रविवार, 2 अक्तूबर 2016

अंबे आराधना

नवरात्रि रे पावन अवसर माथे..

अंबे आराधना

आवो अम्बा ईसरी

आवो अम्बा ईसरी, कूं कूं चरण-कमल्ल
सुख साता दें संकरी ,सबही काज सफल्ल  (१)

आवो अम्बा ईसरी, अरपण उच आसन्न
पलक बुहारूं पंथडो, प्रणमूं मात प्रसन्न (२)

आवो अम्बा ईसरी, अवतर आंगणियैह .
शुभ करण संसार में, भव दुख भांगणियेह (३)

आवो अम्बा ईसरी, जबर रूप नव ज्योत
तम हारो अंतस तणो, हियै प्रकासा होत (४)

आवो अम्बा ईसरी, आतम रूप उजास
मनसा पूरण  मावडी, तन री मेटण त्रास (५)

आवो अम्बा ईसरी, शैलसुता सुखधाम
दया राखण दास पर, कदियन अटके काम (६)

आवो अम्बा ईसरी, ब्रह्माणी  बहुवार
माला कमडल धारिणी, श्वेतवसन सुभ सार (७)

आवो अम्बा ईसरी, चंद्रघंट चित माय
दशभुजा  दुष्टी दलन, सोहे सिंह सवाय (८)

आवो अम्बा ईसरी, केहरि चढ़ कुष्मांड
उदर पिंड उपजावियौ, बहुरूप ब्रह्मांड (९)

आवो अम्बा ईसरी,मात रूप स्कंद
शुभ्र वरण पदमासना,  आय करो आनंद (१०)

आवो अम्बा ईसरी, कोटि रूप कत्याण
चतुरभुजा चंचल चपल, करो सकल कल्याण (११)

आवो अम्बा ईसरी, काळे रंग कळरात
माता मो मन मेटियै, मोहनिशा महारात (१२)

आवो अम्बा ईसरी, महागौरी महामाय
वृषवाहन श्वेतांबरा, सब विध सदा सहाय (१३)

आवो अम्बा ईसरी, सरब सगत सिधियांह
आठ पहर आराधना, विनवूं बहु विधियांह  (१४)

आवो अम्बा ईसरी, देवी नव दुरगाह
भवबंधन मेटो भला, साथ रखो सुरगांह (१५)

आवो अम्बा ईसरी, किनियाणी करनल्ल
देवी गढ़ देशांण री, आगीवांण अवल्ल (१६)

आवो अम्बा ईसरी ,नागाणै री  नाथ
कुळदेवी किरपा करो ,हरदम राखो हाथ (१७)

आवो अम्बा ईसरी, चामुंडा चहु ओर
भगत बछल भयहारिणी ,करूं अरज कर जोर (१९)

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रतन सिंह चंपावत रणसी गांव कृत

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