रविवार, 27 नवंबर 2016

जुंझारा हर झूपड़ी

जुंझारा हर झूपड़ी,
हर घर सतियाँ आण |
हर वाटी माटी रंगी ,
हर घाटी घमसाण ||
यहाँ (राजस्थान) पर प्रत्येक झोंपड़ी में झुंझार हो गए है,हर घर सतियों की आन से गौरान्वित है ,प्रत्येक भू-खंड की मिटटी बलिदान के रक्त से रंजित है ,तथा हर घाटी रण-स्थली रही है |

हर ढाणी,हर गांव में ,
बल बंका, रण बंक |
भुजां भरोसै इण धरा,
दिल्ली आज निसंक ||१५||
यहाँ हर ढाणी और हर गांव गांव में बल बांके और रण-बांके वीर निवास करते है | जिनके भुज-बल के भरोसे दिल्ली (देश की राजधानी) निस्शंक (सुरक्षा के प्रति निश्चिन्त )है|

स्व.आयुवान सिंह शेखावत

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें