साल सत्रहवों सरस,
आप घर खुशी अथागां।
अपणायत अणमाप,
रहे मन आणंद रागां।
सुबस बसो सब सैण,
सदा सनमान सवायो।
चित हित सबरो चाव
भाव भायां सो भायो।
प्रगति वाट रू पद प्रतिष्ठा
रहे सदामत राजरे।
आपरै काज गिरधर अखै,
ऐड़ी आसा आजरै।।
गिरधर दान रतनू दासोड़ी
राजस्थानी बोलियों में कविताए कहानियां मजेदार चुटकुले गीत संगीत पर्यटन तथ्य रोचक जानकारियां ज्ञानवर्धन GK etc.
शनिवार, 31 दिसंबर 2016
साल सत्रहवों
निपट जणायो नैतसी
जे किणी सैण नै पुख्ता जाणकारी होवै तो निम्न चारण कवेसरां रै विषय म
मख आढै नीसांणमल,
*सामधरम सिवदान।*
*रतन सपूताचार रो
आडो वल़ियो अंक।
सांसण कीधा माल रा,
कल़ंक काट निकल़ंक।।
नरू जसौ कवियो बिहूं,
ईसर खिड़ियो एक।
*झीबौ गंग सुरपुर झलै*
टल़ै न जां रण टेक।।
रथ खंचियो गैणांग रथ,
धर कज मचियो धींग।
रचियो भारत रूकड़ां,
*नह मुचियो नरसींग*
*अइयो ईसरियाह*
बारठ आडा बोलणा।।
कल़ में कांधल़काह
*वीदा अन बांटत नहीं।।*
दुसटी पड़्यो दुकाल़,
दुरभख सारा देस में।
सेवाहरै सुगाल़,
*निपट जणायो नैतसी*
गिरधर दान रतनू दासोड़ी
चोखो
मारवाड़ी पति अपनी पत्नी को मोबाइल से बात कर के कंप्यूटर चलाना सीखा रहा था...
पति : माई कम्पुटर पर राईट क्लिक कर....
पत्नी : हाँ कर लियो..
पति : फोल्डर खुल्यो के....?
पत्नी : हां... खुलग्यो..
पति : अब ऊपर की तरफ देख.. के दिख्यो....?
पत्नी : पंखो.....
पति : चोखो..
जालटक जा..
शुक्रवार, 30 दिसंबर 2016
Marwadi chutkule
Baniya Special
✂✂✂✂✂✂✂
बनिया को भूत चड़ गया।
3दिन बाद भूत खुद ओझा के पास गया और
बोला :- मुझे बाहर निकालो, वर्ना मै
भूखा मर जाउगां।
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बनिया हाथ मे ब्लेड मार रहा था।
बीवी:- ये क्या कर रहे हो जी??
बनिया:- Dettol की शिशी टूट गई है
कही Dettol बरबाद ना हो जाए।
ला तेरी भी उगंली काट दूँ।
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जहाज के साथ बनिया भी डूब रहा था।
पर बनिया हंस रहा था।
दुसरा यात्री :- ओए ,हँस क्यो रहा है??
बनिया :- शुक्र है, मैने रिटर्न टिकट
नही खरीदा।
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बनिया 14 वी मंजिल से नीचे गिरा।
गिरते वक्त उसने अपने घर की खिड़की से
देखा कि बीवी खाना बना रही है।
बनिया चिल्लाया :-" मेरी रोटी मत
पकाना"
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बनिया ने शेख को खून देकर उसकी जान
बचाई। शेख ने खुश होकर उसे मर्सिडिज
कार गिफ्ट की।
शेख को फिर खून की जरुरत पड़ी,बनिया ने
फिर खून दिया।
अबकी बार शेख ने सिर्फ लड्डू दिए।
बनिया (गुस्से से) :- इस बार सिर्फ
लड्डू????
शेख:- बिरादर, अब हमारे अन्दर
भी बनिया का खून दौड़ रहा है।
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कंजूस बनिया मरनेवाला था।
बनिया:- बीवी कहाँ हो?
