मंगलवार, 31 जनवरी 2017

नीं बुझेला कदै ई प्रकाश!!

नीं बुझेला कदै ई प्रकाश!!

गिरधर दान रतनू दासोड़ी
चित्तौड़ !
इण धरती रो सिरमोड़ !
ईं नीं बाजै है!
इणरै कण -कण में है
स्वाभिमान री सोरम
सूरमापणै री साख
जिकी नै राखी है मरदां
माथां रै बदल़ै!
रगत  सूं सींचित
उण रेत रै रावड़ -रावड़ में
सुणीजै है अजै ई मरट रै सारू
मरण सूं हेत रा सुर!
मरणो !तो अठै  रै मरदां रो खेल है
जिणनै ऐ रमता ई रैया है
मात रो गौरव मंडण नैं
इसड़ी ई तो  रमी ही रामत!
पदमणी  रमझमती
झांझर रै झणकारां
खांडां री गूंजती खणकारां में
स्वाभिमान रै सारू
करण नै  मुल़कती 
अगन रै साथै अठखेलियां
सांईणी सहेलियां रै चित सुचंगै सागै।
उतरी ही गुमर सूं
सगल़्यां रै आगे
गल अमर राखण नै
सूरज री उगाल़ी  सागे
देवण नै अरघ सतवट सूं
कुल़वट री आण
पुरखां रो माण
शान सायब री
अंतस में समायां
धम-धम पगला धरती
डमरती रजवट री रीत
जीत !जसनामो रचण नै
सतेज ! जोयो सूरज रै साम्हो
अर बोली
हे भल़हल़ता भाण!
आभै रा वासी!
उपासी सतवट रा
बणजै साखी
म्हारी रजपूती रो!
मन री मजबूती रो!
साहस अर सपूती रो!
दीजै समचो जगत नै!
कै
एक रजपूतण
कीकर दीधो है अरघ !
आपरै पावन रगत सूं।
इतरी कैय
बा रचण नै चरित्र चित्तौड़ रो,
उतरगी सूरज री साख में
धधकती झाल़ां में झूलण(नहाना)
विसरगी आपो अणहद आणद में
लपटां रा लहरां में
लहरां लेवती!
बा झूली जौहर री जगमगती झाल़ां में
अर बे झल़हल़ती झाल़ां
करण लागी बंतल़
भल़हल़ते भासंकर सूं
कै हे अरक!
साची बताजै
कै
थारै उजास सूं
कांई तन्नै कमती लागे है?
कठै ई पदमण रो प्रकाश!
नीं!,सूरज बोलियो
म्हारै समवड़ ई है
इण नार रै सत रो सतेज
जिणमें पतिव्रत रो प्रकाश सवायो है!
जितै तक जीवैला
इण धर माथै
सत-पथ बैवण वाल़ी
सुघड़ नारियां
उतै तक ओ प्रकाश!
नीं बुझेला!
नीं बुझेला!!
गिरधर दान रतनू दासोड़ी

