गुरुवार, 10 नवंबर 2016

पाेलाे मेच

आदरणीय ठाकुर साहब नाहरसिंहजी री फेसबुक सूं
काले जाेधपुर महाराजा साहब री तरफ सूं पाेलाे मेच देखण राे कार्ड मिलियाै ।यूं हर माैका पर अजे याद करवै आ बात इण सारूं साझा करणी चा हूं कै मां  करणी जी री दया सूं म्हूं जाेधपुर मैं साेराे सुखी बैठौ हूूं,अर गांव री गंदी राजनीति सूं लाराै छूट गयाै ।नित भला मिनखाैं सूं बात चीत व्हे जावै,दिन रा काेई न कोई मिळवा आय जावै,,शाम रा या तौ महै दाेस्ताै कनै जाय पराै या कणनैई किले बुलाय लूं । दाेस्त दाेस्त बैठ ,एक एक स्काैच लेय लेवां अर सुख दुख री बातेाे कर जीव हल्काै कर लेवां ।खाणाै खाय खबराैं देख सूय जावां ।न किण री हरी न भरी ।आपरी छाेटी सी दुनिया मे मस्त ।राम राम सा !मन वार लिराजाे !भगवान सब नै सुखी राखै ।Cheers .
म्है लिखियो-----
खरी खरी।आप जैड़ां रो गांम सूं मोहभंग होवण सूं लागै कै गांमां मे राम नीं रैयो।
आदरणीय ठाकुर साहब पडुत्तर लिखियो--
अरे बाजीसा आप ताै दूखती नस पर हाथ राख दीनाै ।जी हां गांवां राै माहाैल त्थाकथित गांवां रै ठाकराैं बिगाड़ दीनाै ।घृणा इण वास्तै हूई कै ठाकराै बिना का्ेई बात रै म्हारा पर दाे कराेड़ रुपीयां राै डकैती राै केस पुलिस में कर दीनाै ।आप रै आ बात हीयै ऊतरै ?यां हीया फूटाेड़ा ठाकरीयां नै आ ठा काेनी कै नाहरसिंह कांई बला है ? अजे तक सामंती नशा में डूबाेड़ा अनीताी पर अनीती कर रिया है ।म्हूं मरजादां री जंजीरां सूं बंधीयाेडाैं हूं इण वास्तै चुप हूं अर साेसल मीडीया पर हीया री हूक निकाळूं ।
पाप राै घड़ैा एक दिन फूटसी ।गांव री छतीस काैम री जनता म्हाराै घणाैई लाड राखै ।ठेट जाेधपुर मिळवा आवै।
पैहली ताै काेई ठाकर अणूताई करता ताै आप लाेग ओहड़ाै देता वां नै कुत्तों रे पेट घालता पण आप लाेगां कांनाे लेय लीनाै ।संकाै किणराैई रयाै नहीं । जद ऐ अणहाेणी बातां समाज मैं हाेण लाग गी ।
म्है ग्यारह सोरठा पाछा निजर किया---
मरसी खोटा मान!क्रितबगारा कपट सूं।
सतधर थारी शान,नित -नित नवली नाहरा!!1
ठगां लगाया ठाट,रच हद ठाकर रूप मे।
बेवै उलटी वाट,नुगरा कल़जुग नाहरा!!2
किमकर चलसी कूड़,रे आ आगल़ राम रै।
धोबां ज्यांरै धूड़,निसचै पड़सी नाहरा!!3
जो नित गूंथै जाल़,सांप्रत दाबण साच नै।
खरर खंपदा खाल़,नगटा पड़सी नाहरा!!4
सदा बहै सतवाट,हिरदै हाटां हेतरी।
थिर ऐ थारै थाट,नेही रैसी नाहरा!!5
ठगवाड़ा कर ठाट,जकां लगाया जोर रा।
अंतस रहै उचाट,नितप्रत ज्यांरै नाहरा!!6
रजपूती उर राच,रांघड़ जो हद राखता।
सत कथ चारण साच,(वांनै)निरभै कहता नाहरा!!7
रजपूती रो रूप,दुरस जकै में देखता।
ईहग साच अनूप,(वांनै)निरभै कहता नाहरा!!8
खरी जदै मन खोट!रे देखी रजपूत रै!
चारण करणी चोट,(अब)निसचै त्यागी नाहरा!!9
बसुधा अजतक बीज,रजपूती रो राखियो!
प्रतख कवी पतीज,(ओ)नूर तिहाल़ै नाहरा!10
विटल़ा जासी बीत,अपणी रची अनीत सूं।
जगत़ब तोनै जीत,(आ)निसचै देसी नाहरा!!11
गिरधरदान रतनू दासोड़ी

