एक बार एक हरियाणा का ताऊ सुबह-2 सोता हुआ मर गया,
ताई उसी टाइम रोटी खा
रही थी...
तभी एक आदमी बाहर से आया और बोला-"ताई तू रोटी खाण लाग री और इन्घे ताऊ मरया पड़ा"!
ताई बोली-"बेटा बस दो टुकड़े रह रे सै,
इब खा लू सुं,
अर फेर देखिये मेरी चिंगाड।"
राजस्थानी बोलियों में कविताए कहानियां मजेदार चुटकुले गीत संगीत पर्यटन तथ्य रोचक जानकारियां ज्ञानवर्धन GK etc.
एक बार एक हरियाणा का ताऊ सुबह-2 सोता हुआ मर गया,
ताई उसी टाइम रोटी खा
रही थी...
तभी एक आदमी बाहर से आया और बोला-"ताई तू रोटी खाण लाग री और इन्घे ताऊ मरया पड़ा"!
ताई बोली-"बेटा बस दो टुकड़े रह रे सै,
इब खा लू सुं,
अर फेर देखिये मेरी चिंगाड।"
☀सुबह का भुला अगर
शाम को घर आ जाए
तो उसे भुला नहीं
ठाला भुला कहतें है
गणित टीचर नई दिमागी खोज
सात फेरो का गणित
शादी में वर - वधु को 7 फेरे लगवाये जाते है,
क्योंकि एक फेरा 360° का होता है.
और 360 ऐसी संख्या है जो 1 से 9 तक के अंको में केवल 7 से विभाजित नही होती.
इसलिए 7 फेरो का सम्बन्ध अविभाज्य है.
Salute to Indian science & culture
इत्तो खतरनाक गणित
शराब और रजपुतो से षड़यंत्र मुग़ल काल से
सिर धड से अलग होने के बाद कुल देवी युद्ध लडा करती थी।
"एक षड्यंत्र और शराब की घातकता...."
हिंदू धर्म ग्रंथ नहीँ कहते कि देवी को शराब चढ़ाई जाये..,
ग्रंथ नहीँ कहते की शराब पीना ही क्षत्रिय धर्म है..
ये सिर्फ़ एक मुग़लों का षड्यंत्र था हिंदुओं को कमजोर करने का !
जानिये एक अनकही ऐतिहासिक घटना...
"एक षड्यंत्र और शराब की घातकता...."
कैसे हिंदुओं की सुरक्षा प्राचीर को ध्वस्त किया मुग़लों ने ??
जानिये और फिर सुधार कीजिये !!
मुगल बादशाह का दिल्ली में दरबार लगा था और हिंदुस्तान के दूर दूर के राजा महाराजा दरबार में हाजिर थे ।
उसी दौरान मुगल बादशाह ने एक दम्भोक्ति की "है कोई हमसे बहादुर इस दुनिया में ?"
सभा में सन्नाटा सा पसर गया ,एक बार फिर वही दोहराया गया !
तीसरी बार फिर उसने ख़ुशी से चिल्ला कर कहा "है कोई हमसे बहादुर जो हिंदुस्तान पर सल्तनत कायम कर सके ??
सभा की खामोशी तोड़ती एक बुलन्द शेर सी दहाड़ गूंजी तो सबका ध्यान उस शख्स की और गया !
वो जोधपुर के महाराजा राव रिड़मल थे !
रिड़मल जी ने कहा, "मुग़लों में बहादुरी नहीँ कुटिलता है..., सबसे बहादुर तो राजपूत है दुनियाँ में !
मुगलो ने राजपूतो को आपस में लड़वा कर हिंदुस्तान पर राज किया !
कभी सिसोदिया राणा वंश को कछावा जयपुर से
तो कभी राठोड़ो को दूसरे राजपूतो से...।
बादशाह का मुँह देखने लायक था ,
ऐसा लगा जैसे किसी ने चोरी करते रंगे हाथो पकड़ लिया हो।
"बाते मत करो राव...उदाहरण दो वीरता का।"
रिड़मल ने कहा "क्या किसी कौम में देखा है किसी को सिर कटने के बाद भी लड़ते हुए ??"
