राजस्थानी छात्र~~~
परीक्षा देते समय...
ओ हुग्यो
ओ भी हुग्यो
ओ भी हुग्यो
और
ओ भी हुग्यो ।।
और परिणाम आने के समय...
ओल्ले...
ओ कांई हुग्यो ??
राजस्थानी बोलियों में कविताए कहानियां मजेदार चुटकुले गीत संगीत पर्यटन तथ्य रोचक जानकारियां ज्ञानवर्धन GK etc.
रविवार, 19 मार्च 2017
ओ कांई हुग्यो ??
शीतला माता पुजा (बास्योडा) का शास्त्रीय आधार
*शीतला माता पुजा (बास्योडा) का शास्त्रीय आधार*
प्रश्नन : इस बार शीतला माता की पूजा कब करे?
® : लोकपर्व बास्योड़ा (शीतलाष्टमी) * सोमवार ( 2O मार्च, 2017)* को मनाया जाएगा। इससे पहले रविवार को घरों में विभिन्न पकवान बनाए जाएंगे। शीतलाष्टमी पर शीतला माता के भोग के लिए पुए, पापड़ी, राबड़ी, लापसी और गुलगुले सहित विभिन्न पकवान तैयार किए जाएंगे।
* सोमवार को महिलाएं शीतला माता की पूजा-अर्चना कर उन्हें ठंडे पकवानों का भोग लगाकर परिजनों की सुख-समृद्धि की कामना करें।*
प्रश्न : *क्यों लगाते हैं ठंडे पकवानों का भोग,*
®: भारतीय संस्कृति में जितने भी पर्व-उत्सव मनाए जाते हैं *उनका संबंध ऋतु, स्वास्थ्य, सद्भाव और भाईचारे से है।* होली के बाद मौसम का मिजाज बदलने लगता है और गर्मी भी धीरे-धीरे कदम बढ़ाकर आ जाती है। बास्योड़ा मूलतः इसी अवधारणा से जुड़ा पर्व है।
इस दिन ठंडे पकवान खाए जाते हैं। राजस्थान में बाजरे की रोटी, छाछ, दही का सेवन शुरू हो जाता है ताकि गर्मी के मौसम और लू से बचाव हो सके। शीतला माता के पूजन के बाद उनके जल से आंखें धोई जाती हैं। यह हमारी संस्कृति में नेत्र सुरक्षा और खासतौर से गर्मियों में आंखों का ध्यान रखने की हिदायत का संकेत है।
प्रश्न : *क्या संदेश है इस पर्व का हमारे जीवन को?*
®: माता का पूजन करने से सकारात्मकता का संचार होता है। मस्तक पर तिलक लगाने का मतलब है अपने दिमाग को ठंडा रखो। जल्दबाजी से काम न लो। *विवेक और समझदारी से ही फैसला लो। क्रोध, तनाव और चिंता को पीछे छोड़कर वर्तमान को संवारो।*
®
प्रश्न : *क्या बहुत पुराना है ये प्रचलन*
® : बास्योड़ा के दिन नए मटके, दही जमाने के कुल्हड़, हाथ से चलने वाले पंखे लाने व दान करने का भी प्रचलन है। यह परंपरा बताती है कि हमारे पूर्वज ऋतु परिवर्तन को स्वास्थ्य के साथ ही परोपकार, सद्भाव से भी जोड़कर रखते थे। यह प्रचलन तब से है जब कूलर, फ्रीज, एसी जैसे उपकरणों का आविष्कार भी नहीं हुआ था।
प्रश्न : *कैसे करें मां शीतला का पूजन?*
उतर: बास्योड़ा के दिन सुबह एक थाली में राबड़ी, रोटी, चावल, दही, चीनी, मूंग की दाल, बाजरे की खिचड़ी, चुटकी भर हल्दी, जल, रोली, मोली, चावल, दीपक, धूपबत्ती और दक्षिणा आदि सामग्री से मां शीतला का पूजन करना चाहिए। पूजन किया हुआ जल सबको आंखों से लगाना चाहिए ।।
शनिवार, 18 मार्च 2017
किण स्यूं किंया बात करणी चाईजै
*किण स्यूं किंया बात करणी चाईजै* ..
माँ= स्यूं बिन्या भेद ...खुल'र बात करणी
बाप= स्यूं आदर स्यूं बात करणी...
गुरूजी= स्यूं नजर नीची कर'र बात करणी ...
भगवान= स्यूं नैण भर'र बात करणी ...
भायां= स्यूं हियो खोल'र बात करणी ...
बैना= स्यूं हेत सू बात करणी ...
टाबरा= स्यूं हुलरा'र बात करणी..
सगा-समधी= स्यूं सन्मान दे'र बात करणी ...
