मार्टिन लूथर किंग ने कहा"
अगर तुम उड़ नहीं सकते तो, दौड़ो !
अगर तुम दौड़ नहीं सकते तो,...चलो !
अगर तुम चल नहीं सकते तो,......रेंगो !पर आगे बढ़ते रहो !"
तभी एक रतलामी ने मुँह से गुटका थूकते हुऐ कहा :- वो तो ठीक है साहब पर जाणो कठे है ?
राजस्थानी बोलियों में कविताए कहानियां मजेदार चुटकुले गीत संगीत पर्यटन तथ्य रोचक जानकारियां ज्ञानवर्धन GK etc.
मार्टिन लूथर किंग ने कहा"
अगर तुम उड़ नहीं सकते तो, दौड़ो !
अगर तुम दौड़ नहीं सकते तो,...चलो !
अगर तुम चल नहीं सकते तो,......रेंगो !पर आगे बढ़ते रहो !"
तभी एक रतलामी ने मुँह से गुटका थूकते हुऐ कहा :- वो तो ठीक है साहब पर जाणो कठे है ?
घर आज्या परदेसी तेरा गाँव बुलाये रे. ..
"गाँव री याद"
गाँव रा गुवाड़ छुट्या, लारे रह गया खेत
धोरां माथे झीणी झीणी उड़ती बाळू रेत
उड़ती बाळू रेत , नीम री छाया छूटी
फोफलिया रो साग, छूट्यो बाजरी री रोटी
अषाढ़ा रे महीने में जद,खेत बावण जाता
हळ चलाता,बिज बिजता कांदा रोटी खाता
कांदा रोटी खाता,भादवे में काढता'नीनाण'
खेत मायला झुपड़ा में,सोता खूंटी ताण
गरज गरज मेह बरसतो,खूब नाचता मोर
खेजड़ी , रा खोखा खाता,बोरडी रा बोर
बोरडी रा बोर ,खावंता काकड़िया मतीरा
श्रादां में रोज जीमता, देसी घी रा सीरा
आसोजां में बाजरी रा,सिट्टा भी पक जाता
काती रे महीने में सगळा,मोठ उपाड़न जाता
मोठ उपाड़न जाता, सागे तोड़ता गुवार
सर्दी गर्मी सहकर के भी, सुखी हा परिवार
गाँव के हर एक घर में, गाय भैंस रो धीणो
घी दूध घर का मिलता, वो हो असली जीणो
वो हो असली जीणो,कदे नी पड़ता बीमार
गाँव में ही छोड़आया ज़िन्दगी जीणे रो सार
सियाळे में धूंई तपता, करता खूब हताई
आपस में मिलजुल रहता सगळा भाई भाई
कांई करा गाँव की,आज भी याद सतावे
एक बार समय बीत ग्यो,पाछो नहीं आवे
गाँव को याद करके रोना मत, रोने से अच्छा है एक बार गाँव हो आना..
मन हल्का हो जायेगा और मन को सुकून मिलेगा.
प्रताप पच्चीसी- गिरधरदान रतनू दासोड़ी
दूहा
मुरदा सूता माल़ियां,अकबर वाल़ी ओट।
पौरस धरियो पातलै,कर झूंपड़ियां कोट।।1
धरा केक दे धीवड़्यां,दीन केक बण दास।
आतप मुगलां आपियो,भल़हल़ पातल भास।.2
वसुधा देयर बेटियां,धुर राखी चितधार।
ज्या़ंरो जग म़ें जोयलो,लधै न नाम लिगार।।3
रणबंकां संको रख्यो,बल़हठ रखी न बात।
बंका करतब विसरिया,जद भूली गुण जात।।4