बादशाह बोला ये तो सुनी हुई बात है देखा तो नही ,
रिड़मल बोले " इतिहास उठाकर देख लो कितने वीरो की कहानिया है सिर कटने के बाद भी लड़ने की ... "
बादशाह हसा और दरबार में बेठे कवियों की और देखकर बोला
"इतिहास लिखने वाले तो मंगते होते है । मैं भी १०० मुगलो के नाम लिखवा दूँ इसमें क्या ?
मुझे तो जिन्दा ऐसा राजपूत बताओ जो कहे की मेरा सिर काट दो में फिर भी लड़ूंगा।"
राव रिड़मल निरुत्तर हो गए और गहरे सोच में डूब गए।
रात को सोचते सोचते अचानक उनको रोहणी ठिकाने के जागीरदार का ख्याल आया।
रात को ११ बजे रोहणी ठिकाना (जो की जेतारण कस्बे जोधपुर रियासत) में दो घुड़सवार बुजुर्ग जागीरदार के पोल पर पहुंचे और मिलने की इजाजत मांगी।
ठाकुर साहब काफी वृद्ध अवस्था में थे फिर भी उठ कर मेहमान की आवभगत के लिए बाहर पोल पर आये ,,
घुड़सवारों ने प्रणाम किया और वृद्ध ठाकुर की आँखों में चमक सी उभरी और मुस्कराते हुए बोले
" जोधपुर महाराज... आपको मैंने गोद में खिलाया है और अस्त्र शस्त्र की शिक्षा दी है.. इस तरह भेष बदलने पर भी में आपको आवाज से पहचान गया हूँ।
हुकम आप अंदर पधारो...मैं आपकी रियासत का छोटा सा जागीरदार, आपने मुझे ही बुलवा लिया होता।
राव रिड़मल ने उनको झुककर प्रणाम किया और बोले एक समस्या है , और बादशाह के दरबार की पूरी कहानी सुना दी
अब आप ही बताये की जीवित योद्धा का कैसे पता चले की ये लड़ाई में सिर कटने के बाद भी लड़ेगा ?
रोहणी जागीदार बोले ," बस इतनी सी बात..
मेरे दोनों बच्चे सिर कटने के बाद भी लड़ेंगे
और आप दोनों को ले जाओ दिल्ली दरबार में ये आपकी और राजपूती की लाज जरूर रखेंगे "
राव रिड़मल को घोर आश्चर्य हुआ कि एक पिता को कितना विश्वास है अपने बच्चो पर.. , मान गए राजपूती धर्म को।
सुबह जल्दी दोनों बच्चे अपने अपने घोड़ो के साथ तैयार थे!
उसी समय ठाकुर साहब ने कहा ," महाराज थोडा रुकिए !!
मैं एक बार इनकी माँ से भी कुछ चर्चा कर लूँ इस बारे में।"
राव रिड़मल ने सोचा आखिर पिता का ह्रदय है
कैसे मानेगा !
अपने दोनों जवान बच्चो के सिर कटवाने को ,
एक बार रिड़मल जी ने सोचा की मुझे दोनों बच्चो को यही छोड़कर चले जाना चाहिए।
ठाकुर साहब ने ठकुरानी जी को कहा
" आपके दोनों बच्चो को दिल्ली मुगल बादशाह के दरबार में भेज रहा हूँ सिर कटवाने को ,
दोनों में से कौनसा सिर कटने के बाद भी लड़ सकता है ?
आप माँ हो आपको ज्यादा पता होगा !
ठकुरानी जी ने कहा
"बड़ा लड़का तो क़िले और क़िले के बाहर तक भी लड़ लेगा पर
छोटा केवल परकोटे में ही लड़ सकता है क्योंकि पैदा होते ही इसको मेरा दूध नही मिला था। लड़ दोनों ही सकते है, आप निश्चित् होकर भेज दो"
दिल्ली के दरबार में आज कुछ विशेष भीड़ थी और हजारो लोग इस दृश्य को देखने जमा थे।
बड़े लड़के को मैदान में लाया गया और
मुगल बादशाह ने जल्लादो को आदेश दिया की इसकी गर्दन उड़ा दो..
तभी बीकानेर महाराजा बोले "ये क्या तमाशा है ?
राजपूती इतनी भी सस्ती नही हुई है , लड़ाई का मौका दो और फिर देखो कौन बहादुर है ?
बादशाह ने खुद के सबसे मजबूत और कुशल योद्धा बुलाये और कहा ये जो घुड़सवार मैदान में खड़ा है उसका सिर् काट दो...
