शुक्रवार, 2 दिसंबर 2016

राजस्थानी लड़के

राजस्थानी लड़के का
टीम इंडिया मे चयन हुआ

खलबली तो तब मची जब
उसने कोच से कहा-

अगर बेटिंग नही आई तो आपा
तो घंटा ही फिल्डींग कोनी करा ला

गुरुवार, 1 दिसंबर 2016

रूडा़ राजस्थान बता ..वा थारी रूड़ी रीत कठै..!

शीश बोरलो..नासा मे नथड़ी..सौगड़ सोनो सेर कठै,
कठै पौमचो मरवण रौ..बोहतर कळियां घेर कठै...!!

कठै पदमणी पूंगळ री ..ढोलो जैसलमैर कठै,
कठै चून्दड़ी जयपुर री ..साफौ सांगानेर कठै.. !!

गिणता गिणता रेखा घिसगी.. पीव मिलन की रीस कठै,
ओठिड़ा सू ठगियौड़़ी ..बी पणिहारी की टीस कठै..!!

विरहण रातां तारा गिणती.. सावण आवण कौल कठै,
सपने में भी साजन दीसे ...सास बहू का बोल कठै..!!

छैल भवंरजी.. ढौला मारू ..कुरजा़ मूमल गीत कठै,
रूड़ा राजस्थान बता.. वा थारी रूड़ी रीत कठै..!!

हरी चून्दड़ी तारा जड़िया ..मरूधर धर की छटा कठै,
धौरां धरती रूप सौवणौ.. काळी कळायण घटा कठै.!!

राखी पूनम रेशम धागे.. भाई बहन को हेत कठै,
मौठ बाज़रा सू लदियौड़ा.. आसौजा का खैत कठै..!!

आधी रात तक होती हथाई ..माघ पौष का शीत कठै,
सुख दुःख में सब साथ रैवता.. बा मिनखा की प्रीत कठै..!!

जन्मया पैला होती सगाई ..बा वचना की परतीत कठै,
गाँव गौरवे गाया बैठी ..दूध दही नौनीत कठै..!!

दादा को करजौ पोतो झैले ..बा मिनखा की नीत कठै,
रूड़ा राजस्थान बता ..वा थारी रूड़ी रीत कठै..!!

काळ पड़िया कौठार खोलता ..बे दानी साहूकार कठै,
सड़का ऊपर लाडू गुड़ता ..गैण्डा की बै हुणकार कठै..!!

पतियां सागै सुरग जावती ..बै सतवन्ती नार कठै,
लखी बणजारो.. टांडौ ढाळै ..बाळद को वैपार कठै..!!

धरा धरम पर आँच आवतां ..मर मिटण री हौड़ कठै,
फैरा सू अधबिच उठिया..बे पाबू राठौड़ कठै..!!

गळियां में गिरधर ने गावै ..बीं मीरा का गीत कठै ,
रूड़ा राजस्थान बता ..वा थारी रूड़ी रीत कठै..!!

बितौड़ा वैभव याद दिरावै.. रणथम्बौर चितौड़ जठै ,
राणा कुम्भा रौ विजय स्तम्भ.. बलि राणा को मौड़ जठै..!!

हल्दीघाटी में घूमर घालै.. चैतक चढ्यौ राण जठै ,
छत्र छँवर छन्गीर झपटियौ.. बौ झालौ मकवाण कठै..!!

राणी पदमणी के सागै ही ..कर सोला सिणगार जठै,
सजधज सतीया सुरग जावती.. मन्त्रा मरण त्यौहार कठै..!!

जयमल पत्ता ..गौरा बादल.. रै खड़का री तान कठै,
बिन माथा धड़ लड़ता रैती.. बा रजपूती शान कठै..!!

तैज केसरिया पिया कसमा ..साका सुरगा प्रीत कठै,
रूड़ा राजस्थान बता ..वा थारी रूड़ी रीत कठै..!!

निरमोही चित्तौड़ बतावै ..तीनों सागा साज कठै,
बौहतर बन्द किवाँड़ बतावै...ढाई साका आज कठै..!!

चित्तौड़ दुर्ग को पेलौ पैहरी ..रावत बागौ बता कठै ,
राजकँवर को बानौ पैरया ..पन्नाधाय को गीगो कठै..!!

बरछी भाला ढाल कटारी.. तोप तमाशा छैल कठै,
ऊंटा लै गढ़ में बड़ता ..चण्डा शक्ता का खैल कठै.!!