सोमवार, 30 जनवरी 2017

पदमणी पच्चीसी-

पदमणी पच्चीसी-

गिरधर दान रतनू दासोड़ी
जौहर री ज्वाल़ा जल़ी,
राखी रजवट रीत।
चावै जगत चित्तौड़ नैं,
पदमण कियो पवीत।।1
झूली सतझाल़ा जबर,
उरधर साख अदीत।
गवराया धर गुमर सूं
गौरव पदमण गीत।।2
खप ऊभो खिलजी खुटल़,
जिणनै सक्यो न जीत।
जौहर कर राखी जगत,
पदमण कँत सूं प्रीत।।3
सतवट राख्यो शेरणी,
अगनी झाल़ अभीत।
हिंदवाणी हिंदवाण में,
पदमण करी पवीत।।4
जगमगती ज्वाल़ा जची,
भल़हल़ साखी भास।
परतख रचियो पदमणी,
ऊजल़ियो इतिहास।।5
जुड़ भड़ जिथियै जूझिया,
साको रच्यो सबास।
मांझी धरा मेवाड़ री,
इल़ हिंद अजै उजास।।6
आयो खिलजी उमगँतो,
निलज निहारण नूर।
करवाल़ा ले लाज कज,
सँभिया मरवा सूर।।7
साम झड्यो सँग्राम सज,
उरधर पुरखां आण!
जौहर पदमण झूलगी,
महि अजै थिर माण।।8
मरणो दोरो मांटियां,
साजण बात सहल्ल।
प्रभता थिर हद पदमणी,
गुमर अमर आ गल्ल।।9
कुलवट ऊजल़ जिण करी,
सतवट राखी साज।
प्रिथमी जद ही पदमणी,
अमर अजै इल़ आज।।10
पतिव्रत राख्यो पदमणी,
जौहर ज्वाल़ा जूझ।
ढिगलो राखी देख ढिग,
अरियण बुवो अमूझ।।11
खपियो खिलजी खागबल़
कुटल़ गलां रच केक।
खंड न सकियो खुटल़पण
टणकाई री टेक।।12
पदमण परसी पीवनै,
परसी भगवन पाव!
दरसण दिया न दोयणां,
दिया न हीणा दाव।।13
सीखी नह डरणो सधर,
पौरस अंतस पूर!
पत सत कारण पदमणी,
मरणो कियो मँजूर।।14
चढणो हद  चंवरी चवां,
बसुधा सोरी बात।
रचणी जौहर रामतां,
खरी दुहेली ख्यात।।15
वरिया अरियण वींद ज्यां,
निपट कठै बै नाम!
पदमण रो प्रथमाद पर,
जपै मही अठजाम।।16
हर हर कर बैठी हुलस,
पदमण नार निपाप।
दरसी नाही दोयणां,
अगनी परसी आप।।17
चखां चित्तौड़ां देखियो,
अगनी लागी आभ!
हुई नहीं नह होवसी,
उणरी मगसी आब।।18
पितलजा पच पच मुवा,
रच रच तोतक रीठ।
मच मच लड़्या मेवाड़ रा
परतन दीनी पीठ।।19
दिल्ली पच हारी दुरस,
जेर करण नै जोय।
मरट अहो मेवाड़ रो,
काढ न सकियो कोय।।20
मेदपाट रै मोदनै,
खल़ां चयो मन खोय।
करण कलुषित तिम कियो,
जिम जिम ऊजल़ जोय।।21
लपटा निरखी लोयणां,
गढ चित्तौड़ गंभीर।
अंजसियो उर आपरै,
धुर ना छूटो धीर।।22
जगमगती ज्वाला जबर,
सगती मारग साच।
पूगी सुरगां पदमणी,
रमणी क्रांमत राच।।23
मही धरा मेवाड़ री,
करै न समवड़ कोय।
देवी पदमण देहरो,
जगसिर तीरथ जोय।।24
भगती सूं भुइ ऊपरै,
जस जगती में जोय।
पावन कीधा पदमणी,
देख घराणा दोय।।25
गिरधर दान रतनू दासोड़ी

रुकी नांही धर्म राह'

रुकी नांही धर्म राह'सती सत वंती पद्मावती!
अखर्यों अल्लों आय पर्द'मन पुर माङि अती!! (1)
केद कर रांण लिन्यो'कुटल करहु महाराणी तांही!
पात भेज प्रेम पिताण्यो'नेह धर्म नार समझाही!!(2)
कटायों केद कंथ रांणी'दम दिखा तुर्काण को!
खिरें कोट खुन खेल'चिंतह रांणी चितांय को!!(3)
मरजाद देख दुनि मांहि'होत नांहि हिन्दू दांहि!
राखे आंन बान रजपुत'जुगा ज्यांरी बात केहि!!(4)*