२० घुड़सवारों को दल रोहणी ठाकुर के बड़े लड़के का सिर उतारने को लपका और देखते ही देखते उन २० घुड़सवारों की लाशें मैदान में बिछ गयी।
दूसरा दस्ता आगे बढ़ा और उसका भी वही हाल हुआ ,
मुगलो में घबराहट और झुरझरि फेल गयी ,
इसी तरह बादशाह के ५०० सबसे ख़ास योद्धाओ की लाशें मैदान में पड़ी थी और उस वीर राजपूत योद्धा के तलवार की खरोंच भी नही आई।
ये देख कर मुगल सेनापति ने कहा
" ५०० मुगल बीबियाँ विधवा कर दी आपकी इस परीक्षा ने अब और मत कीजिये हजुर , इस काफ़िर को गोली मरवाईए हजुर...
तलवार से ये नही मरेगा...
कुटिलता और मक्कारी से भरे मुगलो ने उस वीर के सिर में गोलिया मार दी।
सिर के परखचे उड़ चुके थे पर धड़ ने तलवार की मजबूती कम नही करी
और मुगलो का कत्लेआम खतरनाक रूप से चलते रहा।
बादशाह ने छोटे भाई को अपने पास निहत्थे बैठा रखा था
ये सोच कर की ये बड़ा यदि बहादुर निकला तो इस छोटे को कोई जागीर दे कर अपनी सेना में भर्ती कर लूंगा
लेकिन जब छोटे ने ये अंन्याय देखा तो उसने झपटकर बादशाह की तलवार निकाल ली।
उसी समय बादशाह के अंगरक्षकों ने उनकी गर्दन काट दी फिर भी धड़ तलवार चलाता गया और अंगरक्षकों समेत मुगलो का काल बन गए।
बादशाह भाग कर कमरे में छुप गया और बाहर मैदान में बड़े भाई और अंदर परकोटे में छोटे भाई का पराक्रम देखते ही बनता था।
हजारो की संख्या में मुगल हताहत हो चुके थे और आगे का कुछ पता नही था।
बादशाह ने चिल्ला कर कहा अरे कोई रोको इनको..।
एक मौलवी आगे आया और बोला इन पर शराब छिड़क दो।
राजपूत का इष्ट कमजोर करना हो तो शराब का उपयोग करो।
दोनों भाइयो पर शराब छिड़की गयी ऐसा करते ही दोनों के शरीर ठन्डे पड़ गए।
मौलवी ने बादशाह को कहा " हजुर ये लड़ने वाला इनका शरीर नही बल्कि इनकी कुल देवी है और ये राजपूत शराब से दूर रहते है और अपने धर्म और इष्ट को मजबूत रखते है।
यदि मुगलो को हिन्दुस्तान पर शासन करना है तो इनका इष्ट और धर्म भ्रष्ट करो और इनमे दारु शराब की लत लगाओ।
यदि मुगलो में ये कमियां हटा दे तो मुगल भी मजबूत बन जाएंगे।
उसके बाद से ही राजपूतो में मुगलो ने शराब का प्रचलन चलाया और धीरे धीरे राजपूत शराब में डूबते गए और अपनी इष्ट देवी को आराधक से खुद को भ्रष्ट करते गए।
और मुगलो ने मुसलमानो को कसम खिलवाई की शराब पीने के बाद नमाज नही पढ़ी जा सकती। इसलिए इससे दूर रहिये।
माँसाहार जैसी राक्षसी प्रवृत्ति पर गर्व करने वाले राजपूतों को यदि ज्ञात हो तो बताएं और आत्म मंथन करें कि महाराणा प्रताप की बेटी की मृत्यु जंगल में भूख से हुई थी क्यों ...?
यदि वो मांसाहारी होते तो जंगल में उन्हें जानवरों की कमी थी क्या मार खाने के लिए...?
