौ ।
आवड़ करनी मालणदे रा, इणमें परचा परगट देखौ ।
जद तांई संत सूरमा अर, साहितकारां री सासा है ।
करसां रै हिवड़ै री किलोळ, आ राजस्थानी भासा है ॥२॥

करमां री इण बोली में ही, भगवान खीचडौ़ खायौ है ।
मीरां मेड़तणी इण में ही, गिरधर गोपाळ रिझायौ है ।
इणमें ही पिव सूं माण हेत, राणी ऊमांदे रूठी ही ।
पदमणियां इणमें पाठ पढ्यौ, जद जौहर ज्वाळा ऊठी ही ।
इणमें हाडी ललकार करी, जद आंतड़ियां परनाळी ही ।
मुरधर री बागडोर इणमें ही, दुरगादास संभाळी ही ।
इणमें प्रताप रौ प्रण गूंज्यौ, जद भेंट करी भामासा है ।
सतवादी घणा सपूतां री, आ राजस्थानी भासा है ॥३॥

इणमें ही गायौ हालरियौ, इणमें चंडी री चिरजावां ।
इणमें ऊजमणै गीत गाळ, गुण हरजस परभात्यां गावां ।
इणमें ही आडी औखांणा, ओळगां भिणत वातां इणमें ।
जूनौ इतिहास जौवणौ व्है, तौ अणगिणती ख्यातां इणमें ।
इणमें ही ईसरदास अलू, भगती रा दीप संजोया है ।
कवि दुरसै बांकीदास करन, सूरजमल मोती पोया है ।
इणमें ही पीथल रचि वेलि, रचियोड़ा केइक रासा है ।
डिंगळ गीतां री डकरेलण, आ राजस्थानी भासा है ।।४॥

इणमें ही हेड़ाऊ जलाल, नांगोदर लाखौ गाईजै ।
सौढो खींवरौ उगेरै जद, चंवरी में धण परणाईजै ।
काछी करियौ नै तौडड़ली, राईको रिड़मल रागां में ।
हंजलौ मौरूड़ौ हाड़ौ नै, सूवटियौ हरियै बागां में ।
इणमें ही जसमां औडण नै, मूमल रूप सरावै है ।
कुरजां पणिहारी काछवियौ, बरसाळौ रस बरसावै है ।
गावै इणमें ही गोरबंद, मनहरणा बारैमासा है ।
रागां रीझाळू रंगभीनी, आ राजस्थानी भासा है ॥५॥

इणमें ही सपना आया है, इणमें ही औळूं आई है ।
इणमें ही आयल अरणी नै, झेडर बाळौचण गाई है ।
इणमें ही धूंसौं बाज्यौ है, रण-तोरण वन्दण रीत हुई ।
इणमें ही वाघै-भारमली, ढोलै-मरवण री प्रीत हुई ।
इणमें ही बाजै बायरियौ, इणमें ही काग करूकै है ।
इणमें ही हिचकी आवै है, इणमें ही आंख फ़रूकै है ।
इणमें ही जीवण-मरण जोय, अन्तस रा आसा-वासा है ।
मोत्यां सूं मूंगी घणमीठी, आ राजस्थानी भासा है ॥६॥

श्री नागणेच्या माता जी की भोग  आरती

श्री नागणेच्या माता जी की भोग  आरती
म्हारा कमधज कालरा सर्जनहार कलेवो कराताई मुलके
म्हारा राठोड कुलरा सिरताज कलेवो करताई हर्ष
सखिये  चन्द्र बदन  आरो रुप सुन्दर  ऑरी बिन्दिया चमके
सखिये   नागरी असवारी हाथा तो  आरे खड़क भलके
सखिये   लाडू पेडा रो प्रसाद घेवरीया आरे गले अटके
सखिये   लापसी रो भोग जीम लिया मैया जी झटके
सखिये   जल यमुना रो नीर झारी तो ल्याई सखि ललिता
सखिये   तुलसी सरस  अमृत कलेवा मे मैया जी के अमृत बरसे
जिमो जिमो मैया जी जिमावे थारा लाल
जिमो जिमो मैया जी जिमावे थारा लाल
म्हारा कमधज कुलरा सर्जनहार
कलेवो करताई मुलके
म्हारा राठोड कुलरा सिरताज कलेवो करताई हर्ष