आपणा बडेरा केयग्या

आपणा बडेरा केयग्या

बाग बिगाङे बांदरो. सभा बिगाङे फूहङ.

लालच बिगाङे दोस्ती. करे केशर री धूङ.

हरी ऊँ जीभड़ल्यां इमरत बसै, जीभड़ल्यां विष होय।

बोलण सूं ई ठा पड़ै, कागा कोयल दोय।।

चंदण की चिमठी भली, गाडो भलो न काठ।

चातर तो एक ई भलो, मूरख भला न साठ।।

गरज गैली बावली. जिण घर मांदा पूत.

सावन घाले नी छाछङी जेठां घाले दूध!!

पाडा बकरा बांदरा चौथी चंचल नार.

इतरा तो भूखा भला धाया करे बोबाङ

भला मिनख ने भलो सूझे कबूतर ने कुओं

अमलदार ने एक ही सूझे किण गाँव मे मुओl

.       

मोदी काढी मुलक सूं,खटकै बारै खोट।

मोदी काढी मुलक सूं,खटकै बारै खोट।
डरपण लागा दुष्ट सह,निकल़ण लागा नोट।।1
मोदी निज री मोजड़ी,चोरां सिर दी चोट।
एक भचाकै बँद किया,नकली सारा नोट।।2
कपटी सारा कूकसी,पापां सिर धर पोट।
मोदीड़ै तो मारिया!, घट में उपड़ै गोट।।3
सतक पांच इक सँहस रा,निपट किया बँद नोट।
मोदी जरकायो मुदै,सिर चोरां रै सोट।।4
करी तसकरी क्रितब कर,लभ लभ सँचिया लोट।
मोदी सँदेशो मोकल्यो,आवो बैंकां ओट।।5

बुधवार, 9 नवंबर 2016

रजाई

टीचर- "इस शेर का *मारवाड़ी अनुवाद* करो ... !"

*"खुदी को कर बुलंद इतना कि हर तदबीर से पहले . . .*
*खुदा बंदे से खुद पूछे बता तेरी रजा क्या है ?"*

पप्पु - *"शायर केवे है कि खुद इत्ता ऊँचा चढ जाओ .. इत्ता ऊँचा...हिमालय हूँ भी ऊँचा ... बुलंदी माथे . . .जद थाने ठण्डी लागण लागे अर थे काम्पण लागो ... जणे भगवान थाणे पुछेला पप्पुडा थारी रजाई कठे है ।

सोमवार, 7 नवंबर 2016

सोगन

गड्ढे में एक शेर गिर गया ।

परेशान होकर शेर यहाँ वहां देखने लगा पर उसे कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा था ।
तभी वहां एक पेड़ में एक बन्दर आ गया ,

शेर को इस हाल में फंसा देखकर बन्दर ,
शेर का मजाक उडाने लगा , "

क्यों शेर तू तो राजा बना फिरता है  अब तो तेरी अकल ठिकाने आ गयी न,
अब शिकारी तुझे मiरेंगे ,
तेरी खाल निकालकर दीवार पर सजायेंगे,
तेरे  नाखून और दांत निकाल कर दवाई बनायेंगे  ।

