गुरुवार, 22 दिसंबर 2016

ऐ कदई बैठा आच्छा कोनी लाग

ऐ कदई बैठा आच्छा कोनी लागे
1-कमावण वाळो आदमी।
2-घरे आयड़ो माँगतो।
3-धँधे पर हथाईदार।
4-गाडे बेंवतो बळद।
5-चालतो व्यापार।
6-राखोड़ो नोकर।
7-घणा दिनाँ तक पावणो।
8-नाक माथे माखी।
9-कामआळी बिन्नणी।
10-यात्रा में अण सेंधो मुसाफिर।
11-बिंडी ऊपर कबुतर।
12-चोकी ऊपर कूतियो।
13-घणो जीमतो मीनख।
14-साव गप हाँकणीयो।
15-खुद गो बिरोधी।

बैंक री लेण म

एक भायो आपकी घरआळी नै दिनुग्यां पांच बजे बैंक री लेण म लगाई ! ..

*बाँ दोन्या की आपबीती*

लुगाई:- तपतां -तपतां दो बजे जाता बैंक रै दरूजै म बड़बा को नमर आयो !
तीन बजे जातां कोई कैसियर रै सामी पुगी !
मनै ऊबो राख'र म्हाठो चा पिबा चल्यो गयो !
आधै घण्टै बाद आयो और कम्पुटर पर बैठ'र
बोल्यो " सॉरी मैम पैसे नहीं है ! "

थांकी सौगनज्यो मुण्डो मिरच्यां खायेड़ो सो हुग्यो !
ऐडी स्यूं ले'र चोटी तांई भचीड़ उपड़बा लागग्या सारै दिन
रोई थारै जीव नै और बैरी खाली हाथ टरका दी

मोट्यार:-   रीसां बळतो बोल्यो थारैऊं क्यूँ ही कोनी करीज्यो ??? म्हारै पर तो
15 बेलण तोड़ दिया .. बैंक आळै नै कम स्यूं कम गाळ तो काडती
दो च्यार ....

बा भोत ही धिरजाई स्यूं बोली " बेलण तो आज एक ओज्यूं टूटसी !

पिसा बैंक म नहीं .....थारै खातै म कोनी हा मरज्याणा

औऱ भाईजी आज सौळवूं बेलण भी टूटग्यो

धणी रा घोड़

राजस्थान के साहित्यकारों की पुरातन परम्परा रही हैकि उन्होंने सत्य कथन में कभी सत्ता के डर या लोभ लालच की परवाह नही की है। सच्चा कवि नोट बंदी के बाद आमजन को हुई परेशानी और मानसिक पीड़ा को महसूस किए बिना कैसे रह सकता है।
मारवाड़ के प्रख्यात साहित्यकार आदरणीय नवल जी जोशी साहब ने जन मन की संवेदनाओ को बिना किसी भय लोभ पक्षपात के अपनी कलम से उकेरा है।

# ग़ज़ल #
                        - नवल जोशी

धणी रा घोड़ है जे अड़बड़ै तो अड़बड़ै ब़ीरा
झपाटै  पूँछ रै कोई  मरै  तो  छौ  मरै  ब़ीरा

उजाड़ै सांडिया साबत सजाड़ी साख करसां री
मजूरी  मार  बरसां री  हुकूमत  हद  छळै  ब़ीरा

हुकम नित हालतां बदळै  नगाड़ा कूटता हाकम
गतागम में पज्यौ जनगण कठी कर नीसरै ब़ीरा

हता हक रा रुपीड़ा हाथ में सै बैंक भख लीना
भिखारी ज्यूं पसार्यां हाथ  लैंणां लड़थड़ै ब़ीरा

लगोलग  लूटता  जावै  खजांना  चोर   धाड़ैती
अठी खाली पड़्या ठीकर अणूता खड़बड़ै ब़ीरा

सजाड़ी सांवठी धाड़ैतियां री यां जमातां सूं
धणी री छप्पनी छाती अबै क्यूं थरथरै ब़ीरा

अवल जनराज पाखंडा सरासर कूड़ हथकंडा
मिनख रै रोज गळफंदा  पड़ै तो छौ पड़ै ब़ीरा

                                     - नवल जोशी

बुधवार, 21 दिसंबर 2016

मरांला!!पण बेटी कीकर देवांला?