शुक्रवार, 30 जून 2017

छंद: नाराच|

साहित्य जगत में छंद नाराच का महत्पूर्ण स्थान व  विशेष प्रभाव होता है इसी छंद की  संस्कृत भाषा में संगीतमय प्रस्तुति तथा  डिंगल साहित्यिक राजस्थानी की एक बानगी देखिये

                 *||छंद: नाराच||*

विडारणीय दैत वंश सेवगाँ सुधारणी।
निवासणी विघन अनेक त्रणां भुवन्न तारणी।
उतारणी अघोर कुंड अर्गला मां अर्गला।
करंत देवि हिंगळा कल्याण मात मंगळा॥1॥

रमे विलास मंगळा जरोळ डोळ रम्मिया।
सजे सहास औ प्रहास आप रुप उम्मिया।
होवंत हास वेद भाष्य वार वार विम्मळ।
करंत देवि हिंगळा कल्याण मात मंगळा॥2॥

रणां झणां छणां छणां विलोक चंड वाजणां।
असंभ देवि आगळी पडंत पाय पेखणां।
प्रचंड मुक्ख प्रामणा तणां विलंत त्रावळां।
करंत देवि हिंगळा कल्याण मात मंगळा॥3॥

रमां झमां छमां छमां गमे गमे खमा खमा।
वाजींत्र पे रमत्तीये डगं मगं तवेश मां।
डमां डमां डमक्क डाक वागि वीर प्रघ्घळा।
करंत देवि हिंगळा कल्याण मात मंगळा॥4॥

सोहे सिंगार सब्ब सार कंठमाळ कोमळा।
झळां हळां झळां हळां करंत कान कुंडळा।
सोळां कळा संपूर्ण भाल है मयंक निरमळा।
करंत देवि हिंगळा कल्याण मात मंगळा॥5

छपन्न क्रोड शामळा करंत रुप कंठळा।
प्रथी प्रमाण प्रघ्घळा ढळंत नीर धम्मळा॥
वळे विलास वीजळा झमां झऴो मधंझळा।
करंत देवि हिंगळा कल्याण मात मंगळा॥6॥

नागेशरां जोगेशरां मनंखरा रिखेशरां।
दिनंकरां धरंतरां दशे दिशा दिगंतरां।
जपै “जीवो” कहे है मात अर्गला मां अर्गला।
करंत देवि हिंगळा कल्याण मात मंगळा॥7॥

रचियता :- कविराज बचुभाई रोहड़िया ,गुजरात

बुधवार, 28 जून 2017

प्रभु सिंह राठौड़ रा मरसिया

अमर शहीद वीरवर प्रभु सिंह राठौड़ खिरजा के समाधि स्थल पर मूर्ति अनावरण समारोह की पूर्व संध्या दिनांक 25 जून 2017 को उनके पैतृक गांव में समाधि स्थल के पास एक विराट कवि सम्मेलन का आयोजन हुआ....
इस आयोजन में राजस्थान भर के डिंगल और वीर रस के ख्यातनाम कवियों ने वीरवर को अपनी काव्यांजलि पेश की ....जिसमें कवि वर श्रीमान नवल जी जोशी श्री डूंगर दान जी आसिया कवि मधुकर कवि मोहन सिंह जी रतनू कवि गिरधर दान रतनू कवि हिम्मत सिंह उज्जवल भारोड़ी मीर मीठा डाभाल वीरेंद्र सिंह जी लखावत सुरेश दान लक्ष्मण सिंह राठौड़ शंभू दानकजोई महेंद्र सिंह जी छायन कवि कान सिंह जी भाटी गड़ा रवि दर्शन सांदू , राजेंद्र झणकली हिंगलाज दान ओगाला सहित 25 से अधिक सुविख्यात कवियों ने रात्रि 3:00 बजे तक अपनी काव्य धारा से वीरवर को श्रद्धांजलि और भाव सुमन अर्पित किए ..

इस अवसर पर महा कवियों के इस महासंगम में मुझे भी अपनी कविता पाठ के द्वारा शब्द सुमन अर्पित करने का शुभ अवसर प्राप्त हुआ उसका वीडियो आपके लिए प्रस्तुत है

जुग जुग सूं रूडी ऐ रीतां , अब सैल अणी चढणों वाजिब
जस री जूणां जीवण खातर,  बार-बार मरणों  वाजिब

इतिहासां रा उजऴा आखर,  बोल रह्या साम्ही छाती
माथो दे 'र राखी मरजादा  कद देखी रजवट जाती
माटी रो मोल़ चुकाबा खातिर अरपण शीश करणो वाजिब.
जस री ......................

