आपणा बडेरा केयग्या
बाग बिगाङे बांदरो. सभा बिगाङे फूहङ.
लालच बिगाङे दोस्ती. करे केशर री धूङ.
हरी ऊँ जीभड़ल्यां इमरत बसै, जीभड़ल्यां विष होय।
बोलण सूं ई ठा पड़ै, कागा कोयल दोय।।
चंदण की चिमठी भली, गाडो भलो न काठ।
चातर तो एक ई भलो, मूरख भला न साठ।।
गरज गैली बावली. जिण घर मांदा पूत.
सावन घाले नी छाछङी जेठां घाले दूध!!
पाडा बकरा बांदरा चौथी चंचल नार.
इतरा तो भूखा भला धाया करे बोबाङ
भला मिनख ने भलो सूझे कबूतर ने कुओं
अमलदार ने एक ही सूझे किण गाँव मे मुओl
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