मरांला!!पण बेटी कीकर देवांला?

गिरधर दान रतनू दासोड़ी
राजस्थान री आंटीली धरा माथै एक सूं एक बधर सूरमा अर साहसी मिनख जनमिया है।जदै तो कवियां कैयो है -पुरस पटाधर नीपजै,अइयो मुरधर देश! इण सिंह उत्पन्न करण वाल़ी धरा रै नर -नाहरां री अंजसजोग कथावां आज ई अमिट है अर पढियां कै सुणियां आपां नै गौरव री अनुभूति करावै।ऐड़ो ई एक किस्सो है रूण रै शासक सीहड़देव सांखला रो।
विक्रम रै चवदमे सईकै रै पूर्वार्द्ध में रूण माथै सांखलां रो राज।अठै रो शासक सीहड़देव महावीर अर स्वाभिमान रो साक्षात पूतलो ।सीहड़देव रै मेहाजल़ दधवाड़िया पोल़पात।मेहाजल़ घणजोड़ो कवि ,सामधर्मी अर चारणाचार रै गुणां सूं अभिमंडित मिनख।
सीहड़देव रै महारूपवंत कन्या।उणरै शील अर रूप गुणां री चरचा चौताल़ै चावी।
उण बगत दिल्ली माथै अलाऊदीन खिलजी रो शासन।खिलजी रजवट री रणबंकी धरा रै कई सूरमां नै धोखै अर घात सूं हराय धूंसतो थको रूण रै पासैकर निकल़ रैयो हो ,उणी समय उणरै कानां में किणी चुगलखोर सांखली रै रूप अर गुणां री चरचा करी अर कैयो कै आपनै इण राजकुमारी साथै फेरा लेणा चाहीजै।खिलजी ई तेवड़ली कै सीहड़देव री कन्या नै परणीज र हरम री सौभा बधाई जावै।
उण रूण री कांकड़ में डेरा किया अर खबरची मेल र सीहड़देव नै कैवायो कै  'कै तो थारी बेटी रो हाथ म्हारै हाथ में दियो जावै या मोत सूं मुकाबलो करण नै त्यार रैणो चाहीजै!'ज्यूं ई सीहड़देव ,खिलजी रो ओ संदेश सुणियो ज्यूं ई बो  आपरै शरीर रै बटक्यां बोड़ण  लागग्यो।तन रै झाल़ां उपड़गी ।गात रा गाभा खावण लागग्या।उणनै ठाह हो कै खिलजी कन्नै सेना घणी अर खुद रै कन्नै मुट्ठीक आदमी!!बचकैक आदम्यां सूं अचाणचक खिलजी सूं मुकाबलो करण रो.मतलब आपघात करण जैड़ो है!उण तुरंत आपरै पोल़पात मेहाजी दधवाड़िया नै बुलाया अर इण अणचींती आफत सूं ऊबरण री सलाह पूछी।
मेहाजी कैयो कै 'इणमें पूछण री कांई बात है?धर जावतां ,धरम पलटतां अर त्रिया माथै ताप आयां तो हर कोई मर पूरा देवै पछै आप तो रूण रा धणी हो!-
धर जातां धर्म पलटता,
त्रिया पड़ंतां ताव!
तीन दिहाड़ा मरण रा
कहा रंक कहा राव।।?
आपां ई केशरिया कर र रजपूती री आण कायम राखांला!आप जुद्ध री त्यारी करावो अर म्है दो दिन खिलजी री सेना रोकण री जुगत करूं।' कवि मेहाजल़ रा भाव देवकरणजी ईंदोकली रै आखरां में-
इम सजजै आसेर,
कर तोपां हर कांगरै।