कुळ कीरत रा कांण कायदा , गोगो गुटकी लीनी ही
पुरखां रो पत पोखण सारूं,  परभू पालणां कीनी ही
खत्रवट री कर खेवना , अरियां सूं अडणों वाजिब
जस री ................

हिमाळो जद करी हुंकारा , कासमीर कुरळायो हो 
परभू डूंगर डिगा दिया , वो क्षत्राणी रो जायो हो
औसर जद ओ आय गयो , भूमि भार हरणों वाजिब
जस री ..........

परभू तो पण कौपियो , दुसमी आतां देख
मर कर भी धर दूं नहीं , अब तो आँगळ ऐक
धवल हिमाळै री धरती में,  रंग रगत भरणों वाजिब
जस री...................

रग-रग में रमी रणचंडी , काया में कंकाळी ही माछल में पाछल नहीं राखी,  राँघड़़ रसा रूखाळी ही
निवत जिमावां जोगणिया जद , खून-खप्पर भरणों वाजिब
जस री ............

गरजी तोपां घोर रव , गोऴां री घमरोळ
रणचण्डी राजी हुई ,करतब किया किलोळ
रणक उठे जद रणभेरी तो , सूर समर करणो वाजिब
जस री .................

रज रज कटियो राजवी , साँचो वीर सपूत
दागळ व्ही दुनियांण में , कायर री करतूत
क्षात्र धरम अर देशहित , मौत वरण करणों वाजिब
जस री ...............

सुरगांपत सुणजौ सकल , साँची करजौ सेव
पग पूजौ परभू तणां ,ओ देव देव महादेव
प्रणवीर परभेस ने निवण आज करणों वाजिब
जस री ....................

©© *रतन सिंह चाँपावत कृत*

शनिवार, 24 जून 2017

छोरी आळा लड़को देखण न गया।

छोरी आळा लड़को देखण न गया।
.
लड़को देख्यो, लड़को एकदम दूबळो
पण सरकारी नौकरी लागेड़ो हो ।
.
थोड़ी देर बात कर छोरी आळा बोल्या, जी म्हे थोडी देर म पाछा आवां हां।
.
लड़का ळा सोच्यो कोई जाण पिछाण का होवे ला , मिलण न जाता होसीं।
.
छोरी आळा बजार जा र पाछा आया
सागे एक घी को पीपो ल्याया।
.
लड़क का बाप न देर बोल्या, लड़का न गूंद का लाडू जिमावो, तीन महीना पाछे बात करस्यां।
.
लड़का को बाप बोल्यो  - जे तीन महीना पाछे भी ओ दूबळो ई रियो जणां ?
.
छोरी आळा  बोल्या - -  तो कोई बात नहीं,
छोरी डूबण स तो पीपो डूबेड़ो चोखो।

रविवार, 18 जून 2017

फोड़ा घणा घाले

'फोड़ा घणा घाले'

घटिया पाड़ोस,
बात बात में जोश,
कु ठोड़ दुखणियो,
जबान सुं फुरणियो....फोड़ा घणा घाले।

थोथी हथाई,
पाप री कमाई,
उळझोड़ो सूत,
माथे चढ़ायोड़ो पूत....फोड़ा घणा घाले।

झूठी शान,
अधुरो ज्ञान,
घर मे कांश,
मिरच्यां री धांस.... फोड़ा घणा घाले।

बिगड़ोडो ऊंट,
भीज्योड़ो ठूंठ,
हिडकियो कुत्तो,
पग मे काठो जुत्तो.... फोड़ा घणा घाले।

दारू री लत,
टपकती छत,
उँधाले री रात,
बिना रुत री बरसात....फोड़ा घणा घाले।

कुलखणी लुगाई,
रुळपट जँवाई,
चरित्र माथे दाग,
चिणपणियो सुहाग....फोड़ा घणा घाले।

चेहरे पर दाद,
जीभ रो स्वाद,
दम री बीमारी,
दो नावाँ री सवारी....फोड़ा घणा घाले।

अणजाण्यो संबन्ध,
मुँह री दुर्गन्ध,
पुराणों जुकाम,
पैसा वाळा ने 'नाम'....फोड़ा घणा घाले।

ओछी सोच,
पग री मोच,
कोढ़ मे खाज,
मूरखां रो राज....फोड़ा घणा घाले।

कम पूंजी रो व्यापार,
घणी देयोड़ी उधार,
बिना विचार्यो काम .... फोड़ा घणा घाले !