जैता गौपा सुजा चूण्डा .?चन्द्रसेन सा वीर कठै,
हड़बू पाबू रामदेव सा ..कळजुग में बै पीर कठै..!!

मेवाड़ में चारभुजा सांवरो सेठ ..श्रीनाथ सो वैभव कठे ,
कठै गयौ बौ दुरगौ बाबौ.. श्याम धरम सू प्रीत कठै..!!

हाथी रौ माथौ छाती झालै.. बै शक्तावत आज कठै,
दौ दौ मौतों मरबा वाळौ.. बल्लू चम्पावत आज कठै..!!

खिलजी ने सबक सिखावण वाळौ ..सोनगिरौ विरमदैव कठै,
हाथी का झटका करवा वाळौ ..कल्लो राई मलौत कठै..!!

अमर कठै ..हमीर कठै ..पृथ्वीराज चौहान कठै,
समदर खाण्डौ धोवण वाळौ.. बौ मर्दानौ मान कठै..!!

मौड़ बन्धियोड़ौ सुरजन जूंझै ..जग जूंझण जूंझार कठै ,
ऊदिया राणा सू हौड़ करणियौ .?बौ टौडर दातार कठै..!!

जयपुर शहर बसावण वाळा.. जयसिंह जी सी रणनीत कठै,
अकबर ने ललकारण वाला ..अमर सीग राठौड कठे,

रूड़ा राजस्थान बता ..वा थारी रूड़ी रीत कठै.. !!
रूडा़ राजस्थान बता ..वा थारी रूड़ी रीत कठै..!!

बुधवार, 30 नवंबर 2016

जलम भोम / कन्हैया लाल सेठिया

       जलम भोम / कन्हैया लाल सेठिया
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आ धरती गोरा धोरां री, आ धरती मीठा मोरां री
ईं धरती रो रूतबो ऊंचो, आ बात कवै कूंचो कूंचो,

आं फोगां में निपज्या हीरा, आं बांठां में नाची मीरा,
पन्ना री जामण आ सागण, आ ही प्रताप री मा भागण,

दादू रैदास कथी वाणी, पीथळ रै पाण रयो पाणी,
जौहर री जागी आग अठै, रळ मिलग्या राग विराग अठै,

तलवार उगी रण खेतां में, इतिहास मंड़योड़ा रेतां में,
बो सत रो सीरी आडावळ, बा पत री साख भरै चंबळ,

चूंडावत मांगी सैनाणी, सिर काट दे दिया क्षत्राणी,
ईं कूख जलमियो भामासा, राणा री पूरी मन आसा,

बो जोधो दुरगादास जबर, भिड़ लीन्ही दिल्ली स्यूं टक्कर,
जुग जुग में आगीवाण हुया, घर गळी गांव घमसान हुया,

पग पग पर जागी जोत अठै, मरणै स्यूं मधरी मौत अठै,
रूं रूं में छतरयां देवळ है, आ अमर जुझारां री थळ है,

हर एक खेजड़ै खेड़ा में, रोहीड़ा खींप कंकेड़ा में
मारू री गूंजी राग अठै, बलिदान हुया बेथाग अठै,

आ मायड़ संतां शूरां री, आ भोम बांकुरा वीरां री,
आ माटी मोठ मतीरां री, आ धूणी ध्यानी धीरां री,

आ साथण काचर बोरां री, आ मरवण लूआं लोरां री
आ धरती गोरा धोरां री, आ धरती मीठै मोरां री।

ठंड में खूब लो, खावा रो मजो

ठंड में खूब लो, खावा रो मजो

ऊना ऊना ढोकळा,
खाओ भली मोकळा ।

मक्की री रोटी, ऊपरे आका रींगणा,
ये पाछे मेले, आच्छा आच्छा जीमणा

जो वेईरा है, खापला,
खूब खाओ बापला ।

आतरे पातरे वणावो हाजो,
गणो बढ्या लागे, ताजो ताजो ।

रोट्या कटे अड़ी री, बापड़ी,
जदी मलिजा ऊनी ऊनी राबड़ी ।

सूबे सूबे खूब भावे लपटो,
जिने नी मले, वो करे खपटो ।

ऊनी ऊनी थाळी भरी गाट,
खावता खावता आँगळ्या जावो चाट

काजु, वदामा री भरी रेवे जेबा,
कुण खावें मिठाया रा ढेबा ।

भावे जतरी खावो जगळ,
पछे खूब करो दंगळ ।

काचाई चबाई जावो मूळा न गाजर,
छाने छाने खूब खावो घर में मोगर ।

पतळो पतळो मोगरी रो खाटो,
ऊबा ऊबा पिवो, नी पड़े घाटो ।

राजन पैईसा पे ध्यान मती दिजो,
ठंड में खूब खावा रो मजो लिजो ।
होचता होचता यूई परा रेवोला,
ठंड पाछी, गणा दन केड़े आवेला
गणा दन केड़े आवेला । ।