इसका तात्पर्य यह है कि राजपूत हमेशा शाकाहारी थे केवल कुछ स्वार्थी राजपूतों ने जिन्होंने मुगलों की आधिनता स्वीकार कर ली थी वे मुगलों को खुश करने के लिए उनके साथ मांसाहार करने लगे और अपने आप को मुगलों का विश्वासपात्र साबित करने की होड़ में गिरते चले गये हिन्दू भाइयो ये सच्ची घटना है और हमे हिन्दू समाज को इस कुरीति से दूर करना होगा।
तब ही हम पुनः खोया वैभव पा सकेंगे और हिन्दू धर्म की रक्षा कर सकेंगे।
तथ्य एवं श्रुति पर आधारित
नमन ऐसी वीर परंपरा को
*अरदास २०१७*
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आँगन कंवारो रेबा दीज्यै पणं रंडापो मत दीज्ये
भगवान जवानी दे दीज्यै पणं पछै बुढापो मत दीज्यै
हाथी दीज्ये घोडा दीज्यै गधा गधेडी मत दीज्यै
सुगरां री संगत दे दीज्यै नशा नशैडी मत दीज्यै
घर दीज्यै घरवाली दीज्यै खींचाताणीं मत दीज्यै
जूणं बलद री दे दीज्ये तेली री घाणीं मत दीज्यै
काजल दीज्यै टीकी दीज्यै पोडर वोडर मत दीज्यै
पतली नार पदमणीं दीज्यै तूं बुलडोजर मत दीज्यै
टाबर दीज्यै टींगर दीज्यै बगनां बोगा मत दीज्यै
जोगो एक देय दीज्यै पणं दो नांजोगा मत दीज्यै
भारत री मुद्रा दै दीज्यै डालर वालर मत दीज्यै
कामेतणं घर वाली दीज्यै ब्यूटी पालर मत दीज्यै
कैंसर वैंसर मत दीज्यै तूं दिल का दौरा दे दीज्यै
जीणों दौरो धिक ज्यावेला मरणां सौरा दे दीज्यै
नेता और मिनिस्टर दीज्यै भ्रष्टाचारी मत दीज्यै
भारत मां री सेवा दीज्यै तूं गद्दारी मत दीज्यै
भागवत री भगती दीज्यै रामायण गीता दीज्यै
नर में तूं नारायण दीज्यै नारी में सीता दीज्यै
मंदिर दीज्यै मस्जिद दीज्ये दंगा रोला मत दीज्यै
हाथां में हुन्नर दे दीज्यै तूं हथगोला मत दीज्यै
दया धरम री पूंजी दीज्यै वाणी में सुरसत दीज्यै
भजन करणं री खातर दाता थौडी तूं फुरसत दीज्यै
घी में गच गच मत दीज्यै तूं लूखी सूखी दे दीज्यै
मरती बेल्यां महर करीज्यै लकड्यां सूखी दे दीज्यै
कवि नें कीं मत दीज्यै कविता नें इज्जत दीज्यै
जिवूं जठा तक लिखतो रेवूं इतरी तूं हिम्मत दीज्यै
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अजै मेड़तिया मरणो जाणै!!
गिरधर दान रतनू दासोड़ी
जद जोधपुर महाराजा अभयसिंहजी बीकानेर घेरियो उण बगत बीकानेरियां जयपुर महाराजा जयसिंहजी नै आपरी मदत सारु कैयो।जयसिंहजी फौज ले जोधपुर माथै चढाई करी।आ बात अभयसिंहजी नै ठाह पड़ी तो उणां बीकानेर सूं जोधपुर जावणो ई ठीक समझियो।जोधपुर उण बगत जयपुर रो मुकाबलो करण री स्थिति में नीं हो ।राजीपै री बात तय हुई अर 21लाख जयपुर नै फौज खरचै रा दैणा तय होया,जिणमें 11लाख रो गैणो अभयसिंहजी री कछवाही राणी रो दियो अर बाकी रुपियां मौजीज मिनखां री साख में लैणा किया।जद किणी जयसिंहजी नै कैयो कै "हुकम ओ गैणो तो बाईजी राज रो है अर आप लेय रैया हो!!"जयसिंहजी कैयो कै "अबार ओ गैणो जयपुर री राजकुमारी रो नीं है अपितु जोधपुर री राणी रो है सो ले लियो जावै!!"
