सांची बात,सदा ही रहसी'कुड़ कपट, ने काट कर!
मांणख मंहगा,सांच बोलणां'सेंह बाता में,सुख कर!!(१)
दुष्ट दुर्योधन,कपट कोरवां'काट खपांयों,कुल घर!
माया अंन्धा,मरा ध्रृतराष्ट्रा'मार सबन,कुल नाश मरियां!
पांच बचांय,प्रभु केशव बोल्यां'
धर्मराज जुद्ध,धर्म जित्यां!!(२)
गिरधर कह,गुंण साचां'कुड़ कपट नें,जुंगा जित्यां!
स्वर्ण सदा,सुहानों रहसी'कथीर काट,भेळा मिलियां!!(३)
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