फेरा हुवै न फेर,
बाई रा बीजी बगत।।
दूजा धर दीजैह,
असुभ रंग सह आंतरै।
केसरिया कीजैह,
सजजै मांडो सांखला।।(सीहड़दे चरित)
मेहाजल़ दधवाड़िया सीधा खिलजी रै डेरे पूगिया अर कैवायो कै सीहड़देव रो पोलपात मेहो दधवाडियो पातसाह रै हाजर होणो चावै!
पातसाह ई पोलपात री महत्ता अर राजपूतां रै मन में चारणां री कद्र सूं परिचित हो ।उण मेहाजल़ नै ससम्मान बुलायो अर आवण रो कारण पूछियो।मेहाजल़ कैयो कै 'आपरा समाचार सीहड़देव कन्नै पूगग्या पण ऊभघड़ी इतरी व्यवस्था होवै नीं सो चार दिन ब्याव री त्यारी करण वास्तै चाहीजै।जितै दो दिन आप म्हारै मेहमाण हो।कालै म्हारी बेटी रो ब्याव प्रसिद्ध चारण कवि हूंफाजी सांदू सूं होवैला।आप दो दिन म्हारै अठै रुकर बडजानी री रीत निभावो।'खिलजी हूंफकरण सांदू री प्रज्ञा अर प्रतिभा नै सावजोग जाणतो। तो दूजै कानी मेहा री मेधा ,वाकपटुता,  सहजता अर आत्मविश्वास सूं प्रभावित होय दो दिन मेहमाण बणण री हां भरली तो दूजै कानी आ भोल़ावण दीनी कै सीहड़देव री बेटी सूं खिलजी री शादी करावण री जिम्मेदारी मेहाजल़ री है।
मेहाजल़ दो दिन खिलजी री इतरी आवभगत करी कै उण रीझर मेहाजल़ नै 'कूरबै समंद' रो विरद देय सम्मानित कियो।
दो दिनां में सीहड़देव ई आपरै भाईयां,सगै-संबंधियां नै भेल़ा कर लिया अर केसरिया कर र मरणो तेवड़ियो।ज्यूं ई अलाऊदीन नै ठाह लागो कै सांखला ब्याव री नीं मरण री त्यारी कर रैया है अर मेहाजल़ उणनै इणी खातर दो दिन धोखै में राखियो।उणरी रीस रो पार नीं रैयो।उणी बगत रूण माथै हमलो होयो।प्रभात री वेल़ा में राजपूतां मरण रांमत मांडी।हर-हर महादेव रै जोशिलै सुर अर चमकती तीखी तरवारां री धारां सूं एकर तो खिलजी रा पग डगमग ग्या  पण जैड़ो कै घण जीतै अर जोधार हारै वाल़ी  सही होई।आखर में सीहड़देव रै महलां में जौहर री झाल़ां धधक उठी।सीहड़देव पराक्रम बताय आपरी आण सारु वीरगति रो वरण कियो-
सिहड़दे लड़ियो खिलजी सूं,
अवनी पर राखण जस झंडी।
प्राणां रै बदल़ै पणधारी ,
मरजाद सांखलै धर मंडी।।(इणनै ईज कैता रजपूती!गिरधर दान रतनू)
वीरगति पावण सूं पैला सीहड़देव सांखलां नै भोल़ावण दी कै जे असली हो! तो दधवाड़ियां सूं मत बदल़जो अर जिको सांखलो आंसूं  बदल़ेला बो असली सांखलो नीं होवैला-
सीहड़ राणै अक्खियो,
आ धारा री धीज।
जो पलटै दधवाड़ियां,
जो सांखलां न बीज!!
गिरधर दान रतनू दासोड़ी