समझौतो होयां जयपुरियां री भर्योड़ी तोपां पाछी जयपुर रवाना होई।गूलर कनै जावतां किणी जयपुरियै कैयो कै "कांई मारवाड़ में रणबंका राठौड़ नीं रैया!!लागे उणांरै बूकियां में आपाण नीं रैयो जद ई तो म्हांरी फौज कंवारी अर तोपां भर्योड़ी जा रैयी है!!" आ बात उठै किणी आदमी सुणी अर गूलर जाय ठाकुर विसनसिंहजी नै बताई।आ बात सुणतां ई विसनसिंहजी आपरा मर्जीदान चारण जादूरामजी खिड़िया (जगतेसपुरा)साम्हीं जोयो अर पूछियो कै बाजीसा आपरी कांई राय है?जादूरामजी महावीर अर साहसी मिनख हा ।मारवाड़ रै मरट री बात ही।उणां किणी कवि रै एक गीत री ऐ ओल़्यां सुणाई-
दूदा पग आगा दे जाणै,
पाछी फेर न जाणै पूठ।
भिड़वा री पौसाल़ भणाणा,
मुड़वा तणी न सीख्या मूठ!!
हुकम मेड़तिया तो लड़णो ई जाणै!इणमें विचार री कांई बात है!!-
मेड़तिया जाणै नीं मुड़णो ,
भिड़णो ई जाणै भाराथ!!
इणी खातर तो मेड़तो मोतियां री माल़ा बाजै-
मेड़तो मोतियां तणी माल़ा!!
ठाकुर आपरै छुटभाईयां रै ठिकाणै भखरी रै ठाकुर केशरीसिंहजी नै ओ समाचार करायो कै "मेड़तियां री मूंछ रो सवाल है!आपांरी कांकड़ मांय सूं तोपां खाली जावै!!अजै आंपां जीवां हां!!"केशरीसिंहजी अजेज चढिया अर जयपुरियां रै देखतां -देखतां उणां रो हाथी घेर र भखरी गढ में लेयग्या।जयपुरियां गढ घेर लियो।केशरीसिंहजी गढ में।विसनसिंहजी गूलर, गढ रै बारै मुकाबलो कियो।रजपूति बताय जस कमायो।किणी कवि कैयो-
मेड़तिया मुड़िया नहीं,
जुड़ियां खागां जंग।
वल़ू रैया विसनेस रै
(वां)रजपूतां नै रंग।।
गूलर फौज में जादूरामजी खिड़िया ई साथै।महावीर खिड़ियो जादूरामजी ई मारवाड़ री आण खातर तरवारां ताणी।आपरी खाग बल़ वीरता बताय इण मारकै वीरगति वरी।शीश कटियां ई लड़तां थकां इण वीर री देह सौ मीटर आगी जाय शांत होई।वीरता री कद्र जाणणिया भखरी ठाकुर साहब इण जूंझार रो चूंतरो गढ रै आगे बणायो।आज ई आसै -पासै रा लोग पूजै।जादूरामजी री वीरता विषयक तत्कालीन कवियां रा कथिया दूहा चावा-
भखरी भाखर ऊपरै,
गढ दोल़ूं गोलांह।
खिड़ियो खागां जूंझियो,
पौहर हेक पौलांह।।
झूक-झुक राल़ै झाग,
अधपतिया अकबक हुवै,
खिड़ियो बावै खाग,
जुद्ध वेल़ा जगरामवत।।
(उलेख्य है कै ऐ जादूरामजी कविश्रेष्ठ कृपारामजी खिड़िया रा अग्रज हा।)
भखरी गढ रा दरवाजा खुलिया अर केशरिया करर मेड़तियां मरण तिंवार मनायो।केशरीसिंहजी अदम्य साहस रै पाण मारवाड़ री आब कायम राखी जिणरो साखी किणी कवि रो ओ दूहो पढणजोग है-
केहरिया करनाल़ ,
जे न जुड़त जैसाह सूं।
आ मोटी अवगाल़,
रैती सिर मारूधरा।।
महावीर केशरीसिंहजी देश रै माण नै अखी राखतां थकां वीरगति रो वरण कियो।कविवर उदयराजजी ऊजल़ कितरी सटीक लिखी है-
सेखी जैपर सेनरी,
भखरी पर भागीह।
करगो टकरी केहरी,
लंगरधर लागीह!!