भायलां= स्यूं हंसी मजाक सू बात करणी...
अफसरा= स्यूं नम्रता स्यूं बात करणी ...
दुकान हाळै= स्यूं कडक स्यूं बात करणी..
गिराक= स्यूं ईमानदारी स्यूं बात करणी ...
और
*घरवाळी स्यूं ....अं हं हं हं ह ह..... *
अठै आतां चेतो राखणो .....
ई, माते-राणी आगै तो चुप ही रेणो ....
नत-मस्तक हू'र सगळी सुण लेणी ...
बोलणूं घातक हुवै ।
फेर भी कोई रै घणी ही बाकड़ चालती हुवै तो...
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आगली-पाछली ..तीन भो की सोच'र बात करणी ..
मंगलवार, 14 मार्च 2017
म्हांरै जीवतां डंड भरावै!उणां री भुजां में गाढ चाहीजै!!
*म्हांरै जीवतां डंड भरावै!उणां री भुजां में गाढ चाहीजै!!*
*-गिरधर दान रतनू दासोड़ी*
भारत रै इतिहास अर विशेषकर राजस्थान रै इतियास में चहुवांणां रो नाम ऊजल़ो।
गोगदेव, अचल़ेश्वर पृथ्वीराज, कान्हड़देव,वीरमदेव,मालदेव बणवीर,हम्मीर,कान्हो डूंगरोत,सांवल़दास-करमसी जैड़ा अनेक सपूत चावा रैया है।किणी कवि कैयो है-
गोकल़ीनाथ जग जापिये,
कान्हड़दे मालम करै।
ए राव सुखत्री ऊपना ,
चवां वंश चहुवांण रै।।
चहुवांणां री एक शाखा 'वागड़िया चहुवांण'।इण शाखा में मुंधपाल मोटो मिनख होयो।इणी मुंधपाल री वंश परंपरा में बालो अर बालै रै डूंगरसी होयो।डूंगरसी ,राणै सांगै रै मोटै सामंतां में शुमार।जिणरै बदनोर पटै।डूंगरसी कई जुद्धां में आपरी वीरता बताई ।जद राणै अहमदाबाद रै शासक मुदाफर माथै हमलो कियो उण बगत ई डूंगरसी आपरै पूरै कुंटबी वीरां साथै हरावल़ में हो।अहमदाबाद रै गढ री जंगी पोल़ जद किणीगत नीं खुली उण बगत डूंगरसी रै बेटे कान्है पोल़ री शूल़ां रै आडै ऊभर हाथियां री सूंड सूं बींधीज पोल़ पटकाई।इणी डूंगरसी रै एक बेटे लालसी रो बेटो सांवल़दास अर दूजै बेटै सूरसी रो भाण अर भाण रो करमसी होयो।
आ बात सांवल़दास-करमसी री वीरता अर अदम्य साहस री है।
उण दिनां डूंगरपुर माथै रावल़ आसकरण(1603-1637) राज करै।ऐ आसकरण रा मोटा सामंत ।उदयपुर माथै राणा उदयसिंह(1597-1628) रो राज।उदयसिंह आपरा आदमी मेल आसकरण नै धमकायो अर डंड सरूप घोड़ा मांगिया।आसकरण री उदयसिंह सूं टक्कर लेवण री आसंग नीं पड़ी उण डरतै डंड भरण री हां भरली अर घोड़ा पुगावण री तैयारी करण लागो।आ बात जद वागड़ियै वीरां सांवल़दास अर करमसी नै ठाह पड़ी तो बै अजेज आपरै ठिकाणै सूं डूंगरपुर आया।रावल़ आसकरण अर उणरै बीजै सिरदारां नै फटकारिया।सांवल़दास कैयो "थे डंड री हां भरणिया कुण हो?म्हे वागड़ रा भोमिया हां अर इण भोम री आबरू राखणो म्हांरो कर्त्तव्य है।म्हे मर थोड़़ा ग्या जिको उदयपुर वागड़ सूं अणखाधी रो डंड भरावै।कोई डंड नीं।म्हे मरांला अर मारांला पण डंड नीं दां ला-
खागां वागां खिर पड़ै,
परतन छाडै पग्ग।
रंग अणी रा रावतां,
टणकां आडी टग्ग।।
कविवर मेहा वीठू आपरी कालजयी कृति -'करमसी-सांवल़दास चहुंवांण रा कवित्त' में लिखै-
परधांन मेल्हि चित्रोड़पति,
डूंगरपुरांस दक्खियो।
मांगिया उदैसिंघ मछरियै,
दियो डंड घोड़ां दियो।।
......