तभी वो डाल जिसमें बन्दर बैठा था ,टूट गयी और बन्दर सीधे शेर के सामने आ गिरा ।

गिरते ही बोला

" बाप री सोगन ......माफ़ी मांगने नीचो कूदियो हूँ "

शनिवार, 5 नवंबर 2016

जीवणों दौरो होग्यो

जीवणों दौरो होग्यो
-----------------------
घणां पालिया शौक जीवणों दोरो होग्यो रे
देवे राम नें दोष जमानों फौरो होग्यो रे

च्यारानां री सब्जी ल्यांता आठानां री दाल
दोन्यूं सिक्का चाले कोनीं भूंडा होग्या हाल
च्यार दिनां तक जान जींमती घी की भेंती धार
एक टेम में छींकां आवे ल्याणां पडे उधार
जीवणों दोरो-----------------------------------

मुंडे मूंड बात कर लेंता नहीं लागतो टक्को
बिनां कियां रिचार्ज रुके है मोबाईल रो चक्को
लालटेन में तेल घालता रात काटता सारी
बिजली रा बिल रा झटका सूं आंख्यां आय अंधारी
जीवणों दोरो----------------------------------------

लाड कोड सुं लाडी ल्यांता करती घर रो काम
पढी लिखी बिनणिंयां बैठी दिनभर करै आराम
घाल पर्स में नोट बीनणीं ब्यूटी पारलर जावे
बैल बणें घाणीं रो बालम परणीं मोज उडावे
जीवणों दौरो----------------------------------------

टी वी रा चक्कर में टाबर भूल्या खाणों पीणों
चौका छक्का रा हल्ला में मुश्किल होग्यो जीणों
बिल माथै बिल आंता रेवे कोई दिन जाय नीं खाली
लूंण तेल शक्कर री खातर रोज लडै घरवाली
जीवणों दौरो-----------------------------------------

एक रुपैयो फीस लागती पूरी साल पढाई
पाटी बस्ता पोथी का भी रुप्या लागता ढाई
पापाजी री पूरी तनखा एडमिशन में लागे
फीस किताबां ड्रेसां न्यारी ट्यूशन रा भी लागे
जीवणों दौरो----------------------------------------

सुख री नींद कदै नीं आवे टेंशन ऊपर टैंशन
दो दिन में पूरी हो ज्यावे तनखा हो या पैंशन
गुटखां रा रेपर बिखरयोडा थांरी हंसी उडावे
रोग लगेला साफ लिख्यो पणं दूणां दूणां खावे
जीवणों दौरो--------------------------------------
पैदल चलणों भूली दुनियां गाडी ऊपर गाडी
आगे बैठे टाबर टींगर लारै बैठे लाडी
मैडम केवे पीवर में म्हें कदै नीं चाली पाली
मन में सोचे साब गला में केडी आफत घाली
जीवणों दोरो--------------------------------------

चाऐ पेट में लडै ऊंदरा पेटरोल भरवावे
मावस पूनम राखणं वाला संडे च्यार मनावे
होटलां में करे पार्टी डिस्को डांस रचावे
नशा पता में गेला होकर घर में राड मचावे
जीवणों दौरो ------------------------------------------

अंगरेजी री पूंछ पकडली हिंदी कोनीं आवे
कोका कोला पीवे पेप्सी छाछ राब नहीं भावे
कीकर पडसी पार मुंग्याडो नितरो बढतो जावे
सुख रा साधन रा चक्कर में दुखडा बढता जावे
जितरी चादर पांव पसारो मन पर काबू राखो
भाईङा  भगवान भज्यां ही भलो होवसी थांको
जीवणों दौरो होग्यो रे
--------------------------------------------------------

