रविवार, 27 नवंबर 2016

राजस्थानी गज़ल।

राजस्थानी गज़ल।

चाहे कितरा  माळा राखौ।
घर में कितरा ताळा राखौ।

राखौ तो  बस इतरो राखौ
मन ने नी थे काळा राखौ।

करणौ  मैणत सू है कारज
पग में थे है छाळा राखौ।

निपटो सगली बाता सूं यूं
कारज में नी टाळा राखौ।

दीपा रो  है इतरो कैणौ
मन में मत यूँ जाळा राखौ।

दीपा परिहार

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