बीवी :- जी मै यही हूँ।
बनिया:- मेरा बेटा और बेटी कहाँ है।
दोनो बच्चे:- जी हम भी यही है
बनिया:- तो बाहर वाले कमरे
का पंखा क्यो चल रहा है???
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कंजूस बनिया :- एक केला कैसे दिया???
केलेवाला :- १रुपय का।
कंजूस बनिया :-60 पैसे का देता है?
केलेवाला :-60पैसे मे तो सिर्फ
छिलका मिलेगा।
कंजूस बनिया :- ले 40 पैसे, छिलका रख
और केला देदे।
:
एक कंजूस
बनिया लड़का को बनिया लड़की से प्रेम
हो गया।
बनिया लड़की :- जब पिताजी सो जाएगें
तो मै गली मे सिक्का फेंकुंगी,आवाज सुनकर
तुरन्त अन्दर आ जाना।
लेकिन लड़का सिक्का फेंकनेंlके एक घन्टे बाद
आया।
लड़की :- इतनी देर क्यो लगा दी???
लड़का :- वो मै सिक्का ढुँड रहा था।
लड़की:- अरे पागल वो तो धागा बाँधकर
फेका था,वापस खिच लिया।
आराम करा
काम कोनी , बस आराम करा
घरा मे बैठ , अब राम राम करा
धंधो मंदो होग्यो नोट बंदी सु
"अच्छा दिना" ने प्रणाम करा
खेल सारो ओ काला और गोरा लोगा रो हैं
और आपा हज़ार पाँच सौ ने बदनाम करा
रोज नयी GUIDELINES जारी करे आ RBI
उर्जीत ने नमन , याद राजन रघुराम करा
दिन ATM और PAYTM के चक्करा मे काटा
और रात JIO माथे नींदा हराम करा
चाल बीरा उठ , कोई और नयो काम करा ।।
गुरुवार, 29 दिसंबर 2016
तूं क्यूं कूकै सांखला!!
तूं क्यूं कूकै सांखला!!
गिरधर दान रतनू दासोड़ी
"बारै वरसां बापरो,लहै वैर लंकाल़!!"
महाकवि सूरजमलजी मीसण री आ ओल़ी पढियां आजरै मिनखां में संशय उठै कै कांई साचाणी बारह वरसां रा टाबरिया आपरै बाप-दादा रा वैर लेय लेवता!आं रो सोचणो ई साचो है क्यूं आज इणां रा जायोड़ा तो बारह वरसां तक कांई बीस वरसां तांई रो ई रोय र रोटी मांगे!!सिंघां सूं झपटां करणी तो मसकरी री बात है बै तो मिनड़ी रै चिलकतै डोल़ां सूं धैलीज जावै !!जणै आपां ई मान सकां कै आजरो मिनख आ बात कीकर मानै?पैला तो हर मिनख आपरी लुगाई नै कैया करतो हो कै 'जे आपांरै जायोड़ै में बारह वरसां तक बुद्धि,सोल़ह वरसां तक शक्ति अर बीस वरसां तक कुल़ गौरव री भावना नीं आवै तो पछै उणसूं आगे कोई उम्मीद राखणी विरथा है-
बारै बुद्ध न बावड़ी,
सोल़ै कल़ा न होय।
बीस वडपण ना वल़ै,
(पछै)गैली वाट न जोय!!
आपांरी इण धरा माथै एक नीं अलेखूं ऐड़ा दाखला मिलै कै बारह वरसां रै वीरां आपरो वैर उधारो नीं रैवण दियो।ऐड़ो ई एक किस्सो है ईदोखा(नागौर) रै मानसिंह मेड़तिया रो।ईदोखा रै ई पाखती ठिकाणो हो मनाणा।मनाणा रा ठाकुर अमरसिंहजी वीर ,उदार अर टणका मिनख हा।अमरपुरा (खिड़ियां रो )इणां ई खिड़ियां नै इनायत कियो-
अमरपुर दियो जस कज अमर अमरसिंघ अखमाल रे।।
इणी अमरसिंहजी रो बेटो धीरतसिंह मेड़त़िया, महावीर अर उदार मिनख होयो।जिणरै विषय में गिरधर दास खिड़िया रो ओ सोरठो घणो चावो है-
धरती धीरतियाह,
तो ऊभां करती अंजस।
मरतां मेड़तियाह,
आज विरंगी अमरवत!!
