रविवार, 30 अक्तूबर 2016

दिवाळी री शुभकामनाए

दिवाळी री दाखवूं  , स्नेह बधाई सैण  !!
अधक रहे घर आपरे  , राजीपो दिन रैण  !!1!!

लिखमी अन्न धन लावहि , आंगण मात अपार  !!
रामहि वासो राखसी  , सुख सम्पत गुण सार  !!2!!

आप तणै घर में अवस  , लिखमी वासो लैय  !!
राजी होकर रामजी  , दूंणी खुशियां देय  !!3!!

धन तैरस रो धन तणो  , वासो होय विशैष  !!
महिना बीतै मौज में  , हरि दया सूं हमेश  !!4!!

कबूल मोरी कीजियो  , आप रमा अरदास  !!
अधक समापण आवजो  , देवी तूं धन दास  !!5!!

रोग जोग दूरा  रहै  , सुखी रहे जग सोय  !!
हे मां विपदा हारणी , हमें दया तव होय  !!6!!

द्वेष भावना दीनता  , दुरगण राखै दूर  !!
देवी लाभ दिरायजो  , जग में आप जरूर  !!7!!

लिछमी मांडे पगलिया
ऋद्धि सिद्धि गण माळ ।
सूत शम्भू भज ईसरी
कोड करे करनाळ ।।

दीप जगावे रावळे
बढे धान अरु धन्न ।
सूत शम्भू भज ईसरी
रमा रहे परसन्न ।।

दीपावली री
आप ने घणी घणी शुभकमना

 

शुक्रवार, 28 अक्तूबर 2016

बीकानेर की राजल माता द्वारा अकबर से नवरोजा छुडवाना

राजल माता द्वारा अकबर से नवरोजा छुडवाना
बीकानेर की संस्थापिका देवी करणीजी वि स १५९५ चैत सुदी नवमी को ज्योतिर्लीन हो गये। इनके ज्योतिर्लीन के ठीक दस मास पश्चात् यानि वि स १५९५ को माघ मास के शुक्ल पक्ष में सौराष्ट्र प्रान्त के ध्रांगध्रा तालुका के चराडवा गांव में वाचा शाखा के चारण उदयराज के घर राजबाई माता का जन्म हुआ। ये राजबाई राजल माता के नाम से करणी जी के पूर्णांवतार के रूप में जानी जाती है ।
१९३८ ईस्वी सन् को प्रख्यात इतिहासकार किशोरसिहजी बाहर्स्पत्य ने श्री करणीचरित्र ग्रंथ लिखकर बीकानेर महाराजा गंगासिह को समर्पित किया। लेखक के उक्त ग्रंथ को लिखने का एक मात्र कारण यह रहा था जो आजकल हमें व्हाटसप पर किरणदेवी नामक कल्पित पात्र द्वारा अकबर से नवरोज छुडवाने का प्रचार प्रसार करके अपने गौरव में श्री वृद्धि करके देवी राजल माता के ऐतिहासिक चरित को कमत्तर करने का प्रयास कर रहे है।
नवरोजा प्रथा एक ऐसा राजपूताने का दाग था जिसे आई  श्री करणी माता के पूर्णांवतार राजल माता ने अपने दैविक शक्ति द्वारा समाप्त किया था और अकबर के इस लम्पट आचारण से राजपूताने को मुक्ति दिलवाई। जिसकी पुष्टि स्वंय पृथ्वीराज के सोरठे, दयालदास की ख्यात २ पृ १३४-३५,वाचा चारणों के रावल की बही,मुंशी देवी प्रसाद के ग्रंथ राज रसनामृत,डा लुइजिपिओ तैसिस्तोरि,रावत सारस्वत, राजवी अमरसिंह आदि के ग्रंथों से व सैकडों डिंगल रचना से इसकी पुष्टि होती है।
पृथ्वीराज राठौठ बीकानेर के राव कल्याणमल का पुत्र था जो उच्चे दर्जे का भक्त कवि था ।अकबर के दरबार में रायसिंह व पृथ्वीराज राठौड दोनो को उचित स्थान था।पृथ्वीराज राठौड महाराणा प्रताप का मौसेरा भाई था। रायसिंह को अकबर ने सौराष्ट्र प्रान्त का प्रशासक नियुक्त किया था एक बार पृथ्वीराज सौराष्ट्र जा रहा था तब रास्ते में चराडवा गांव में उसका घोडा मर गया तभी वहा से गुजर रही दस वर्षीय बालिका राजल माता ने चमत्कारी ढंग से मृत घोडे को पुन:जीवित कर दिया।पृथ्वीराज देवी अवतार राजल माता को प्रणाम करके भविष्य में होने वाले संकट में मदद करने का वचन मांगा।राजल माता ने कहा जब भी तुम्हें संकट आये मुझे याद करना मै तुम्हारी मदद करूंगी।