----------------------------------------------------------

शुक्रवार, 4 नवंबर 2016

दारू रै ओगण रो

गीत वेलियो-

दारू रै ओगण रो-

गिरधरदान रतनू दासोड़ी

सरदी लग्यां पीजो मत सैणां,
निज भर रम रा घूंट निकाम।
तवै छमक पाणी पी तातो,
ओढ सिरख करजो आराम1
दारू पियां लागसी देखो,
जोर अहम रो वहम जुखाम।
मिटसी नहीं किणी पण मारग
नाहक ही होसो बदनाम2
क्रिपण जतन धन रो हद करवा
करो भलांई हीणा काम।
पीवणिया रम क्यू पोमावै,
दारू मांय गमायर दाम।।3
पियो जिका गया परवारै
गैलां दीनो गरथ गमाय।
कमल़ धूण मसल़ बे कर नै
पछै रया ऊभा पछताय।।4
उबरै नाय अकल आ आनो,
जो झट हलक ढाल़ियां जाम।
काया गाढ लहै फिर कानो
रमियां रगां नीकल़ै राम।।5
चख साथै भम जावै चे'रो,
जाडी हुवै जीब जिण जोय।
लगती पड़ै देख मुख लाल़ां,
फिर पग छोड देय निज फोय।।6
पीवै भला मिनख धर प्रीती,
देवै सला गैलां नुं देख।
रीतां  बिगड़ नीति नै रेटै,
निमख नहीं कारज ओ नेक।।
गिरधरदान रतनू दासोड़ी

फटाका रो जुगाड़

फटाका रो जुगाड़ ,
मिनी लड. ,
किशन बम ,
जमीन चक्करो ,
टिकडियां री डब्बी ,
पिस्तौल रा फटीडा ,
भींत फटाका ,
डब्बा बम जुगाड़ ,
हन्टर , तारा ..
आंगणां मे लाल गैरू , सफ़ेद खडी रा मान्डणा ,
पीली मुंडिया माटी गाय रे गौबर रो नवो लिपणो  ,
बास गुवाडी रा किवाडिया री मरम्मत ,
घर मायने नवा धान रा ढिगला ,
भरियोडा कोठार , मूँग , मोट , तिली , ज्वार ,बाजरी ।

नवा धीणां , गाय भैंस री बली ..
बाड़ा मे चारा रा पचोला , हरियो चिपटो ,
भाबू रे हाथरी लापसी , बीणज ।

शाम पडियां दिवाली री पूजा ...
मोहन माराज रा मिन्तर ...
भाईपा रो पोल मे भैलो रैवणो ,
जोग माया ने लिछमी जी री पूजा ।
दादा , दादी , काका काकी , गाँव रा सब घरां मे जायने तलेम करना ... आशीर्वाद ने मिलता  मैल मालिया , हार मीटा मून्डा ...
गाय भैस्यां बलदां रा हिनान , हिगडा रंगणा , धौली गायां रे माते लाल छपका , मांटी री सील सूँ ...
नवा घटूलिया , टंचोयोडी घट्टिया ... राबोडी , मोगर , बडियां रो जुगाड़ ..
नवी पगरिकियां ,
नवो बन्डो ,
नवी जंगडी ...
काकड रा घुप अन्धेरा रे बीच आयोडा गाँव रा टिमटिमाता दिवा ...
एडी दिवाली पाछी आइज कोनी ...

रविवार, 30 अक्तूबर 2016

दिवाळी री शुभकामनाए

दिवाळी री दाखवूं  , स्नेह बधाई सैण  !!
अधक रहे घर आपरे  , राजीपो दिन रैण  !!1!!

लिखमी अन्न धन लावहि , आंगण मात अपार  !!
रामहि वासो राखसी  , सुख सम्पत गुण सार  !!2!!

आप तणै घर में अवस  , लिखमी वासो लैय  !!
राजी होकर रामजी  , दूंणी खुशियां देय  !!3!!

धन तैरस रो धन तणो  , वासो होय विशैष  !!
महिना बीतै मौज में  , हरि दया सूं हमेश  !!4!!

कबूल मोरी कीजियो  , आप रमा अरदास  !!
अधक समापण आवजो  , देवी तूं धन दास  !!5!!