मंगलवार, 29 नवंबर 2016

ए टी एम रै आगळ ऊभा

ए टी एम रै आगळ ऊभा, बैंकां आगळ बैठा ।
परभाते सूं है पगतांणी, जोशी बबलू जेठा ।। 

ज्यूं ज्यूं दिनङा बीता जावै, है हालत पतलांणी ।
आटो लूण मिरच तरकारी, घर में कीकर लाणी ।। 

नोट बंद कर दीना "नरिये", भरिये सावां भेळा।
हाय हाय हर तरफां मचगी ,मचिया भारत मेळा ।। 

काळे धन आळा कुमळिज्या ,रोकङिया गिण रोवै ।
गरीबां री करे गुलामी, सारी रात न सोवै ।। 

किण रै खाते कितरा घालां, काळा हुवै सफेद ।
किणी ओर नै मती कैवजे, भाईङा ओ भेद।। 

मोटी जिण री रातां होवै, जांजरका भी मोटा ।
खारो मीठो खाणो पङसी, करम किया जो खोटा ।।

मन री बात सुणो मोदी जी, कहे कवि "गिरधारी"। जनता तो बस जनता होवै, हुवै न थारी म्हारी ।।

नया नोट बैंकां में नांखो, तुरंत करो तैयारी ।
खारा खारा जोवण लाग्या, नर हो चाहे नारी ।।  
     ✍  पुरुषोत्तम 

रंग प्रभु रजवट्ट.

अमर.शहीद प्रभू सिंह नें श्रध्धांजली
रंग प्रभु रजवट्ट.
सीमा ऊपर शान सू, प्रभू रोपिया पांव।
कटियो पण हटियो नही, रोसीलो बनराव।।1।।
माछल सेक्टर मोंयने, पाछल दिया न पग्ग।
हवन कुण्ड तन होमियो, जोत जले जगमग्ग।।2।।
खिरजां धर सुद्व खूनरो, कुरबानी दी कट्ट।
रण मोंही रज रज हुओ, राठोड़ी रजवट्ट।।3।।
पग पग थल़वट परगने, ऊपज्या वीर अनेक।
प्रभू सिंह उण पंथ री, टणकी राखी टेक।।4।।
धिन धिन रे थल़वट धरा, धिन जनणी धिन तात।
जिण धर जाहर जनमियो, वीर प्रभु विखियात।।5।।
सुभट जनमिया शेरगढ, खिरजां जिणमे खास।
प्राण निछावर कर प्रभु, अमर हुओ इतिहास।।6।।
शेर परगनो शेरगढ, खिरजां नाहर खाण।
हिंद रुखाल़ण दैश हित,
प्रभू तजिया प्राण।।7।।
दी कुरबानी दैश ने, बीज रुधिर तन बोय।
लाख लाख रंग लेयने, सीमा पर ग्यो सोय।।8।।
भाटी कुल रो भांणजो, भल तापू मरु भोम।
चंद्र सुतन कर चानणो, कुल चमकांई कोम।।9।।
सिरे बापिणि सासरो, सुसरो नरपत सिंह।
ओम कंवर संग ओपती,
प्यारी धण परणीह।।10।।
कमधज ते ऊंचो कियो, भारत मां रो भाल।
अंजसे दैश समाज रा, सह अंजसे ससुराल।।11।।
जुध मोंही भिड़ियो जबर,
अरि आगल़ अगराज।
प्राण देय धर पोढियो, ओढ तिरंगौ आज।।12।।
गोगादै लड़ियो गजब, कर दुसमण पर क्रोध।
वीर छत्रवट वंश रो, असल घरांणै ओध।।13
गोगादै री गरजणा, पूगी सीमा पार।
हलचल घर दुसमण हुई,
हड़कंप हाहाकार।।14।।
प्रभू परम पद पावियो,
रखण धरम रजपूत।
दै प्रभू फिर देशमे, प्रभु सरीखा पूत।।15।।
रचयिता:मोहन सिह रतनू (आर पी एस,जयपुर)

थे घास नांखणीं बंद करो

.         *थे घास नांखणीं बंद करो*
         *-------------------------*

थे रिश्वत देणीं बंद करो ,
लेवणियां भूखां मर ज्यासी ।
थे घास नांखणीं बंद करो ,
सरकारी सांड सुधर ज्यासी ।