पृथ्वीराज का विवाह जैसलमेर के हरराज भाटी की पुत्री छोटी पुत्री चम्पा कुंवरि के साथ हुआ था ।हरराज भाटी की बडी पुत्री नाथी बाई का विवाह अकबर के साथ हुआ।अकबर ने अपनी रानी नाथीबाई से चम्पा कुंवरि के रूप सौन्दर्य की बात सुनने पर वह उसे प्राप्त करने के लिए लालाहित हो उठा।उसने षंडयंत्रपूर्वक नवरोज के त्योहार में चम्पाकुंवरि को बुलवाने का आदेश दिया।पृथ्वीराज उसके आचरण से वाकिब था अकबर ने छलबल से उसका डोला अपने महल में बुला दिया।पृथ्वीराज अकबर की मनोइच्छा को भांप गया और उसने इस संकट की घडी में राजल माता को याद किया और अपने ऊपर आये संकट को निवारण करने की प्रार्थना की।
पृथ्वीराज का कहा सोरठा इस प्रकार है।
बाई सांभल बोल ,
कमधां कुल मेटण कलंक।
करजे साचो कोल,
ददरैरे दीधो जिको।
पृथ्वीराज की पुकार सुनके देवी राजल माता आगरा में प्रकट हो गये ।अकबर ने जैसे ही डोले की कनात हटाई तभी राजल माता सिंह रूप में प्रकट होकर अकबर का कंठ पकड लिया।तभी अकबर ने अपने प्राणों की भीख मांग दी और राजल माता को कहा कि मै आपकी गाय हूं मुझे माफ कर दो ।तब राजल माता ने उसे भविष्य में अपने आचरण को  सुधारते हुए नवरोज प्रथा को बंद करने के वचन देने पर अकबर के प्राण बख्शे। राजल माता के नवरोज छुडवाने पर ओंकारसिंहजी लखावत द्वारा लिखित पुस्तक को पढकर अपने भ्रम को दूर करे।
जय राजल माता
इसे अधिकाधिक शेयर करके सही जानकारी पहुंचाये।
✍डा नरेन्द्र सिंह आढा
श्री देवल कोट झांकर
इतिहास व्याख्याता रा उ मा वि घरट सिरोही

सारा सगतियां सरे , राजल थांरो राज ।
पीथल करे प्रार्थना , राजबाई महाराज ।।

राजल राजल रटता. पीथल करे पुकार ।
विखमी पुल आ वरणी , वेग कराओ वार ।।

तु चौराडी चारणी , हुं क्षत्री राठौड ।
नवरोजे नारी चढे , कुल ने लागै कोड ।।

गजराज धायो गोविंद ,द्रोपद जदुराज ।
हुं तनां धावां हमे , राजबाई महाराज ।।

धेनां छोडी धावती , वाडे वाछडियाह ।
उदाई डग आछटे , चीला डग चढियाह ।।

आयो बीकाणो आगरो , पीथल ना पायोह ।
वले पीयाणो वहंता , दिल्ली दिस धायोह ।।

केथ अकबर रो केलपुर , केथ चोराडो देस ।
आई आवो उंतावला , सुण पीथल संदेस ।।

नवरात्री मेले निरख , निरखी सब नरीह ।
चंपा कंवरी केथ चले , पिथे पूकारीह ।।

पग सामटे पग डहे ,वाहण विकरालीह ।
भटियाणी भेला हुआ , राजल रखवालीह ।।

राजबाई रथ मो रमे , भमे शाही गरम ।
भमे अकबर रा भोगना , नम नम होवे नरम ।।

अकबर छोडी उण दिन , नवरोजे री नीत ।
राजबाई रै सरणे , पीथल रहे नचीत ।।

हल चल प्रथ्वी पर होवे , जल थल अथल जंग ।
पीथल री सुण प्रार्थना , राजबाई जबरंग ।।

•••••••••••••••कवि पृथ्वीराज राठौड

अरज है

खेताँ में थांके केसर निपजे।
कोठाँ में भरयो रेहवे धान।।
माँ लछमी थांके घरां बिराजे।
माँ सुरसती बढावे थांको मान।।
गजानन्दजी रक्षा करे थांकी।
याही अरज है म्हांकी।।

गुरुवार, 27 अक्तूबर 2016

घूमिया

दिवालि स्पेश्यल
पति :- अर्ज करता हूँ कि
जग घूमिया थारे जैसा ना कोई
जग घूमिया थारे जैसा ना कोई
पत्नी :- घर की साफसफाइ में हाथ बटाओ वरना
दिमाग घूमिया, तो म्हारे जैसा ना कोई !!!