रोग जोग दूरा  रहै  , सुखी रहे जग सोय  !!
हे मां विपदा हारणी , हमें दया तव होय  !!6!!

द्वेष भावना दीनता  , दुरगण राखै दूर  !!
देवी लाभ दिरायजो  , जग में आप जरूर  !!7!!

लिछमी मांडे पगलिया
ऋद्धि सिद्धि गण माळ ।
सूत शम्भू भज ईसरी
कोड करे करनाळ ।।

दीप जगावे रावळे
बढे धान अरु धन्न ।
सूत शम्भू भज ईसरी
रमा रहे परसन्न ।।

दीपावली री
आप ने घणी घणी शुभकमना

 

शुक्रवार, 28 अक्तूबर 2016

बीकानेर की राजल माता द्वारा अकबर से नवरोजा छुडवाना

राजल माता द्वारा अकबर से नवरोजा छुडवाना
बीकानेर की संस्थापिका देवी करणीजी वि स १५९५ चैत सुदी नवमी को ज्योतिर्लीन हो गये। इनके ज्योतिर्लीन के ठीक दस मास पश्चात् यानि वि स १५९५ को माघ मास के शुक्ल पक्ष में सौराष्ट्र प्रान्त के ध्रांगध्रा तालुका के चराडवा गांव में वाचा शाखा के चारण उदयराज के घर राजबाई माता का जन्म हुआ। ये राजबाई राजल माता के नाम से करणी जी के पूर्णांवतार के रूप में जानी जाती है ।
१९३८ ईस्वी सन् को प्रख्यात इतिहासकार किशोरसिहजी बाहर्स्पत्य ने श्री करणीचरित्र ग्रंथ लिखकर बीकानेर महाराजा गंगासिह को समर्पित किया। लेखक के उक्त ग्रंथ को लिखने का एक मात्र कारण यह रहा था जो आजकल हमें व्हाटसप पर किरणदेवी नामक कल्पित पात्र द्वारा अकबर से नवरोज छुडवाने का प्रचार प्रसार करके अपने गौरव में श्री वृद्धि करके देवी राजल माता के ऐतिहासिक चरित को कमत्तर करने का प्रयास कर रहे है।
नवरोजा प्रथा एक ऐसा राजपूताने का दाग था जिसे आई  श्री करणी माता के पूर्णांवतार राजल माता ने अपने दैविक शक्ति द्वारा समाप्त किया था और अकबर के इस लम्पट आचारण से राजपूताने को मुक्ति दिलवाई। जिसकी पुष्टि स्वंय पृथ्वीराज के सोरठे, दयालदास की ख्यात २ पृ १३४-३५,वाचा चारणों के रावल की बही,मुंशी देवी प्रसाद के ग्रंथ राज रसनामृत,डा लुइजिपिओ तैसिस्तोरि,रावत सारस्वत, राजवी अमरसिंह आदि के ग्रंथों से व सैकडों डिंगल रचना से इसकी पुष्टि होती है।
पृथ्वीराज राठौठ बीकानेर के राव कल्याणमल का पुत्र था जो उच्चे दर्जे का भक्त कवि था ।अकबर के दरबार में रायसिंह व पृथ्वीराज राठौड दोनो को उचित स्थान था।पृथ्वीराज राठौड महाराणा प्रताप का मौसेरा भाई था। रायसिंह को अकबर ने सौराष्ट्र प्रान्त का प्रशासक नियुक्त किया था एक बार पृथ्वीराज सौराष्ट्र जा रहा था तब रास्ते में चराडवा गांव में उसका घोडा मर गया तभी वहा से गुजर रही दस वर्षीय बालिका राजल माता ने चमत्कारी ढंग से मृत घोडे को पुन:जीवित कर दिया।पृथ्वीराज देवी अवतार राजल माता को प्रणाम करके भविष्य में होने वाले संकट में मदद करने का वचन मांगा।राजल माता ने कहा जब भी तुम्हें संकट आये मुझे याद करना मै तुम्हारी मदद करूंगी।