जैडोक आपां जाणा कै अमरसिंहजी वीर पुरुष होया।उणां री अदावदी ईदोखा रै मेड़तिया जगतसिंह सूं किणी बात नै लेयर होयगी।उणां जगतसिंह नै मार दियो।जगतसिंह रै एक भाई हो मानसिंह,जिणरी उम्र उण बगत फगत बारह वरस।उणनै आ बात सहन नीं होई।उणरै ईदोखा रो एक समवय बीठुवां रो टाबर मित्र।मानसिंह आपरै अंतस क्रोध री बात आपरै इण चारण मित्र नै बताई,पण बो ई टाबर !करै तो कांई करै?उण सुण राख्यो हो कै मा गीगां री शरण पड़ियां बा मदत अवस करेली!!दोनूं मा गीगां रै मढ भूखा तीसा जायर बैठग्या।दो दिन इणी हालत में बैठा रैया। दूजी रात रा उणां नै एक सुपनो आयो जिणमें एक डोकरी कैय रैयी है कै "कालै मंधारै पड़तां ई मनाणै कोट जाया परा अर पैलो आदमी थांनै बतल़ावै उण माथै तरवार रो वार कर दिया ,बो ई अमरसिंह होवैला!!"दोनां रै घूघरा बंधग्या।बिनां किणी नै बतायां बै सीधा मनाणा आयग्या।अंधारो पड़़ण नै उडीकण लागा।ज्यूं ई मंधारो होयो ,दोनूं गढ में बड़िया ।इनै-बिनै फिरण लागा ,उणां देखियो एक जागा चरू चढियोड़ो है अर कनै ई बाजोटां माथै महफिल जम्योड़ी है।इतरा मिनख एक जागा देखर एक र दोनूं ई डरिया पण मा गीगां रा वचन याद आवतां ई हूंस बधी अर आगे बधिया ।अठीनै सूं ठाकुर साहब खुद रावल़ै मांय सूं बैठक में पधार रैया हा,उणां री निजर इण दो अजाण टाबरियां नै बैठक कानी छानै छानै जावता माथै पड़ी।उणां इणांनै बोकारिया ,कुण है रे?मानसिंह तो थोड़ी करी न घणी अजेज आगे बधियो अर बोलियो 'थारो काल़ हूं!मानो मेड़तियो!जगतसिंह मांगूं संभ!'ठाकुर संभल़ता उणसूं पैला ई मानसिंह तरवार बाही ।अमरसिंहजी रो प्राणांत होयग्यो।हाको सुणर एक सांखलो राजपूत बारै आयो,ओ सांखलो अठै कोट में ई रैवतो।बो जोर सूं कूकियो कै 'आओ रे !कोई ठाकरां रै घाव करग्यो!!'सांखलै नै रोवतै नै देख र उण बीठू चारण कैयो-
ज्यांरा जगता मारिया,
ज्यां मार्या अमरेस।
तूं क्यूं रोवै सांखला,
वसै विराणै देस!!
गिरधर दान रतनू दासोड़ी
बुधवार, 28 दिसंबर 2016
म्है मरियां ई कोट भिल़सी !!
म्है मरियां ई कोट भिल़सी !!