मंगलवार, 25 अक्तूबर 2016

थरमापली

धोरां घाट्यां ताल रो,
आंटीलो इतिहास |
गांव गांव थरमापली,
घर घर ल्यूनीडास ||

यहां के रेतिले टीलों,यहां की घाटियों और मैदानों का बडा ही गर्व पुरित इतिहास रहा है |यहां का प्रत्येक गांव थरमापल्ली जैसी प्रचण्ड युद्ध स्थली है तथा प्रत्येक घर मे ल्यूनीडास जैसा प्रचण्ड योद्धा जन्म चुका है |

गुरुवार, 20 अक्तूबर 2016

अठे हर कोई भरे बटका !

*अठे हर कोई भरे बटका !*

*"राजस्थानी हास्य कविता"* ....

*घुमाबा नहीं ले जावां,*
*तो घराळी भरे बटका ......।*

*घराळी रो मान ज्यादा राखां,*
*तो माँ भरे बटका ........।*

*कोई काम कमाई नहीं करां,*
*तो बाप भरे बटका ......।*

*पॉकेट मनी नहीं देवां,*
*तो बेटा भरे बटका ......।*

*कोई खर्चो पाणी नहीं करां,*
*तो दोस्त भरे बटका .....।*

*थोड़ो सो कोई ने क्यूं कह दियां,*
*तो पड़ौसी भरे बटका ....।*

*पंचायती में नहीं जावां,*
*तो समाज भरे बटका .....।*

*जनम, मरण में नहीं जावां,*
*तो सगा, संबंधी भरे बटका ...।*

*छोरा, छोरी नहीं पढ़े,*
*तो मास्टर भरे बटका .......।*

*पुरी फीस नहीं देवां,*
*तो डॉक्टर भरे बटका ......।*

*गाड़ी का कागज,पानड़ा नहीं मिले,*
*तो पुलिस भरे बटका .......।*

*मांगी रिश्वत, नहीं देवां,*
*तो अफसर भरे बटका ......।*

*टाइम सूं उधार नहीं चुकावां,*
*तो मांगणिया भरे बटका ........।*

*टेमूं टेम किश्त नहीं चुकावां,*
*तो बैंक मैनेजर भरे बटका ......।*

*नौकरी बराबर नहीं करां,*
*तो बॉस भरे बटका .....।*

*व्हाट्सएप्प पर मेसेज नहीं करां तो,*
*ऐडमिन,दोस्त bhi  भरे बटका ....।*

*अब थे ही बताओ,*
*जावां,तो कठे जावां,*
*अठे हर कोई, भरे बटका..।*

सोमवार, 17 अक्तूबर 2016

सांची बात


सांची बात,सदा ही रहसी'कुड़ कपट, ने काट कर!
मांणख मंहगा,सांच बोलणां'सेंह बाता में,सुख कर!!(१)
दुष्ट दुर्योधन,कपट कोरवां'काट खपांयों,कुल घर!
माया अंन्धा,मरा ध्रृतराष्ट्रा'मार सबन,कुल नाश मरियां!
पांच बचांय,प्रभु केशव बोल्यां'
धर्मराज जुद्ध,धर्म जित्यां!!(२)
गिरधर कह,गुंण साचां'कुड़ कपट नें,जुंगा जित्यां!
स्वर्ण सदा,सुहानों रहसी'कथीर काट,भेळा मिलियां!!(३)

शुक्रवार, 14 अक्तूबर 2016

कमाने का नया तरीका!!!!