पृथ्वीराज का विवाह जैसलमेर के हरराज भाटी की पुत्री छोटी पुत्री चम्पा कुंवरि के साथ हुआ था ।हरराज भाटी की बडी पुत्री नाथी बाई का विवाह अकबर के साथ हुआ।अकबर ने अपनी रानी नाथीबाई से चम्पा कुंवरि के रूप सौन्दर्य की बात सुनने पर वह उसे प्राप्त करने के लिए लालाहित हो उठा।उसने षंडयंत्रपूर्वक नवरोज के त्योहार में चम्पाकुंवरि को बुलवाने का आदेश दिया।पृथ्वीराज उसके आचरण से वाकिब था अकबर ने छलबल से उसका डोला अपने महल में बुला दिया।पृथ्वीराज अकबर की मनोइच्छा को भांप गया और उसने इस संकट की घडी में राजल माता को याद किया और अपने ऊपर आये संकट को निवारण करने की प्रार्थना की।
पृथ्वीराज का कहा सोरठा इस प्रकार है।
बाई सांभल बोल ,
कमधां कुल मेटण कलंक।
करजे साचो कोल,
ददरैरे दीधो जिको।
पृथ्वीराज की पुकार सुनके देवी राजल माता आगरा में प्रकट हो गये ।अकबर ने जैसे ही डोले की कनात हटाई तभी राजल माता सिंह रूप में प्रकट होकर अकबर का कंठ पकड लिया।तभी अकबर ने अपने प्राणों की भीख मांग दी और राजल माता को कहा कि मै आपकी गाय हूं मुझे माफ कर दो ।तब राजल माता ने उसे भविष्य में अपने आचरण को  सुधारते हुए नवरोज प्रथा को बंद करने के वचन देने पर अकबर के प्राण बख्शे। राजल माता के नवरोज छुडवाने पर ओंकारसिंहजी लखावत द्वारा लिखित पुस्तक को पढकर अपने भ्रम को दूर करे।
जय राजल माता
इसे अधिकाधिक शेयर करके सही जानकारी पहुंचाये।
✍डा नरेन्द्र सिंह आढा
श्री देवल कोट झांकर
इतिहास व्याख्याता रा उ मा वि घरट सिरोही

सारा सगतियां सरे , राजल थांरो राज ।
पीथल करे प्रार्थना , राजबाई महाराज ।।

राजल राजल रटता. पीथल करे पुकार ।
विखमी पुल आ वरणी , वेग कराओ वार ।।

तु चौराडी चारणी , हुं क्षत्री राठौड ।
नवरोजे नारी चढे , कुल ने लागै कोड ।।

गजराज धायो गोविंद ,द्रोपद जदुराज ।
हुं तनां धावां हमे , राजबाई महाराज ।।

धेनां छोडी धावती , वाडे वाछडियाह ।
उदाई डग आछटे , चीला डग चढियाह ।।

आयो बीकाणो आगरो , पीथल ना पायोह ।
वले पीयाणो वहंता , दिल्ली दिस धायोह ।।

केथ अकबर रो केलपुर , केथ चोराडो देस ।
आई आवो उंतावला , सुण पीथल संदेस ।।

नवरात्री मेले निरख , निरखी सब नरीह ।
चंपा कंवरी केथ चले , पिथे पूकारीह ।।

पग सामटे पग डहे ,वाहण विकरालीह ।
भटियाणी भेला हुआ , राजल रखवालीह ।।

राजबाई रथ मो रमे , भमे शाही गरम ।
भमे अकबर रा भोगना , नम नम होवे नरम ।।

अकबर छोडी उण दिन , नवरोजे री नीत ।
राजबाई रै सरणे , पीथल रहे नचीत ।।

हल चल प्रथ्वी पर होवे , जल थल अथल जंग ।
पीथल री सुण प्रार्थना , राजबाई जबरंग ।।

•••••••••••••••कवि पृथ्वीराज राठौड