गिरधर दान रतनू दासोड़ी
बीकानेर माथै जिण दिनां महाराजा जोरावर सिंहजी रो राज तो जोधपुर माथै अभयसिंहजी रो।
जोधपुर रै राजावां री कुदीठ सदैव बीकानेर माथै रैयी है।उणां जद ई देखियो कै बीकानेर में अबार सत्ता पतल़ी है अथवा आपसी फूट रा बीज ऊग रैया है तो इणां बीकानेर कबजावण सारु आपरो लसकर त्यार राखियो।ओ ई काम अभयसिंहजी कियो।ऐ ई बीकानेर माथै सेना लेय आया।देशनोक करनीजी रा दरसण किया अर देपावतां(करनीजी री संतान)माथै जोर दियो कै 'वे ज्यूं बीकानेर राजावां सारु करनीजी सूं अरज करै उणीगत म्हारै खातर ई करै।'पण चारणां मना कर दियो अर कैयो कै बीकानेर री रुखाल़ी कोई करनीजी म्हांरै कैणै सूं थोड़ी करै !!ओ तो इणांरो दियोड़ो राज है सो म्हांरी अरज री जरूत नीं पड़ै-
बीको बैठो पाट,
करनादे श्रीमुख कैयो।
थारै रैसी थाट,
म्हांरां सूं बदल़ै मती!!
अभयसिंहजी नै रीस आयगी अर उणां कैयो कै 'म्हारै बूकियां में गाढ होवैला तो करनीजी आपै ई म्हारी मदत में आ जावैला!!'
अभयसिंहजी री फौज रो डेरो बीकानेर रै पाखती लागो।महाराजा जोरावर सिंहजी रो पख पतल़ो।कई सिरदार विमुख।महाराजा गढ छोड कठै ई सुरक्षित जावण रो विचार कियो पण सलाहकारां सलाह दी कै भूकरका ठाकुर कुशल़ सिंहजी नै खबर करो अर उणांनैं उडीको।हलकारै नै कुशल़सिंहजी कनै मेलियो।
कुशल़ सिंहजी साधारण वेशभूषा में आपरै कोट में आपरी भागोड़ी बकरी रै चाखड़ बांध रैया हा।हलकारो पूगियो अर बकरी रै चाखड़ बांध रैया ठाकुर साहब नै कोई साधारण हाल़ी बालधी समझर पूछियो कै 'ठाकुर साहब कठै है?कोई खबर दैणी है।'ठाकुर साहब बोलिया '"हां तो बता कांई खबर है?'उण पाछो कैयो 'भाई थूं थारो काम कर ,म्हनै ऐ समाचार कोई दूजै नीं, खाली ठाकुर साहब नैं ई दैणा है!'ठाकुर साहब समझग्या कै आंधो अर अजाण बरोबर होवै सो बै मांयां जायर आपरा गाभा पेरिया अर बैठक में हलकारै नै बुलायो।ज्यूं ई हलकारो मांयां आयो तो देखियो कै चाखड़ बांधण वाल़ो आदमी ई ठाकुर साहब री गादी माथै बैठो है!!उण माफी मांगी पण मोटै मिनखां रा मन ई मोटा होवता सो उणां कैयो थूं तो बात बता!पूरी बात सुणतां ई ठाकुर साहब रा भंवारा तणग्या।मूंछां फरूकण लागी अर आपाण में शरीर खावण लागो।ठाकुर साहब साथ नै चढण रो आदेश दियो अर कैयो कै "उठै बैठा राजपूत ,अपणै आपनै राजपूत कीकर कैवै?देश रो लूण खावणिया कीकर दूजै राजावां सूं जा मिलै?ऐड़ा निलज्जा कीकर आपरै सिर सेर सूत अर बगतर पैर कीकर तरवार बांधै?'कुशल़ सिंहजी रै इण भावां नै किणी चारण कवि कितरै सतोलै सबदां में कैयी है-
पत मेलै रजपूत,
महपत जा बीजां मिल़ै।
तो सिर माथै सूत,
किम बांधै कुशल़ो कहै।।?
वीग्रहियो बीकाण,
घणखायक बैठा घरै!
कड़ी पास केवाण,
किम बांधै कुशल़ो कहै।।?