खुद रा घर को करो सुधारो ,
आखो गांव सूधर ज्यासी ।
थे भाव देवणां बंद करो ,
केयां रा भाव उतर ज्यासी ।

दूजां में गलत्यां मत देखो ,
गलत्यां खुद में ही मिल ज्यासी ।
जे खुद चोखा बण रेवोला ,
पाडोसी चोखा मिल ज्यासी ।

थे ब्लेक लेवणों बंद करो ,
दो नंबर पूंजी घट ज्यासी ।
ईमान धरम पर चालोला ,
तो पाप पाप रो कट ज्यासी ।

बेटी री कदर करोला तो ,
झांसी की राण्यां आ जासी ।
पन्ना मीरां अर पदमणियां ,
सीतां सावित्र्यां आ ज्यासी ।

आजादी रो मतलब समझ्यां ,
भारत रो रूप संवर ज्यासी ।
सूतोडा शेर जाग ज्यासी ,
साल्यां में भगदड मच ज्यासी ।

भिड ज्यावो आतंकवादयां सूं ,
आतंकवादी खुद डर ज्यासी ।
सीमाडे सूता मत रेवो ,
दुशमणं री छाती फट ज्यासी ।

जे एक होयकर रेवोला ,
तो झोड झमेला मिट ज्यासी ।
मेहनत की रोटी खावोला ,
तो बेईमानी मिट ज्यासी ।

झूठा वादां में मती फसो ,
वादां री हवा निकल ज्यासी ।
वोटां री ताकत नें समझ्यां ,
दादां री जमीं खिसक ज्यासी ।

नारां रे लारे मत भागो ,
नारां रे नाथां घल ज्यासी ।
मत बंद और हड़ताल करो ,
नुकसाणं देश रो बच ज्यासी ।

जे नेम धरम पर चालोला ,
जीणें रो ढंग बदल ज्यासी ।
मैणंत रा मोती बोयां सुं ,
धरती रो रंग बदल ज्यासी ।

कविता री कदर करोला तो ,
गीतां री राग बदल ज्यासी ।
भला मानस आलस छोड ऊठो ,
भारत रा भाग बदल ज्यासी ।

रविवार, 27 नवंबर 2016

बोटी बोटी बदन री, कर दीनी कुरबान।

बोटी बोटी बदन री,
        कर दीनी कुरबान।
परभू हीरो पनपियो,
       खिरजां वाळी खान।।1।।
माछिल सेक्टर मांयने,
      पाक सीमा रै पास।
दी कुर्बानी देश पर,
        खिरजां प्रभू खास।।2।।
   शेर परगनो शेरगढ, खिरजां नाहर खाण।
हिंद रुखालण देश हित, प्रभू सूंपियां प्राण।।
अमर शहीद प्रभू सिह जी के
कश्मीर मे शहीद होने पर शत शत नमन ।

संकलित दोहे

संकलित
पाडा बकरा बांदरा चौथी चंचल नार।
इतरा तो भूखा भला धाया करे बोबाङ

भला मिनख ने भलो सूझे कबूतर ने कुओं
अमलदार ने एक ही सूझे किण गाँव मे मुओl

गरज गैली बावली. जिण घर मांदा पूत।
सावन घाले नी छाछङी जेठां घाले दूध।

बाग बिगाङे बांदरो. सभा बिगाङे फूहङ।
लालच बिगाङे दोस्ती. करे केशर री धूङ।

*फॉरवर्ड अन्य ग्रुप से*

जुंझारा हर झूपड़ी

जुंझारा हर झूपड़ी,
हर घर सतियाँ आण |
हर वाटी माटी रंगी ,
हर घाटी घमसाण ||
यहाँ (राजस्थान) पर प्रत्येक झोंपड़ी में झुंझार हो गए है,हर घर सतियों की आन से गौरान्वित है ,प्रत्येक भू-खंड की मिटटी बलिदान के रक्त से रंजित है ,तथा हर घाटी रण-स्थली रही है |

हर ढाणी,हर गांव में ,
बल बंका, रण बंक |
भुजां भरोसै इण धरा,
दिल्ली आज निसंक ||१५||
यहाँ हर ढाणी और हर गांव गांव में बल बांके और रण-बांके वीर निवास करते है | जिनके भुज-बल के भरोसे दिल्ली (देश की राजधानी) निस्शंक (सुरक्षा के प्रति निश्चिन्त )है|

स्व.आयुवान सिंह शेखावत