मेवाड़ै मांगिया,
पवंग कनला डूंगरपुर।
सुणै बात चहुंव़ांण,
रोसि हंसिया राजेसर।
म्हे वागड़ भोमिया,
भोमि वागड़ म्हां पूठी।
ताइ भविता नह टल़ै,
परमि जाइ लेखै परठी।
इखेवि अंत डर अंतरै,
सिरै डंड जाइसां सहै।
जीवियो अजीवित ताहि जग,
करमसीह सांवल़ कहै।।
आसकरण ई इण वीरां रै साहस अर वीरता सूं परिचित हो।उण डंड भरण सूं मना कर दियो।आ बात उदयसिंह रै प्रधानां राणै नैं मांडर बताई-
कारिमां पिंड जतनह किसा,
कथन मुक्खि एरस कहै।
ऊद रा प्रधानां आगल़ी,
सांमल़ डंड न सहै।।(मेहा वीठू)
आ बात सुण र उदयसिंह आपरी फौज डूंगरपुर माथै मेली।इण वीरां मेवाड़ी सेना नै धूड़ चटा दीनी। वीरता अर अडरता सूं मुकाबलो कियो अर लड़तां थकां वीरगति वरी-
मरण करै मछरीक,
विढै चढै विम्माणै।
पल़चारी पल़ भखै,
रुधर पूरै रणढाणै।
सात वीस रावत्त,
सांमि सरसां समरट्टां।
सतियां झूल़ सहेत,
वरां सरिसै कुल़वट्टां।
मेवाड़ दल़ सो लोह मिल़ि,
हेकव के जए तांम होइ।
करमसी अने सोमल़ि कियो,
करै न इम अवसांण कोइ।।(मेहा वीठू)
आ बात किणी ऐतिहासिक ग्रंथां में तो नीं मिलै पण कविवर मेहा वीठू री इण कृति में आए इण दाखलै री साखी वनेश्वर महादेव रै कनै विष्णु मंदिर री आषाढादि वि.सं.1617 (चैत्रादि 1618 शाके 1483 जेठ सुदि 3 री महारावल़ आसकरण रै समै री प्रशस्ति है-
पृथ्वीराजात्मजो योशावाशकर्णः श्रियान्वितः
यस्य किंकर वर्गेण मेदपाट पतिर्जित।।
अर्थात पृथ्वीराज रै पुत्र सम्पतिशाली आसकरण रै सेवकां मेवाड़ रै राजा नै जीतियो।
वागड़ियै चहुवांण वीरां आपरी बात अर जनमभोम रो गौरव अखी राखियो।
गिरधर दान रतनू दासोड़ी
शनिवार, 11 मार्च 2017
नवी बीनणी
सासू जी पहली वार रसोई बणावण वाळी नवी बीनणी मे पूछ्यो,
बेटा थने रसोई मे कंई कंई आवे
बीनणी बोली सासू जी....
आळस,पसीनो और चक्कर
छोरी आळा
छोरी आळा लड़को देखण न गया।
लड़को देख्यो, लड़को एकदम दूबळो
पण सरकारी नौकरी लागेड़ो हो ।
थोड़ी देर बात कर छोरी आळा बोल्या जी म्हे थोडी देर म पाछा आवां हां।
लड़का ळा सोच्यो कोई जाण पिछाण का होव ला , मिलण न जाता होसीं।
छोरी आळा बजार जा र पाछा आया
सा ग एक घी को पीपो ल्याया।
लड़क का बाप न देर बोल्या लड़का न गून का लाडू जिमावो, तीन महीना पीछ बात करस्यां।
लड़का को बाप बोल्यो - जे तीन महीना पीछ भी ओ दूबळो ई रियो जणां ?
छोरी आळा बोल्या - - तो कोई बात न तो जणां छोरी डूबण स तो पीपो डूबेड़ो चोखो।
स्टाइल ऑफ गुड नाइट...
स्टाइल ऑफ गुड नाइट...
फ्रेन्ड- गुड नाइट यार...
लवर- गुड नाइट जानू...
डेड- गुड नाइट बेटा...
लेकिन
मारवाङी मॉ- अब सोजा गधेडा 12 बजगी 12-12 बजिया तक तो सौवे कोनी 10-10 बजिया तक उठै कोनी पुरो गॉव सो जावे मगर ओह डाकी कोनी सोवे टाबर तो घणी देखिया पर थारे जेङा कोनी देखिया अब सोवै है के थारे बाप ने हेलो मारू...