उणां अजेज आपरो साथ सजायो अर बीकानेर आया।आगे देखियो कै बीकानेर में च्यारां कानी अभय सिंहजी रै आतंक रो सायो पसर्योड़ो।कुशल़सिंहजी देखियो कै गढ रो गाढ जाब देवण वाल़ो है अर महाराजा गढ छोड कठै ई सुरक्षित जावण खातर कुशल़सिंहजी नै उडीकै हा!!उणां आवतां कैयो कै 'गढ म्हांरै र म्हांरै बाप रो !!महाराजा कुण होवै गढ छोडणिया?महाराजा म्हांरै माथै रा धणी अर म्हे गढ रा धणी!!म्है ऊभां गढ में कोई बड़ेलो तो आप मानजो सूरज ऊगणो ई बंद कर देला!!'किणी चारण कवेसर ठाकुर साहब रै इण भावां नै कितरा सतोला सबद दिया है-
कुशल़ो पूछै कोट नै,
विलखो क्यूं बीकाण।
मो ऊभां तो पालटै,
भोम न ऊगै भाण।।
कुशल़सिंहजी रै आपाण अर उणांरी तीखी तरवार रै पाण बीकानेरियां मे बल़ बधियो।सवार रा गढ माथै धवल़ चील रा महाराजा नै दरसण होया।धवल़ चीर साक्षात करनीजी री प्रतीक मानी जावै।करनीजी रा दरसण सूं महाराजा नै ई विश्वास होयो कै अबै जीत बीकानेर री ई होसी।उणां करनीजी नैं संबोधित करर एक दूहो कैयो-
दाढाल़ी डोकर थई,
कै थूं गई विदेस।?
खून बिनां क्यूं खोसवै,
निज बीकां रो नेस।।?
महाराजा रो ओ दूहो सुण पाखती ई ऊभा शंभुदानजी रतनू(दासोड़ी) पाछो एक दूहो कैयो-
निज नेसां जोखो नहीं,
जोखो है जोधाण।
अभो अफूठो जावसी,
मेलै मन रो माण।।
जोधपुरियां सुणियो कै ठाकुर कुशल़सिंह आयग्यो है अर हमें बीकानेर आवणो अबखो है !सो उणां आपरा डेरा उठाय पाछा जोधपुर जावण री त्यारी करी।होल़ी आगला दिन हा।जोधपुरियां होल़ीअठै ई करण अर मंगल़ावण री पूरी त्यारी कर राखी ही।कुशल़सिंहजी रै आत्मविश्वास अर बीकानेरियां री मरण त्यारी देख जोधपुर रो साथ होल़ी नै गाडां घाल बहीर होया।बीकानेर सूं पैंतीस कोस आगा जायर नागौर कनै होल़ी मंगल़ाई।इण बात रो साखीधर शंभुदानजी रतनू रो एक गीत उल्लेखणजोग है-
हुवो ताव सूजां इसो राव बीकाहरां,
झाट खग अजावत नकू झाली।
सीस गाडां तणै बैठ एकण समै,
होल़का कोस पैंतीस हाली।।
ठाकुर कुशल़ सिंहजी रो नाम आज ई अमर है।
गिरधर दान रतनू दासोड़ी
मंगलवार, 27 दिसंबर 2016
मारवाड़ी शायरी.....
मारवाड़ी शायरी...........
अरज किया है
हमें तो वङीयों ने लूटा,राबोङियों में कहां दम था।
हमारा होगरा भी वहाँ डूबा,जहाँ झोल कम था।।।....!!!
