*अठे हर कोई भरे बटका !*
*"राजस्थानी हास्य कविता"* ....
*घुमाबा नहीं ले जावां,*
*तो घराळी भरे बटका ......।*
*घराळी रो मान ज्यादा राखां,*
*तो माँ भरे बटका ........।*
*कोई काम कमाई नहीं करां,*
*तो बाप भरे बटका ......।*
*पॉकेट मनी नहीं देवां,*
*तो बेटा भरे बटका ......।*
*कोई खर्चो पाणी नहीं करां,*
*तो दोस्त भरे बटका .....।*
*थोड़ो सो कोई ने क्यूं कह दियां,*
*तो पड़ौसी भरे बटका ....।*
*पंचायती में नहीं जावां,*
*तो समाज भरे बटका .....।*
*जनम, मरण में नहीं जावां,*
*तो सगा, संबंधी भरे बटका ...।*
*छोरा, छोरी नहीं पढ़े,*
*तो मास्टर भरे बटका .......।*
*पुरी फीस नहीं देवां,*
*तो डॉक्टर भरे बटका ......।*
*गाड़ी का कागज,पानड़ा नहीं मिले,*
*तो पुलिस भरे बटका .......।*
*मांगी रिश्वत, नहीं देवां,*
*तो अफसर भरे बटका ......।*
*टाइम सूं उधार नहीं चुकावां,*
*तो मांगणिया भरे बटका ........।*
*टेमूं टेम किश्त नहीं चुकावां,*
*तो बैंक मैनेजर भरे बटका ......।*
*नौकरी बराबर नहीं करां,*
*तो बॉस भरे बटका .....।*
*व्हाट्सएप्प पर मेसेज नहीं करां तो,*
*ऐडमिन,दोस्त bhi भरे बटका ....।*
*अब थे ही बताओ,*
*जावां,तो कठे जावां,*
*अठे हर कोई, भरे बटका..।*
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