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बुधवार, 12 अक्तूबर 2016

राखण रीत पुरसोतम राम-

राखण रीत पुरसोतम राम-

गिरधरदान रतनू
गीत-वेलियो
लंका जाय पूगो लंबहाथां,
निडर निसंकां नामी नूर।
दसरथ सुतन दिया रण डंका,
सधर सुटंका धानख सूर।।1
अड़ियो काज धरम अतुलीबल़,
भिड़़ियो असुरां गेह भुजाल़।
छिड़ियो भुज रामण रा छांगण
आहुड़ियो वड वंश उजाल़।।2
वानर रींछां सेन वडाल़ा,
रढियाल़ा ले आयो रूठ।
रामण वाल़ा सीस रोल़िया,
दैत कराल़ा च़ीथै दूठ।।3
लंठापै खोसी हद लंका,
पोसी भगत विभीखण पूर।
दँडियो रामण जैड़ो दोसी,
जोसी अंकां मेट जरूर।।4
मारग नीत अनीती मोचण,
राखण रीत पुरसोतम राम।
सीत तणो स्वाभिमान सचाल़ा,
धर हद जीत रामण रा धाम।।5
खर -दूसण खँडिया खल़ खागां,
धूंसण किता निसाचर धांस।
रघुकुल़ रा भूसण  रँग रामड़,
बाली दूसण  रूठ विणास।।6
सतधर  नेम रीझ सबरी रै,
समरथ हुवो  हेम सजोर।
जाति ऐम पूछी नह जाणक
वहा प्रेम रा खाया बोर।।7
उ रिखनार पथर दिल अवनी,
सार अहल्या लीनी साम।
दया धार देखी निज दृगां,
पद रज झार उधारी राम।।8
मेघ कुंभै सा मार्या मांटी,
सार्या धर रा कज सधीर।
धणियप धरी किता निज धार्या,
बूड़त जिकै उबार्या वीर।।9
कीरत अखी रघु कुल़नायक,
जसगायक रो लागै जीव
पायक गीध सरण तव पावां,
सुखदायक ले नाम सदीव।
गिरधरदान रतनू दासोड़ी
विजयदसमी री आप सगल़ै सैणां नैं असीम शुभकामनावां

रविवार, 2 अक्तूबर 2016

अंबे आराधना

नवरात्रि रे पावन अवसर माथे..

अंबे आराधना

आवो अम्बा ईसरी

आवो अम्बा ईसरी, कूं कूं चरण-कमल्ल
सुख साता दें संकरी ,सबही काज सफल्ल  (१)

आवो अम्बा ईसरी, अरपण उच आसन्न
पलक बुहारूं पंथडो, प्रणमूं मात प्रसन्न (२)

आवो अम्बा ईसरी, अवतर आंगणियैह .
शुभ करण संसार में, भव दुख भांगणियेह (३)

आवो अम्बा ईसरी, जबर रूप नव ज्योत
तम हारो अंतस तणो, हियै प्रकासा होत (४)

आवो अम्बा ईसरी, आतम रूप उजास
मनसा पूरण  मावडी, तन री मेटण त्रास (५)

आवो अम्बा ईसरी, शैलसुता सुखधाम
दया राखण दास पर, कदियन अटके काम (६)

आवो अम्बा ईसरी, ब्रह्माणी  बहुवार
माला कमडल धारिणी, श्वेतवसन सुभ सार (७)

आवो अम्बा ईसरी, चंद्रघंट चित माय
दशभुजा  दुष्टी दलन, सोहे सिंह सवाय (८)

आवो अम्बा ईसरी, केहरि चढ़ कुष्मांड
उदर पिंड उपजावियौ, बहुरूप ब्रह्मांड (९)

आवो अम्बा ईसरी,मात रूप स्कंद
शुभ्र वरण पदमासना,  आय करो आनंद (१०)

आवो अम्बा ईसरी, कोटि रूप कत्याण
चतुरभुजा चंचल चपल, करो सकल कल्याण (११)

आवो अम्बा ईसरी, काळे रंग कळरात
माता मो मन मेटियै, मोहनिशा महारात (१२)

आवो अम्बा ईसरी, महागौरी महामाय
वृषवाहन श्वेतांबरा, सब विध सदा सहाय (१३)

आवो अम्बा ईसरी, सरब सगत सिधियांह
आठ पहर आराधना, विनवूं बहु विधियांह  (१४)

आवो अम्बा ईसरी, देवी नव दुरगाह
भवबंधन मेटो भला, साथ रखो सुरगांह (१५)

आवो अम्बा ईसरी, किनियाणी करनल्ल
देवी गढ़ देशांण री, आगीवांण अवल्ल (१६)

आवो अम्बा ईसरी ,नागाणै री  नाथ
कुळदेवी किरपा करो ,हरदम राखो हाथ (१७)

आवो अम्बा ईसरी, चामुंडा चहु ओर
भगत बछल भयहारिणी ,करूं अरज कर जोर (१९)

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रतन सिंह चंपावत रणसी गांव कृत

शनिवार, 1 अक्तूबर 2016

भेरूजीं रो भोपो..

भोपाजी धुजंता धुजंता हाकों कीदों....

बोल भिखा मोगें जको देहु....

भिखो बैठो वीयो

भोपोजी*JIO* रो सिम दो..

भोपोजीं सायलन्टं...

वगडियां...

में** भेरूजीं रो भोपो... *मुकेंश* रो
नी...

आण तो दे...

एक जाट अपनी ससुराल मे खाना खान लाग रहया था...

.... 20-25 रोटी खान के बाद सासु परेशान हो के बोली:

बटेऊ... रोटिया के बीच मे पानी भी पिया करो

जाट: सासु जी मै तो हमेशा पीता हूँ।

सास: मैंने तो देख्या नी

जाट: एक बार बीच आण तो दे...