शुक्रवार, 16 जून 2017

राजस्थान चालीसा

राजस्थान चालीसा
------------------------
उत्तर देख्यो दिख्खणं देख्यो देश दिसावर सारा देख्या, पणं
हीरा तो चमके है बालू रेत में।
मोतीडा भलके है म्हारा देस में।

रणबंका सिरदार अठै है।
मोटा साहूकार अठै है।
तीखोडी तलवार अठै है।
भालां री भणकार अठै है।
साफा छुणगादार अठै है।
नितरा तीज तिंवार अठै है।
बाजर मोठ जंवार अठै है।
मीठोडी मनवार अठै है।
अन धन रा भंडार अठै है।
दानी अर दातार अठै है।
कामणगारी नार अठै है।
मुंछ्यांला मोट्यार अठै है।
पो पाटी परभात अठै है।
तारां छाई रात अठै है।
अर,तेजो तो गावे है करसा खेत में।
हीरा तो चमके है---------------------।

झीणो जैसलमेर अठै है।
बांको बीकानेर अठै है।
जोधाणों जालोर अठे है ।
अलवर अर आमेर अठै है।
सिवाणों सांचोर अठै है।
जैपर सांगानेर अठै है।
रुडो रणथंबोर अठै है।
भरतपुर नागौर अठै है।
उदयापुर मेवाड अठै है।
मोटो गढ चित्तोड अठै है।
झुंझनूं सीकर शहर अठै है।
कोटा पाटणं फेर अठै है।
आबू अर अजमेर अठै है।
छोटा मोटा फेर अठै है।
अर,डूगरपुर सुहाणों वागड देस में।
हीरा तो चमके है--------------------।

पाणीं री पणिहार अठै है।
तीजां तणां तिंवार अठै है।
रुपलडी गणगौर अठै है।
सारस कुरजां मोर अठै है।
पायल री झणकार अठै है।
चुडलां री खणकार अठै है।
अलगोजां री तान अठै है।
घूंघट में मुसकान अठै है।
खमां घणीं रो मान अठै है।
मिनखां री पहचाण अठै है।
मिनखां में भगवान अठै है।
घर आया मेहमान अठै है।
मीठी बोली मान अठै है।
दया धरम अर दान अठै है।
अर मनडा तो रंगियोडा मीठा हेत में।
हीरा तो चमके है बालू रेत में।
मोतीडा भलके है म्हारा देस में।
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गौरी पुत्र गणेश अठै है।
मीरां बाई रो देश अठै है।
मोटो पुष्कर धाम अठै है।
सालासर हनुमान अठै है।
रूणीचे रा राम अठै है।
गलता तीरथ धाम अठै है।
महावीर भगवान अठै है।
खाटू वाला श्याम अठै है।
चारभुजा श्रीनाथ अठै है।
मेंहदीपुर हनुमान अठै है।
दधिमती री गोठ अठै है।
रणचंडी तन्नोट अठै है।
करणी मां रो नांव अठै है।
डिग्गीपुरी कल्याण अठै है।
गोगाजी रा थान अठै है।
सेवा भगती ग्यान अठै है।
अर कितरो तो बखाणूं मरुधर देस नें।
हीरा तो चमके है-------------------------।

जौहर रा सैनाणं अठै है।
गढ किला मैदान अठै है।
हरिया भरिया खेत अठै है।
मुखमल जेडी रेत अठै है।
मकराणा री खान अठै है।
मेहनतकश इंशान अठै है।
पगडी री पहचाणं अठै है।
ऊंटां सज्या पिलाणं अठै है।
चिरमी घूमर गैर अठै है।
मेला च्यारूंमेर अठै है।
सीधी सादी चाल अठै है।
गीतां में भी गाल अठै है।
सीमाडे री बाड अठै है।
बेरयां रा शमशाणं अठै है।
तिवाडी रो देश अठै है।
ऐडी धरती फेर कठै है ।
साची केवूं झूठ कठै है ।
समझौ तो बैंकूठ अठै है।
अर आवो नीं पधारो म्हारा देश में।
हीरा तो चमके है बालू रेत में।
मोतीडा झलके है म्हारा देश में।
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