मारवाड़ री कविता
आ लो सा मारवाड़ री कविता
*थे रिश्वत देणीं बंद करो,*
*लेवणियां भूखां मर ज्यासी।*
*थे घास नांखणीं बंद करो,*
*सरकारी सांड सुधर ज्यासी।*
*खुद रा घर को करो सुधारो,*
*आखो गांव सूधर ज्यासी।*
*थे भाव देवणां बंद करो,*
*केयां रा भाव उतर ज्यासी।*
*दूजां में गलत्यां मत देखो,*
*गलत्यां खुद में ही मिल ज्यासी।*
*जे खुद चोखा बण रेवोला,*
*पाडोसी चोखा मिल ज्यासी।*
*थे ब्लेक लेवणों बंद करो,*
*दो नंबर पूंजी घट ज्यासी।*
*ईमान धरम पर चालोला,*
*तो पाप पाप रो कट ज्यासी।*
*बेटी री कदर करोला तो,*
*झांसी की राण्यां आ जासी।*
*पन्ना मीरां अर पदमणियां,*
*सीतां सावित्र्यां आ ज्यासी।*
*आजादी रो मतलब समझ्यां,*
*भारत रो रूप संवर ज्यासी।*
*सूतोडा शेर जाग ज्यासी,*
*साल्यां में भगदड मच ज्यासी।*
*भिड ज्यावो आतंकवादयां सूं,*
*आतंकवादी खुद डर ज्यासी।*
*सीमाडे सूता मत रेवो,*
*दुशमणं री छाती फट ज्यासी।*
*जे एक होयकर रेवोला,*
*तो झोड झमेला मिट ज्यासी।*
*मेहनत की रोटी खावोला,*
*तो बेईमानी मिट ज्यासी।*
*झूठा वादां में मती फसो,*
*वादां री हवा निकल ज्यासी।*
*वोटां री ताकत नें समझ्यां,*
*दादां री जमीं खिसक ज्यासी।*
*नारां रे लारे मत भागो,*
*नारां रे नाथां घल ज्यासी।*
*मत बंद और हड़ताल करो,*
*नुकसाणं देश रो बच ज्यासी।*
*जे नेम धरम पर चालोला,*
*जीणें रो ढंग बदल ज्यासी।*
*मैणंत रा मोती बोयां सुं,*
*धरती रो रंग बदल ज्यासी।*
*कविता री कदर करोला तो,*
*गीतां री राग बदल ज्यासी।*
*दोस्तों आलस छोड ऊठो,*
*भारत रा भाग बदल ज्यासी।*
भैंस्या चरगी
लो राजस्थान
मारवाङी कविता-
दूध दही ने चाय चाटगी, फूट चाटगी भायाँ ने ।।
इंटरनेट डाक ने चरगी, भैंस्या चरगी गायाँ ने ।।
टेलीफोन मोबाईल चरग्या, नरसां चरगी दायाँ ने ।।
देखो मर्दों फैसन फटको, चरग्यो लोग लुगायाँ ने ।।
साड़ी ने सल्वारां खायगी, धोतीने पतलून खायगी ।।
धर्मशाल ने होटल खायगी, नायाँ ने सैलून खायगी ।।
ऑफिस ने कम्प्यूटर खाग्या, 'मेगी' चावल चून खायगी ॥
राग रागनी फिल्मा खागी, 'सीडी' खागी गाणा ने ॥
टेलीविज़न सबने खाग्यो, गाणे ओर बजाणे ने ॥
गोबर खाद यूरिया खागी, गैस खायगी छाणा ने ॥
पुरसगारा ने बेटर खाग्या, 'चटपटो खाग्यो खाणे ने ॥
चिलम तमाखू ने हुक्को खाग्यो, जरदो खाग्यो बीड़ी ने ॥
बच्या खुच्यां ने पुड़िया खाग्यी, अमल-डोडा खाग्या मुखिया ने ॥
गोरमिंट चोआनी खागी, हाथी खाग्यो कीड़ी ने ॥
राजनीती घर घर ने खागी, नेता चरगया रूपया ने ॥
हिंदी ने अंग्रेजी खागी, भरग्या भ्रष्ट ठिकाणो में ॥
नदी नीर ने कचरो खाग्यो, रेत गई रेठाणे में ॥
धरती ने धिंगान्या खाग्या, पुलिस खायरी थाणे ने ॥
