बुधवार, 9 नवंबर 2016

रजाई

टीचर- "इस शेर का *मारवाड़ी अनुवाद* करो ... !"

*"खुदी को कर बुलंद इतना कि हर तदबीर से पहले . . .*
*खुदा बंदे से खुद पूछे बता तेरी रजा क्या है ?"*

पप्पु - *"शायर केवे है कि खुद इत्ता ऊँचा चढ जाओ .. इत्ता ऊँचा...हिमालय हूँ भी ऊँचा ... बुलंदी माथे . . .जद थाने ठण्डी लागण लागे अर थे काम्पण लागो ... जणे भगवान थाणे पुछेला पप्पुडा थारी रजाई कठे है ।

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