बुधवार, 8 मार्च 2017
भेरू बाबजी कर जो पास
भेरू बाबजी कर जो पास
भण्या को नी
लिख्या को नी
स्कूल में हिदा
टिक्या को नी
साल भर को
खरचो वगड्यो
पेला दन को
परचो वगड्यो
करां अब कणी से आस
भेरू बाबजी कर जो पास
पास वईग्यो तो बोकड़ो
चढ़ऊंगा
सप्लीमेंटी में
कूकड़ो
हमजो म्हारी विपदा बाबजी
किने सुणऊँ दुखड़ो
मन में चुभे घणी फांस
भेरू बाबजी कर जो पास
हिन्दी हिदी
हमज नी आवे
अंगरेजी म्हारी
खोपड़ी खावे
विज्ञान माथा
उप्पर जावे
गणित डाकण
घणी सतावे
करूँ अब कणी से आस
भेरू बाबजी कर जो पास
रात भर जागी जागी
थाकी ग्या चिट काटी काटी
ड्यूटी देवा वाळी बई
चिट पकड़ी ने इत र ई
मास्टरजी आँख दिखावे
केस वणई दूँ म्हने डरावे
मै बोल्यो वणई दो
जरुरी वे यदि वणाणो
पर होची लिजो भ णा वा ने
म्हाका गाम में पाछो आणो
जोड़ी टीप ली,सई गलत टिप्या
छुटी ग्या प्रश्न खासम ख़ास
भेरू बाबजी कर जो पास
अक्षर म्हारा ज्यूँ लहरे साँप
उत्तर लिख्या उद्दड़ माप
घणी गिरिगी म्हारी साख
वचई ली जो कटती नाक
करूँ अब कणी से आस
भेरू बाबजी कर जो पास
सोमवार, 6 मार्च 2017
काचर रो बीज
पत्नी :हुणो के !आप रो निक नेम काई है।
पति: यो कै होवे है
पत्नी ः अरे सा लारे सू आप नै गांववाला काई केवता हा
पति ः काचर रो बीज
सोमवार, 27 फ़रवरी 2017
नारी बिन नर जनम नहीं-
नारी बिन नर जनम नहीं-गिरधर दान रतनू दासोड़ी
गीत सोहणो
मानो मन बात मुलक रै मिनखां
सोल़ै आना जिका सही।
दुनिया मांय दीठ दे देखो
नारी बिन नर जनम नहीं।।१
भगवन पीर ओलिया भाल़ो
गोड पैगेंबर जिता गिणो।
जग में नार सकल़ नैं जणिया
जाणै आ तो जणो जणो।।२
सांपरत भगत सूरमा सारां
दातारां इण जनम दियो।
सिखमत मान हुवा सतवादी
कीरत वाल़ो काम कियो।।३
धू पैल़ाद अडग की धारण
भिड़िया सिंघां भरत भला।
पातल राण मराठै प्रथमी
खल़ां सीस ज्यां दिया खला।।४
पंडव पूत महाभड़ पूरा
माता वाल़ी सीख मनी।
जस री सोरम अखी जगत में
देखो अज तक बहै दुनी।।५
दिल सूं माण नारियां दीधो
भू पर वांरी साख भली।
जग में जिकै पूजीजै जोवो
हर दिस ज्यांरी बात हली।।६
रावण नार मर्जादा रेटी
लोफर हर सूं आल़ लई।
तणिया तीर राम रा तणका
गमियो वँश नै लंक गई।।७
मानी नाय दुजोधन मूरख
कुटल़ नार अपमान कियो।
मिरतु जिको कुत्तै री मरियो
दुसटी पाणी वंश दियो।।८
मुगलां वुसत भोग री मानी
भेल़ी कर नैं हरम भरी।
मिटिया नार हाय सूं महियल़
कबजै गोरां दिल्ली करी।।९
सत री कैवूं सांभलो सैणां
नर नारी सूं बडो नहीं।
जणणी बैन भामणी जोवो
मारग दरशक साच मही।।१०
जणणी रूप पाल़णी जोवो
धिन रखवाल़ी करै धरा।
साची सीख दैण संतानां
खटकै भरणी भाव खरा।।११
बांटै नेह बैन बण बसुधा
हित सूं दिल रो दरद हरै।
दीधो लहै भ्रात सूं देखो
काम कोड सूं कठण करै।।१२
भामण रूप रहै नित भेल़ी
जोड़ कंध सूं कंध जिका।
सुख दुख मांय साथ इक सिरखी
टोरै निश्छल़ प्रीत तिका।।१३
बेटी बण नै मात बाप री
प्रीत देय नै पीड़ हरै।
ऊजल़ पी'र सासरो इण सूं
कुल़ च्यारां रो नाम करै।।१४
नर रो मूल़ नार सूं न्हालो
साख नार सूं बधै सही।
अवनी नार बिनां नर आधो
कितरै ग्रंथां मांड कही।।१५
पूजो नेह माण दो प्रिथमी
धुर इण बातां ध्यान धरो।
गिरधर कहै गीत ओ गुणियां
कान जिकण नै आज करो।।१६
गिरधर दान रतनू दासोड़ी