RAJASTHAN Gk

Most important texts of
RAJASTHAN

अभ्रक की मण्डी - भीलवाड़ा
आदिवासीयो का शहर - बाँसवाड़ा
अन्न का कटोरा - श्री गंगानगर
औजारो का शहर - नागौर
आइसलैण्ड अॉफ ग्लोरी - जयपुर
उध्यानो,बगीचो का शहर - कोटा
ऊन का घर - बीकानेर
ख्वाजा की नगरी - अजमेर
गलियो का शहर - जैसलमेर
गुलाबी नगरी - जयपुर
घंटियो का शहर - झालरापाटन
छोटी काशी - बुन्दी
जलमहलो की नगरी - डीग
झीलो की नगरी - उदयपुर
वस्त्र नगरी - भीलवाड़ा
देवताओं की उपनगरी - पुष्कर
नवाबो का शहर - टोंक
भारत का पेरिस - जयपुर
⛅पूर्व का वेनिस - उदयपुर
पहाड़ो की नगरी - डुंगरपुर
भक्ति व साधना की नगरी - मेड़तासिटी
मूर्तियो का खजाना - तिमनगढ़ , करौली
मरुस्थल की शोभा - रोहिड़ा
राजस्थान की मरुनगरी - बीकानेर
राजस्थान का ह्रदय - अजमेर
राजस्थान का प्रवेश द्धार - भरतपुर
राजस्थान का सिंह द्धार - अलवर
राजस्थान का अन्न भण्डार - गंगानगर
राजस्थान की स्वर्णनगरी - जैसलमेर
राजस्थान की शिक्षा की राजधानी - अजमेर
राजस्थान का कश्मीर - उदयपुर
राजस्थान का काउंटर मेग्नेट - अलवर
राजस्थान की मरुगंगा देश न्दिरा गाँधी नहर
पश्चिम राजस्थान की गंगा - लुणी नदी
राजस्थान की मोनालीसा - बणी ठणी
रेगिस्तान का सागवान - रोहिड़ा
राजस्थान का खजुराहो - भण्डदेवरा
राजस्थान का कानपुर - कोटा
राजस्थान का नागपुर - झालावाड़
राजस्थान का राजकोट - लुणकरणसर
राजस्थान का स्कॉटलैण्ड -अलवर
⚓राजस्थान की धातु नगरी - नागौर
राजस्थान का आधुनिक विकास तीर्थ - सूरतगढ़
राजस्थान का पँजाब - साँचौर
राजस्थान की अणुनगरी - रावतभाटा , बेगूँ
राजस्थान का हरिद्धार - मातृकुण्डिया , चित्तौड़गढ़
राजस्थान का अण्डमान - जैसलमेर
राजपुताना की कूँची - अजमेर
राजस्थान का मेनचेस्टर - भिवाड़ी
राजस्थान का जिब्राल्टर - तारागढ़ , अजमेर
राजस्थान का ताजमहल - जसवंतथड़ा , जोधपुर
राजस्थान का भुवनेश्वर - ओसियाँ
☁राजस्थान की साल्टसिटी - साँभर
राजस्थान की न्यायायिक राजधानी - जोधपुर
☔राजस्थान का चेरापूँजी - झालावाड़
राजस्थान की डल झील - माउण्ट आबू
राजस्थान का गौरव - चित्तौड़गढ़
ऐसो है मेरो .
राजस्थान

शनिवार, 17 दिसंबर 2016

हरियाणा की ताई

हरियाणा की ताई

एक बार एक मुकदमे में ताई गवाह बना दी गई।

ताई कोर्ट में जा कर खड़ी हो गई,

दोनो वकील भी ताई के गाँव के ही थे !

पहला वकील बोला= " ताई तू मन्ने जाणे स ?

ताई बोली= हाँ भाई तू रामफूल का छोरा है ना,

तेरा बापु घणा सूधा आदमी था ।

पर तू निकम्मा एक नम्बर का झूठा।

झूठ, बोल बोल कर के तूं लोगां ने ठगै सै।

" झूठे गवाह " बना कर के तू केस जीते सै।

तेरे से तो सारे लोग परेशान है,

तेरी लुगाई भी परेशान हो कर के तन्ने छोड़ गै भाज गई।

वकील बेचारा चुप हो कर के देखने लगा ।

उसने सोचा मेरी तो घणी बेइज्जती हो गई अब तू दुसरे की और करा,

उस वकील ने थोडी देर में
दूसरे वकील की तरफ इशारा कर के,

पुछा="ताई"तू इसने जाणे सै के?