रविवार, 29 जनवरी 2017

जलंधरनाथ सुजस

जलंधरनाथ सुजस

गिरधर दान रतनू दासोड़ी
किणियागिर री किंदरां,
वसै जलंधर वास।
प्रतख जोगी पूरणो,
आप जनां री आस।।1
दाल़द दासां दाटणो,
उरड़ आपणो आथ।
जोगी रहै जाल़ोर में,
नमो जल़धरनाथ।।2
जाहर जूनी जाल़ियां,
थाहर सिंघां थाट।
जिथियै नाथ जलंधरी,
हर हर खोली हाट।।3
सैखाल़ै रू सोनगिर,
जप-तप नगर जोधाण।
तापस रातै गिरँद त़ू,
इथियै रहै अमाण।।4
रातै गिर सिर राजणो
रटणो हर हर हेर।
वाहर जाहर बाल़कां
दुरस करै नीं देर।।5
भीम दलो रु कान भण,
सबल़ो लाल़स साच।
ज्यां सिर नाथ जलंधरी ,
आय दिया निज आच।।6
अपणाया निज आप कर
सेवग किया सनाथ।
वसुधा तिण दिन बाजियो,
नमो चारणानाथ।।7
छंद रूपमुकंद
बजियो धर चारणनाथ बडाल़िय,
रंग सदामत रीझ रखी।
सबल़ै दलसाह रु भीमड़(भीमड़ै) सांप्रत,
आपरि कीरत कान अखी।
तद तोड़िय दाल़द तूठ तिणां पर,
बात इल़ा पर आज बहै।
जय नाथ जलंधर जोगिय जाहर,
राज रातैगिर थान रहै।।
राज रातै गिर वास रहै।।1
भल अंग भभूत सुसोभित भारण,
धारण ध्यान धणी धजरो।
श्रवणां बिच कुंडल़ वेस सिंदूरिय,
आच कमंडल़ है अजरो।
जग कारण जोग जगावत जाणिय,
सामियमोड़ समाज सहै।
जय नाथ जलंधर जोगिय जाहर,
राज रातैगिर थान रहै।।2
अवधूत अलेखत नांमत आगल़,
पांमत क्रांमत नाय पुणां।
गुरु गोरखनाथ गहीर गुणाढय,
सांझ मछंदर संग सुणां।
रमता कई सिद्ध धुणी तप रावल़,
ग्यान मुनेसर आय गहै।
जय नाथ जलंधर जोगिय जाहर,
राज रातैगिर थान रहै।।3
समरत्थ सिधेसर आप तणी सत,
चाव उछाव चलै चरचा।
रँक राव किया अपिया द्रब राजस,
पेख सुभाव दिया परचा।
मरुदेश तप्यो हद मान महीपत,
पाव तिहाल़िय ओट पहै।
जय नाथ जलंधर जोगिय जाहर,
राज रातैगिर थान रहै।।4
वर आसण धार विछाय बघंबर,
ओढण अंबर गात अहो।
धुन धार जटेसर जापण धारण,
कारण जारण ताप कहो।
सज संतन काज सताब सुधारण,
थाट अपारण आप थहै।
जय नाथ जलंधर जोगिय जाहर,
राज रातै गिर थान रहै।।5
किणियागिर पाट जहान कहै इम,
राजत आण अमाण रमै।
तन ताप जमात सनाथ तपेसर
जाण जाल़ां बिच जोर जमै।
थल़वाट शेखाल़य गोगरु थांनग,
मंझ मरूधर देश महै।
जय नाथ जलंधर जोगिय जाहर,
राज रातै गिर थान रहै।।6
मुख नूर निरम्मल़ तेज महीयल़,
देह कड़क्कड़ ऐह दिपै।
विरदाल़ निजां जन बुद्ध वरीसण,
काम मनोरथ कष्ट कपै।
उपजै उकती उर म़ांय अमामिय,
जामिय तूझ रि जाप जहै।
जय नाथ जलंधर जोगिय जाहर,
राज रातैगिर थान रहै।।7
वरणूं वनवासिय हेक विसासिय,
आसिय पूरण तूं अमणी।
सुणजै सुखरासिय साद सँनासिय,
तीख प्रकासिय आप तणी।
हिव गीध उपासिय तो हिवल़ासिय,
दीह उजासिय साम दहै।
जय नाथ जलंधर जोगिय जाहर,
राज रातैगिर थान रहै।।8
छप्पय
जयो जलंधरनाथ,
वाह जोगी विरदाल़ा।
जिण जपियो मन जाप,
वण्यो हमगीर वडाल़ा।
जूनी जाल़ां जोर,
तवां जाल़ोर तिहाल़ी।
वडी कंदरां वास,
इल़ा जसवास उजाल़ी।
शेखाल़ै थल़ी मँदर सिरै,
रातै गिरँदां रीझियै।
कवियाण गीध कीरत कथै,
दाता आणद दीजियै।।
गिरधर दान रतनू दासोड़ी

शनिवार, 21 जनवरी 2017

घर आज्या परदेसी तेरा गाँव बुलाये रे. ..

