लड़े हिन्द रो लाड़लों , खड़ो उभो रण खेत ।
खग धारी ने देखतो , दुश्मण होय असेत ।।1।।
भड़ बंका ऐ भारत रा ,शंको करे ना सोच ।
दुश्मण री दुनियांण में , मरड़ै घाते मोच ।।2।।
खरा रंग इण खाकी ने , उणसौ ऊपर ऐक ।।
भड़े जाय रण भोम में ,रखे हिन्द री टेक ।।3।।
फर्ज निभावे फूटरो , बोडर ऊपर बेठ।
नमो ऐहड़ा नरो ने , परघल राखे पेठ ।।4।।
धन शूरा री मावड़ी , धन शूरो रो तात ।
धन उण धरणी ने घणा , (जेथ) जबर शुरो री जात ।
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