सत रैगी दब स्याल़ियां,इण घुरियां आवाज।
पणधर राण प्रताप री,अखै अजै अगराज।।5
कांगापण में कालियां,मछर दियो कुल़ मेट।
पोह राखण परतापसी,अड़ियो करण अखेट।।6
मेवाड़ै धरियो मछर,अछर वरण अखियात।
तद आजादी ऊग तर,वसुधा पूगी बात।।7
खूटल नर सह खूटिया,मांचां पड़ सड़ मोत।
प्रिथी अमर परतापसी,झल़हल़ जसरी जोत।।8
अड़ियो मुगलां सूं अडर,चड़ियो चेतक पीठ।
खेतांरण खड़ियो खरो,रूकां लड़ियो रीठ।।10
कीरत खाटी रखण कुल़,ताटी भाखर ताण।
माटी कज लड़ियो मरद,घाटी में घमसाण।।11
जननायक भारत जयो,दिल सुध दाखै देस।
पातल पणधारी तनै ,अखै मुलक आदेस।।12
खूटल कई तो खोयग्या ,कुल़ री तीख तमाम।
(पण) पसरायो परतापसी,नवखँड जसरो नाम।।13
कण कण गूंजै कीरती,जण जण कंठां जोय।
पुहमी हिंद प्रताप री,करै न समवड़ कोय।।14
उत्तर नै दिखणाद इल़,पूरब नैं पिछमांण।
समवड़ सोरम सुजस री,जगत सरीखी जाण।।15
सुविधाभोगी संकिया,अकबर रै आपांण।
डांगां माथै डेरियो,रखियो पातल रांण।।16
भालो कर ठालो भुलो,भाखर चाकर भील।
विकट वाट विखमी समै,हिरदै अरियां हील।।17
आजादी तजदी अवर,रमण सदा सुखरास।
नाहर पातल निडर नर,तण तण सधरी त्रास।।18
मेट न सकियो मरद रो,साहस अकबरसाह।
हय गय थकनैं हालिया, रसा अया जिण राह।।19
ज्यां बल़ आयो जोपनैं,अकबर अठै अधीर।
पितल़ज हाल्यो पाछपग,तणिया पातल तीर।।20
मेदपाट जस मंडियो,खँडियो अकबर खार।
छतो धरम नह छंडियो, सधर करां धर सार।।21
बुई सीस बहलोल रै,खाय खड़ग तुझ खार।
कट कांधो अस कट्टियो, धसगी धरती धार।।22
धिन भाखर धिन बा धरा,रजवट राखण रीत।
पातल तैं पग पग करी,पहुमी वडी पवीत।।23
सब धरमां रो सेहरो,कहै मुखां हरकोय।
मरद कियो मेवाड़ नैं, जग में तीरथ जोय।।24
जात नात सबसूं जुदो,प्रा़तवाद रै पार।
सत वंदै भारत सकल़,धुरमन अंजस धार।।25
मर मानो अकबर मुवो,चरचा काय न चल्ल।
पहुमी रा़ण प्रताप री, गहर अमर आ गल्ल।।26
गिरधरदान रतनू दासोड़ी
Once upon a कागला,
Sitting on a डागला,
He was very तीसा,
He saw चारों दिशा
He saw a घड़ा
Some water उसमे पड़ा
He collected some भाटा
घड़ा भर गया काठा
Water is coming up-up
He was drinking लप- लप
and
Then बोई-जा , बोई-जा
भूखी लोमडी की मारवाडी कहानी
वंस देयर वाज ए लुकी,
लुकी इज वैरी भूकी।
सी सा एक अंगूर का गुच्छा,
गुच्छा इज वैरी उंचा।
लुकी कुदी,
बट नॉट पुगी।
लुकी पडी ऑन द भाटा,
लुकी बोली 'अंगूर इज वैरी खाटा'...!!
बाग बिगाङे बांदरो,
सभा बिगाङे फूहङ ।
लालच बिगाङे दोस्ती
करे केशर री धूङ ।।
जीभड़ल्यां इमरत बसै,
जीभड़ल्यां विष होय।
बोलण सूं ई ठा पड़ै,
कागा कोयल दोय।।
चंदण की चिमठी भली,
गाडो भलो न काठ।
चातर तो एक ई भलो,
मूरख भला न साठ।।
गरज गैली बावली,
जिण घर मांदा पूत ।
सावन घाले नी छाछङी,
जेठां घाले दूध ।।
पाडा बकरा बांदरा,
चौथी चंचल नार ।
इतरा तो भूखा भला,
धाया करे बोबाङ ।।
भला मिनख ने भलो सूझे
कबूतर ने सूझे कुओ ।
अमलदार ने एक ही सूझे
किण गाँव मे कुण मुओ ।।
पुराणां समै री बात है , राजस्थान री धोरा धरती में ऊनाळै रै दिनां में दो सहेलियां कांकङ (वनक्षेत्र) में लकङियां लावण ने गई ।
रस्ते में व्है देखियौ के दो हीरण मरियोङा पङिया हा अर उणां रै बीच में एक खाडा में थोङो सो"क
पाणी भरीयौ हौ । जद एक सहैली कह्यौ ----
खङ्यौ नी दीखै पारधी ,
लग्यौ नी दीखै बाण ।
म्है थने पूछूं ऐ सखी ,
किण विध तजिया प्राण ।।
( है सखी , अटे कोई शिकारी नजर नी आय रियौ है अर इणां रै बाण भी नी लागोङो है तो ऐ हीरण किकर मरिया ? )
तो दुजोङी सहैली उण ने उत्तर दियौ --
जळ थोङो नेह घणो ,
लग्या प्रीत रा बाण ।
तूं -पी तूं-पी कैवतां ,
दोनूं तजिया प्राण ।।
( इण सुनसान रोही में दोनूं हीरण तिरस्या हा , पाणी इतरौ ही हौ के एक हीरण री तिरस(प्यास ) मिट सके , पण दोयां में सनेह इतरो हौ के उणां मांय सूं कोई एक पीवणीं नी चावतो । इण खातर दोइ एक -दूजा री मनवार करता करता प्राण तज दिया ।)
राजस्थान री धोरां धरती रै जानवरां में इतरो नेह अर हेत है , तो अटा रै मिनखां रै नेह रो उनमान नी लगां सकां ।
तो म्हारा सगळा साथिया सु हाथ जोङ अर आ विनती है की था सगळा ने भी इणी तरा रेवणो है
राजस्थान के
लोगो की बीमारियां..
जिनसे
डॉक्टर भी परेशान है..
1. कई भी काम में मनिज नी लागे
2.सुबेवूं गड़बड़ है सा
3. जीव घणो घबरावे
4. कई भी खाओ तो उप्पर आवे...
5. पगतल्यां घणी बले
6. हात पाँव खेचीजे घणा
7.थोड़ीक दूर चालू तो हा भरीज जावे
8. कम्मर घणी फाटे
9. दांत में कच कची आवे...
10. जबान फीकी फच लागे
11 .हाथ पग में भाईन्टा आवे
12.आंख्या में रेत पड़गी एड़ो लागे
13. गळा में कांटा गडयोड़ा जाणै
14. माथो भचक भचक करे
15. गर्दन सीदिज नीं वे
16. उबो ई नी रेविजे
एक जोधपुर का आदमी डॉक्टर के पास गया
"डाकटर साहब बुखार में सरीर बल़ै है !!
डॉक्टर ने चेक किया और दवाइयां लिखने लगा
आदमी : "डाकटर साहब...
.....
खारी ज़ैर दवाई मती लिख दीजो"
डॉक्टर ने उसे घूर कर देखा और फिर दवाइयां लिखने लगा
आदमी : "डाकटर साब...
हुणौ... कड़वी वाली दवाई मत लिखजो सा..."
डॉक्टर भी जोधपुर का था...
उसको गुस्सा आ गया और बोला...
"तो कांई सा आपरे दाल़ रो हीरो ने मावे री कचौरी लिख दूं...?? और एक मिर्ची बडो़ ??
सास बहु की मारवाड़ी कविता:
मत कर सासु बेटो बेटों
ओ तो मिनख म्हारो है
जद पहनतो बाबा सूट
जद ओ गुड्डू थारो हो
अब ओ पहरे कोट पेंट.
अब ओ डार्लिंग म्हारो है
जद ओ पीतो बोतल में दूध
जद ओ गीगलो थारो हो
अब पीवे गिलास में जूस
अब ओ मिस्टर म्हारो है
जद ओ लिखतो क ख ग
जद ओ नानको थारो हो
अब ओ करे watsapp sms
अब ओ जानू म्हारो है
जद ओ खातो चोकलेट आइस क्रीम
जद ओ टाबर थारो हो
अब ओ खावे पिज़्ज़ा बिस्कुट
अब ओ हब्बी म्हारो है
जद ओ जातो स्कुल कोलेज
जद ओ मुन्नो थारो हो
अब ओ जाए ऑफिस में
अब ऑफिसर म्हारो है
जद ओ मांगतो पोकेट खर्चो
जद ओ लाडलो थारो हो
अब ओ ल्यावे लाखां रूपिया
अब ओ ए टी एम म्हारो है
मत कर सासू लालो लालो
अब ओ छैलो म्हारो है |