गिरधर दान रतनू दासोड़ी
साल सत्रहवों सरस,
आप घर खुशी अथागां।
अपणायत अणमाप,
रहे मन आणंद रागां।
सुबस बसो सब सैण,
सदा सनमान सवायो।
चित हित सबरो चाव
भाव भायां सो भायो।
प्रगति वाट रू पद प्रतिष्ठा
रहे सदामत राजरे।
आपरै काज गिरधर अखै,
ऐड़ी आसा आजरै।।
गिरधर दान रतनू दासोड़ी
जे किणी सैण नै पुख्ता जाणकारी होवै तो निम्न चारण कवेसरां रै विषय म
मख आढै नीसांणमल,
*सामधरम सिवदान।*
*रतन सपूताचार रो
आडो वल़ियो अंक।
सांसण कीधा माल रा,
कल़ंक काट निकल़ंक।।
नरू जसौ कवियो बिहूं,
ईसर खिड़ियो एक।
*झीबौ गंग सुरपुर झलै*
टल़ै न जां रण टेक।।
रथ खंचियो गैणांग रथ,
धर कज मचियो धींग।
रचियो भारत रूकड़ां,
*नह मुचियो नरसींग*
*अइयो ईसरियाह*
बारठ आडा बोलणा।।
कल़ में कांधल़काह
*वीदा अन बांटत नहीं।।*
दुसटी पड़्यो दुकाल़,
दुरभख सारा देस में।
सेवाहरै सुगाल़,
*निपट जणायो नैतसी*
गिरधर दान रतनू दासोड़ी
मारवाड़ी पति अपनी पत्नी को मोबाइल से बात कर के कंप्यूटर चलाना सीखा रहा था...
पति : माई कम्पुटर पर राईट क्लिक कर....
पत्नी : हाँ कर लियो..
पति : फोल्डर खुल्यो के....?
पत्नी : हां... खुलग्यो..
पति : अब ऊपर की तरफ देख.. के दिख्यो....?
पत्नी : पंखो.....
पति : चोखो..
जालटक जा..
Baniya Special
✂✂✂✂✂✂✂
बनिया को भूत चड़ गया।
3दिन बाद भूत खुद ओझा के पास गया और
बोला :- मुझे बाहर निकालो, वर्ना मै
भूखा मर जाउगां।
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बनिया हाथ मे ब्लेड मार रहा था।
बीवी:- ये क्या कर रहे हो जी??
बनिया:- Dettol की शिशी टूट गई है
कही Dettol बरबाद ना हो जाए।
ला तेरी भी उगंली काट दूँ।
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जहाज के साथ बनिया भी डूब रहा था।
पर बनिया हंस रहा था।
दुसरा यात्री :- ओए ,हँस क्यो रहा है??
बनिया :- शुक्र है, मैने रिटर्न टिकट
नही खरीदा।
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बनिया 14 वी मंजिल से नीचे गिरा।
गिरते वक्त उसने अपने घर की खिड़की से
देखा कि बीवी खाना बना रही है।
बनिया चिल्लाया :-" मेरी रोटी मत
पकाना"
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बनिया ने शेख को खून देकर उसकी जान
बचाई। शेख ने खुश होकर उसे मर्सिडिज
कार गिफ्ट की।
शेख को फिर खून की जरुरत पड़ी,बनिया ने
फिर खून दिया।
अबकी बार शेख ने सिर्फ लड्डू दिए।
बनिया (गुस्से से) :- इस बार सिर्फ
लड्डू????
शेख:- बिरादर, अब हमारे अन्दर
भी बनिया का खून दौड़ रहा है।
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कंजूस बनिया मरनेवाला था।
बनिया:- बीवी कहाँ हो?
बीवी :- जी मै यही हूँ।
बनिया:- मेरा बेटा और बेटी कहाँ है।
दोनो बच्चे:- जी हम भी यही है
बनिया:- तो बाहर वाले कमरे
का पंखा क्यो चल रहा है???
❄❄❄❄☀❄❄❄❄
कंजूस बनिया :- एक केला कैसे दिया???
केलेवाला :- १रुपय का।
कंजूस बनिया :-60 पैसे का देता है?
केलेवाला :-60पैसे मे तो सिर्फ
छिलका मिलेगा।
कंजूस बनिया :- ले 40 पैसे, छिलका रख
और केला देदे।
:
एक कंजूस
बनिया लड़का को बनिया लड़की से प्रेम
हो गया।
बनिया लड़की :- जब पिताजी सो जाएगें
तो मै गली मे सिक्का फेंकुंगी,आवाज सुनकर
तुरन्त अन्दर आ जाना।
लेकिन लड़का सिक्का फेंकनेंlके एक घन्टे बाद
आया।
लड़की :- इतनी देर क्यो लगा दी???
लड़का :- वो मै सिक्का ढुँड रहा था।
लड़की:- अरे पागल वो तो धागा बाँधकर
फेका था,वापस खिच लिया।