बुधवार, 30 नवंबर 2016

ठंड में खूब लो, खावा रो मजो

ठंड में खूब लो, खावा रो मजो

ऊना ऊना ढोकळा,
खाओ भली मोकळा ।

मक्की री रोटी, ऊपरे आका रींगणा,
ये पाछे मेले, आच्छा आच्छा जीमणा

जो वेईरा है, खापला,
खूब खाओ बापला ।

आतरे पातरे वणावो हाजो,
गणो बढ्या लागे, ताजो ताजो ।

रोट्या कटे अड़ी री, बापड़ी,
जदी मलिजा ऊनी ऊनी राबड़ी ।

सूबे सूबे खूब भावे लपटो,
जिने नी मले, वो करे खपटो ।

ऊनी ऊनी थाळी भरी गाट,
खावता खावता आँगळ्या जावो चाट

काजु, वदामा री भरी रेवे जेबा,
कुण खावें मिठाया रा ढेबा ।

भावे जतरी खावो जगळ,
पछे खूब करो दंगळ ।

काचाई चबाई जावो मूळा न गाजर,
छाने छाने खूब खावो घर में मोगर ।

पतळो पतळो मोगरी रो खाटो,
ऊबा ऊबा पिवो, नी पड़े घाटो ।

राजन पैईसा पे ध्यान मती दिजो,
ठंड में खूब खावा रो मजो लिजो ।
होचता होचता यूई परा रेवोला,
ठंड पाछी, गणा दन केड़े आवेला
गणा दन केड़े आवेला । ।

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