घर आज्या परदेसी तेरा गाँव बुलाये रे. ..

"गाँव री याद"

गाँव रा गुवाड़ छुट्या, लारे रह गया खेत
धोरां माथे झीणी झीणी उड़ती बाळू रेत

उड़ती बाळू रेत , नीम री छाया छूटी
फोफलिया रो साग, छूट्यो बाजरी री रोटी

अषाढ़ा रे महीने में जद,खेत बावण जाता
हळ चलाता,बिज बिजता कांदा रोटी खाता

कांदा रोटी खाता,भादवे में काढता'नीनाण'
खेत मायला झुपड़ा में,सोता खूंटी ताण

गरज गरज मेह बरसतो,खूब नाचता मोर
खेजड़ी , रा खोखा खाता,बोरडी रा बोर

बोरडी रा बोर ,खावंता काकड़िया मतीरा
श्रादां में रोज जीमता, देसी घी रा सीरा

आसोजां में बाजरी रा,सिट्टा भी पक जाता
काती रे महीने में सगळा,मोठ उपाड़न जाता

मोठ उपाड़न जाता, सागे तोड़ता गुवार
सर्दी गर्मी सहकर के भी, सुखी हा परिवार

गाँव के हर एक घर में, गाय भैंस रो धीणो
घी दूध घर का मिलता, वो हो असली जीणो

वो हो असली जीणो,कदे नी पड़ता बीमार
गाँव में ही छोड़आया ज़िन्दगी जीणे रो सार

सियाळे में धूंई तपता, करता खूब हताई
आपस में मिलजुल रहता सगळा भाई भाई

कांई करा गाँव की,आज भी याद सतावे
एक बार समय बीत ग्यो,पाछो नहीं आवे

कृपा गाँव को याद करके रोना मत रोने से अच्छा है एक बार गाँव हो आना मन हल्का हो जायेगा और मन  को सुकून मिलेगा. ..

शुक्रवार, 20 जनवरी 2017

जीवणों दौरो होग्यो

जीवणों दौरो होग्यो
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घणां पालिया शौक जीवणों दोरो होग्यो रे
देवे राम नें दोष जमानों फौरो होग्यो रे

च्यारानां री सब्जी ल्यांता आठानां री दाल
दोन्यूं सिक्का चाले कोनीं भूंडा होग्या हाल
च्यार दिनां तक जान जींमती घी की भेंती धार
एक टेम में छींकां आवे ल्याणां पडे उधार
जीवणों दोरो-----------------------------------

मुंडे मूंड बात कर लेंता नहीं लागतो टक्को
बिनां कियां रिचार्ज रुके है मोबाईल रो चक्को
लालटेन में तेल घालता रात काटता सारी
बिजली रा बिल रा झटका सूं आंख्यां आय अंधारी
जीवणों दोरो----------------------------------------

लाड कोड सुं लाडी ल्यांता करती घर रो काम
पढी लिखी बिनणिंयां बैठी दिनभर करै आराम
घाल पर्स में नोट बीनणीं ब्यूटी पारलर जावे
बैल बणें घाणीं रो बालम परणीं मोज उडावे
जीवणों दौरो----------------------------------------

टी वी रा चक्कर में टाबर भूल्या खाणों पीणों
चौका छक्का रा हल्ला में मुश्किल होग्यो जीणों
बिल माथै बिल आंता रेवे कोई दिन जाय नीं खाली
लूंण तेल शक्कर री खातर रोज लडै घरवाली
जीवणों दौरो-----------------------------------------

एक रुपैयो फीस लागती पूरी साल पढाई
पाटी बस्ता पोथी का भी रुप्या लागता ढाई
पापाजी री पूरी तनखा एडमिशन में लागे
फीस किताबां ड्रेसां न्यारी ट्यूशन रा भी लागे
जीवणों दौरो----------------------------------------

सुख री नींद कदै नीं आवे टेंशन ऊपर टैंशन
दो दिन में पूरी हो ज्यावे तनखा हो या पैंशन
गुटखां रा रेपर बिखरयोडा थांरी हंसी उडावे
रोग लगेला साफ लिख्यो पणं दूणां दूणां खावे
जीवणों दौरो--------------------------------------
पैदल चलणों भूली दुनियां गाडी ऊपर गाडी
आगे बैठे टाबर टींगर लारै बैठे लाडी
मैडम केवे पीवर में म्हें कदै नीं चाली पाली
मन में सोचे साब गला में केडी आफत घाली
जीवणों दोरो--------------------------------------

चाऐ पेट में लडै ऊंदरा पेटरोल भरवावे
मावस पूनम राखणं वाला संडे च्यार मनावे
होटलां में करे पार्टी डिस्को डांस रचावे
नशा पता में गेला होकर घर में राड मचावे
जीवणों दौरो ------------------------------------------

अंगरेजी री पूंछ पकडली हिंदी कोनीं आवे
कोका कोला पीवे पेप्सी छाछ राब नहीं भावे
कीकर पडसी पार मुंग्याडो नितरो बढतो जावे
सुख रा साधन रा चक्कर में दुखडा बढता जावे
जितरी चादर पांव पसारो मन पर काबू राखो
भगवान भज्यां ही भलो होवसी थांको
जीवणों दौरो होग्यो रे

गुरुवार, 19 जनवरी 2017

मकोड़ो

एक बार एक कालो आदमी सफ़ेद झक धोती कुरतों पेरने ख़ुद री लुगाई ने बोल्यो....
"ए रे में कियान को लाग रयो हु ?"

लुगाई को जवाब सुणताई ही आदमी का तो फ्यूज ही उडगा....

लुगाई को जवाब हो की
" इयान लाग रीया हो जियान पतासे रे माईने मकोड़ो घुसयोडो है "

बुधवार, 18 जनवरी 2017

साध सती अर सुरमा;

साध सती अर सुरमा;
ग्यानी और गजदंत!
ऐ पाछा ना बावड़ै;
जै जुग जाय अनंत!!१!!

मैहा मंडण बीजळी;
सरवर मंडण पाळ!
बाप ज मंडण दीकरी;
घर री मंडण नार!!२!!

तिरियॉ मूरत प्रेम री;
सुख दुख भागीदार!
जिणनै जूती पॉव री;
समझै सोय गंवार!!३!!

तिरिया थॉ में तीन गुण;
औगण और घणैह !
घर मंडण मंगळ करण;
पूत सपूत जणैह!!४!!

नारी नारी मत करो;
नारी नर री खॉण !
अंत समै भी दैखियै;
नारी में ही प्रॉण !!५!!

नारी रै अपमान सूँ;
गयौ बंश अरूं दैश!
कौरव सारा कट गया;
अधरम सूं हुक्मैश!!६!!

पुरस बिचारा क्या करै;
जो घर नार कुनार!
ओ सीवै दो ऑगळ;
बॉ फाड़ै गज च्यार!!७!!

औछे घर की बहुँ बुरी;
बिन न्यॉणै की गाय!
रौपे रण रोज रो;
बादै लात लगाय!!८!!

पॉव पिछॉणै मौजडी;
नैण पिछॉणै नैह !
पीव पिछॉणै गौरड़ी;
मौर पिछॉणै मैह!!१०!!

रम गटकाओ

ठंड अणूंती ठाकरो,
नीर झरै अति नोज।
जै सुख चावो जीव रो,
रम गटकाओ रोज।।।

मोदी-मोदी

चौधरी: बालक नै चुप करा ले नै, यो मोदी-मोदी क्यूं करण लाग रया सै?
चौधरण: थारा तो दिमाग खराब कर दिया उस मोदी नै,
यो मोदी मोदी कोन्या करण लाग रया
यो गोदी गोदी कर रया है
दो मिन्ट गोदी ले ले, चुप हो जाग्या.