मंगलवार, 18 अप्रैल 2017

गजब पड़ी रो,तावड़ो

गजब पड़ी रो,तावड़ो

कोई,किस्तर,
बाने जावें,बापड़ो,
आँख्याई,नी खुले,
गजब पड़ी रो,तावड़ो ।

पसीनाऊ-पसीनाऊ,
पूरो डील,वासवा,लागी जा,
मर्या-उन्दरा जसी,
वाना आवा,लागी जा ।

गाबा री,मती पूछो,
उस्तर्या,गायब वेईजा,
पछे,देखताई-देखता,
मसोता,वणी न रेई जा ।

पसीनों,पूँछी-पूँछी न,
हाथ,दुखवा लागी जा,
मुंडो लालचट्ट,पड़ न,
लकु-वान्दरा जस्यों,वेई जा ।

थोड़ी देर,तावड़ा में,रेई जावों,
तो काळा-पीळा,आईजा,
ध्यान नी,राखों तो,
खादो-पीदो,बाने आईजा ।

घरे आताईन,तो,
जंगळी भालू,वणी जा,
थोड़ोक कोई,बोली जा,तो,
काम पड़्या,ऊपरे पड़ी जा ।

वणी टेम,किस्मतऊ,
लाईटा,परी जा,
तो गाळ्या,देई-देई न,
मुंडो,देखवा जस्यों वेई जा ।

राजन,हे!हूरज भावजी,
अतरो कई,कोप करी रो,
म्हां अस्या कई,करम किदा,
जो तड़पा-तड़पाईन,मारी रो ।
जो तड़पा-तड़पाईन,मारी रो । ।

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