ताई बोली=" हाँ "

यो फुले काणे का छोरा सै ।

इसके बापू ने निरे रूपिये खर्च करके इसे पढ़ाया पर इसने 'आंक ' नही सीखा ।

सारी उमर छोरियां के पीछै हांडे गया ।

इसका चक्कर तेरी बहू से भी था !

(कोर्ट में बैठी जनता हांसण लाग गी )

जज बोला :- "आर्डर आर्डर"।

और दोनो वकीलों को अपने चेम्बर में बुलाया।

जज बोला=अगर तुम दोनो वकीलों में से किसी ने भी इस ताई से यो पूछा के,

" इस जज न जाणे से "

तो मैं थारे गोली मरवा दूँगा.

गेल सफी कठई की

*पत्नी बोली* ….
ओ जी थे हर बात मं म्हारा पीहर वाला न बीच मं क्यूँ ल्याओ हो।
जो केवणो है म्हन सीधो- सीधो के दिया करो

*पति बोल्यो* :
देख बावळी, अगर आपणो मोबाइल खराब हु ज्याव तो आपां मोबाइल न थोड़ी बोलां ,
गाल्यां तो कंपनी वाला न ही काढस्यां नी
गेल सफी कठई की………

गुरुवार, 15 दिसंबर 2016

मायरो

टीचर : सभी लड़कियो को बहन मानो !

विद्यार्थी : मैं तो नहीं मानूंगा !

टीचर : क्यों.....  ???

विद्यार्थी : इत्तो मायरो  कुण भरेला।

शनिवार, 10 दिसंबर 2016

मधरो मधरो बोल पपीहा

गीत

रचना राजेन्द्र दान।राजन। पुत्र श्री भँवर दान जी झनकली

मधरो मधरो बोल पपीहा हाल हकीकत बोल

1 हूँ पंखी उन्मुक्त गगन रो आजादी सदा अपनावे।
रील मिल कर रहणो जगत मो संग सदा सुहावे।
भेळा होवे ने करो बसेरो इक डाली इक पोल।
हाँ हाँ मधरो मधरो बोल पपीहा  हाल हकीकत बोल।

2
ग्राम सेवक जी ग्राम मीटिंगों कागज मो ही करवावे।
नरेगा रो काम नजर मो देख्यो नी दरसावे।
राखे मिस्टोल रालियो भीतर पखवाड़े भर दे खोल।
हाँ हाँ मधरो मधरो बोल पपीहा हाल हकीकत खोल।

3
सरपंच होवे जनता रो सेवक चार आना खा जावे।
परसेंटो रा पइसा पूरा जईयन अईयन।ले जावे।
टांका औरड़ी शौचालय बाबत पूरा करो पेली कोल।
हाँ हाँ मधरो मधरो बोल पपीहा हाल हकीकत बोल

4
स्कूलां खुल गई असंखो नामांकन हो गयो नाश।
शिक्षा रे प्रयोगों आगे अवरुद्ध हुओ विकाश।
पढाई हो गई पूरी अब तो रिकार्ड राखो खोल।
हाँ हाँ मधरो मधरो बोल पपीहा हाल हकीकत बोल।

5
बाबू बण बेठो मास्टर अब हर दिन डाक बनावे।
पोषाहार पकाणो सब सु पेली पछे पाठ पढ़ावे।
इण खातर तो बढ़ रही संख्या निजी स्कुलो मो जोर।
हाँ हाँ मधरो मधरो बोल,,,,,,,,,,

6
हल्काधीश हुआ हाई टेक अब तो कम्प्यूटर काम करावे।
दर्शन हुआ हल्के मो दुर्लभ मुख्यालय मोज मनावे।
पीड़ हुवे तो ले जाओ परसादी बोतल रो मुंडो खोल।
हाँ हाँ मधरो मधरो बोल,,,,,,,

7
अस्पतालों डॉक्टर अण पूरा मरीजो कुण मरज घटावे।
लम्बी लम्बी लाइनों रे कारण प्राइवेटो फ़ीस चुकावे।
निशुल्क दवा नई लेकर वो तो बाजारों लेवे मोल।
हाँ हाँ मधरो मधरो बोल,,,,,,,,,

8
आंगनवाड़ी मो कोई नई आवे कागज मो काम करावे।
हाजरिया भरे कुड़ी हमेशा मिलकर मोज मनावे।।
गरम खाणे रा पइसा गटकावे ओ तो मुफ़्त खोरी रो होल।
हाँ हाँ मधरो मधरो बोल,,,,,,,,,

9
पुलिस तो जनता री पालक नाहक नाच नचावे।
पेली घटना पछे पुगणो बयान हकीकत बदलावे।
चोरी जारी लूटपाट चहु और मिलती रा चुके मोल।
हाँ हाँ मधरो मधरो बोल,,,,,,

10
सरकारी योजनावां सखरी कारिंदा नई काम करावे।
गरीबो रो हक गीटे गर्व सु मल्ला भाई मोज मनावे।
फोकट रो खाकर फोकटिया बोले बड़का बोल।
हाँ हाँ मधरो मधरो बोल,,,,,,,,

11
साचो मानव हुवे सतवादी कूड़ा बहू काम करावे।
फर्जीवाड़े रा काम फोकटिया सानी मो समझावे।
डोफा बनाकर करे डिलरिया राशन मो रोम्फा रोळ।
हाँ हाँ मधरो मधरो बोल,,,,,,,,

12
मदद करे गरीब मिनख री सो नर काम सहावे।
अण समझो रा काज अदब सु सरवत सदा सरावे।
आशीष देवे नित अमोलख बोले वो मीठे बोल।
हाँ हाँ मधरो मधरो बोल,,,,,,,

13
कूड़ कपट करे काचडो पाछे सब पछतावे।
सच्चाई री जीत सदा ही सारा काज सरावे।
कव राजन विनती कर कहता मानवता हे अनमोल।
हाँ हाँ मधरो मधरो बोल पपीहा हाल हकीकत खोल।

