ठंड में खूब लो, खावा रो मजो
ऊना ऊना ढोकळा,
खाओ भली मोकळा ।
मक्की री रोटी, ऊपरे आका रींगणा,
ये पाछे मेले, आच्छा आच्छा जीमणा
जो वेईरा है, खापला,
खूब खाओ बापला ।
आतरे पातरे वणावो हाजो,
गणो बढ्या लागे, ताजो ताजो ।
रोट्या कटे अड़ी री, बापड़ी,
जदी मलिजा ऊनी ऊनी राबड़ी ।
सूबे सूबे खूब भावे लपटो,
जिने नी मले, वो करे खपटो ।
ऊनी ऊनी थाळी भरी गाट,
खावता खावता आँगळ्या जावो चाट
काजु, वदामा री भरी रेवे जेबा,
कुण खावें मिठाया रा ढेबा ।
भावे जतरी खावो जगळ,
पछे खूब करो दंगळ ।
काचाई चबाई जावो मूळा न गाजर,
छाने छाने खूब खावो घर में मोगर ।
पतळो पतळो मोगरी रो खाटो,
ऊबा ऊबा पिवो, नी पड़े घाटो ।
राजन पैईसा पे ध्यान मती दिजो,
ठंड में खूब खावा रो मजो लिजो ।
होचता होचता यूई परा रेवोला,
ठंड पाछी, गणा दन केड़े आवेला
गणा दन केड़े आवेला । ।
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