कव राजन झनकली कृत
भूल चूक गलती के लिए माफ़ी

सौभाग्य सिंहजी शेखावत 

परम श्रद्धेय सौभाग्य सिंहजी शेखावत  ,राजस्थानी साहित्य रा थंभ हा।उणां जिकी डिंगल़ अर विशेषकर चारण साहित्य री जिकी सेवा करी,बा अनुपम अर अद्वितीय ही।म्हारै माथै उणांरी घणी मेहरबानी ही।म्हारी पोथी 'मरूधर री मठोठ' में आप आशीष सरूप अंजस रा आखर लिखिया।बीकानेर विराजता जितै ,म्हनै फोन करर बंतल़ सारू बुलावता।लारलै वरस पोतै नै परणावण पधारिया जणै व्यक्तिगत फोन करर मिलण रो आदेश दियो पण दुजोग सूं मिल नीं पायो।अणुंतो स्नेह हो।
म्हारी उण पुण्यात्मा अर दिव्यात्मा नैं सादर श्रद्धांजलि।
2003 में म्हारो निबंध संग्रह 'मरूधर री मठोठ' छपी।आदरणीय नाहटाजी री भूमिका अर शेखावत साहब अंजस रा आखर लिखिया।म्है जेड़ै अकिंचन माथै एक महामनीषी नैं अंजस आवणो,म्हारै सारु गीरबै री बात ही।
"राजस्थान अर राजस्थानी भाषा रो मध्यकाल़ रो घणकरो साहित्य सगती अर भगती रो साहित्य है।अठै एक कांनी वीर पूजा रै मान-मोलां री आरतियां उतारीजी है ,बठै दूजै कांनी सुरसती रै साधकां री पालकियां कंधां माथै ऊठायनै सत्कार अर सम्मान कर्यो गयो है।शास्त्र-पूजा अर शब्द-पूजा  साथै -साथै होवती रैयी है ।इणी परंपरा रा ओपता आखरां रा आखा (अक्षत) 'मरूधर री मठोठ' राजस्थानी साहित्य रा जोध -जवान साहित्यकार श्री गिरधर दान रतनू रै नुवै नकोर सात साहित्यिक अर सांस्कृतिक निबंधां रै संकलन में है।श्री गिरधर दान रतनू अध्ययनशील अर अनुसंधान रुचि रा साहित्यकार है।इणां रो गद्य अर पद्य लेखन माथै पूरसल अधिकार है।भाषा पर पूरी पकड़ है।बानगी रूप नीचै री ओल़ियां  भाषा री पोल़ियां री किंवाड़ इण भांत  खोलै-'मरस्या तो मोटै मतै,
सह जग सपूत।
जीस्यां तो देस्यां जरू,
जुलमी रै सिर जूत।।
ओ ईज चारण रो मूल़ मंत्र रैयो है,जद ईज तो चारण नीची नांखनै कदैई नीं जीया।स्वाभिमान कदीम सूं कायम राख्यो।जब लग सांस सरीर में ,तब लग ऊंची तांण।जका ऊंची ताणै ,उणांनैं जगत जाणै।वीर ईज वीरता री कूंत करसी।नीतर ईलोजी वाल़ा घोड़ा है।'म्हनै घणो भरोसो है कै श्री गिरधर दान रतनू राजस्थानी साहित्य सिरजण रै ऊंचै पगोथियां चढनै सुरसती रै कल़स रूपी सिखर नैं सौभायमान करसी अर राजस्थानी साहित्यकार समाज 'मरूधर री मठोठ' रो घणो लाड स्वागत करसी।'(काफी लंबा है,उसमें केवल आंशिक दिया।)
उण बगत म्है आपनै कीं दूहा अर एक वेलियो गीत निजर कियो सो आपनैं ई मेल रैयो हूं।-
दूहा
गुण आगर गाहक गुणी,
खरो रतन खत्रवाट।
शेखावत सौभागसी,
बहै वडेरां वाट।।
असतपणै री आज दिन,
लत सारां नैं लाग।
बोदी नासत बगत में,
सत पाल़ै सौभाग।।
मन री मजबूती मुदै,
धिन रजपूती धार।
शेखावत सौभाग रो
सिरै सपूतीचार।।
पाल़ै आदू प्रीत नैं
रति ना छंडै रीत।
सधरपणै सौभागसी,
जग सारै जस जीत।।
बेवै पुरखां वाटड़ी,
आदू मारग ऐह।
शेखाहर सौभाग नैं,
नित पातां सूं नेह।।
पह समोवड़ पेखणो,
बडो लघु इक बात।
शेखाहर सौभागसी
मुद जाहर महि माथ।।
गीत वेलियो

शेखाधर भगतपुरै शेखावत,
सुत काल़ू राजै सौभाग।
भड़ मग आद सुधारै भाल़ो
आयां पात बधारै आघ।।
पाल़ै प्रीत सुपातां पूरी,
रजवट तणी रुखाल़ै रीत।
अरियां तणो गरब उथवाल़ै
नित उजाल़ै आरज नीत।।
कारज सार बियां काल़ूवत,
जोगापण कीरत नित जीप।।
मीठो रहै सबां मनमेल़ू,
दीठो जात दीपतो दीप।।
इकरंग रहै बात इकरंगी,
बोरंग सथ बहै नीं वाट।
साचै तणो रहै हित संगी,
हेत तणी मांडै थिर हाट।।
विदगां अनै छत्रियां व्हालो,
सचवाल़ो टोल़ै सम सीर।
सुत काल़ू अज तक सतवाल़ो,
विरदाल़ो शेखाहर वीर।।
साहित तणी सिरजणा सधरी,
छत्री भाव तणा दे छौल़।
समवड़ कलम तुली समसेरां,
राची आ साची रणरोल़।।
चहुंवल़ आज शेखाहर चावो,
दाटक नर हद ठावो दाख।
संपादन सिरै साहित रो शोधक,
संसारै पूगी आ साख।।
बोदी बगत मानवी विटल़ा,
पड़गी प्रीत पुराणी पेख।
रजपूती तणो रूंखड़ो सींचै,
इल़ सौभाग धरण में एक।।
म्हारी विनम्र अर सादर श्रद्धांजलि।
नमन।
गिरधर दान रतनू दासोड़ी