दिल्ली में झाड़ू सी फिरगी, सार नहीं समझाणे में ॥
मंहगाई सगळां ने खागी, देख्या सुण्या नेताओ ने ॥
अहंकार अपणायत खागी, बेटा खाग्या मावां ने ॥
भावुक बन कविताई खागी, 'भावुक' थारा भावां ने ॥
नाहर जणै न कूकरी
नाहर जणै न कूकरी,शुकरी जणै न शेर।
करीना पीथळ न जणै,तैमूर जणसी फैर।
तैमूर जणसी फैर,अव्वल जणै ओसामा।
नादिर औरंगजेब, अवर'ज हुसैन सदामा।
खिलजी बाबर खास,अकबर जणै जग जाहर।
जिन्नो जणै जरूर,"उदल" आ जणै न नाहर।
बिजली तांई पासा चटकूं।
राजस्थानी ग़ज़ल।
बिजली तांई पासा चटकूं।
खुद नै म्है सावळ ही झटकूं।
मन में रैवे आवण वाळा।
तद खुद री सूरत ही मटकूं।
वारीं यादां में खो जाऊँ।
बादल बण आकासां भटकूं।
जद नी आवै साँझ तणा व्है।
म्है चौखट पासै ही अटकूँ।
दीपा री आसावां पूरै।
यूं आसै पासै ही लटकूं।
दीपा परिहार
शनिवार, 24 दिसंबर 2016
लूणोजी रोहड़िया री वेलि-
लूणोजी रोहड़िया री वेलि-गिरधर दान रतनू दासोड़ी
बीठूजी नै खींवसी सांखला 12 गांव दिया।बीठूजी आपरै नाम सूं बीठनोक बसायो।कालांतर में इणी गांव म़े सिंध रै राठ मुसलमानां सूं सीमाड़ै अर गोधन री रुखाल़ी करतां बीठूजी वीरगति पाई।जिणरो साखीधर उठै एक स्तंभ आज ई मौजूद है।बीठूजी री वंश परंपरा में धरमोजी होया अर धरमोजी रै मेहोजी ।मेहोजी रै सांगटजी/सांगड़जी होया।बीठनोक भाईबंटै में सांगड़जी नै मिलियो जिणरै बदल़ै में तत्कालीन जांगलू नरेश इणां नै सींथल़ इनायत कियो।
सांगड़जी सींथल आयग्या।सांगड़जी रै च्यार बेटा हा-मूल़राजजी,सारंगजी,पीथोजी,अर लूणोजी।एकबार भयंकर काल़ पड़ियो तो च्यारूं भाई आपरी मवेशी लेयर माल़वै गया परा।लारै सूं सूनो गांम देख ऊदावतां सींथल माथै कब्जो कर लियो।मेह होयो।हरियाल़ी होई तो ऐ पाछा आपरै गांम आया।आगे देखै तो ऊदावत धणी बणिया बैठा है!उणां विध विध सूं समझाया पण उणांरै कान जूं ई नीं रेंगी।दूजै भाईयां तो कोई घणो जोर नीं कियो पण लूणैजी सूं आ बात सहन नीं होई।उणां ऊदावतां माथै रीस अणाय आपरै गल़ै इक्कीस बार कटारी खाधी पण घाव एकर ई नीं फाटियो।देखणियां नै अचूंभो होयो अर उणां मानियो कै लूणोजी कटारी नीं खायर खाली राजपूतां नै डरावण रो सांग कर रैया है।घाव नीं फाटण सूं लूणैजी नै ई आपरो अपमान लागियो।बै सीधा देशनोक करनीजी कन्नै आया अर पूरी बात बताय स्वाभिमान कायम राखण रो निवेदन कियो।करनीजी कैयो कै "आज थारै पाखती रै गांम वासी में सांखलां रै अठै ब्याव है सो तूं उठै जा परो।उठै तन्नै बकरी रै दूध री खीर पुरसैला ।उण खीर में बकरी रो बाल़ आवैला बो थारै कंठां में आवतां ई पूरा घाव फाट जावैला।पछै तैं में आपै ई देवत्व प्रगट होवैलो।"
लूणोजी वासी आया।उठै सांखलां घणा कोड किया।जीमण रो बगत होयो जणै जानियां अर मांढियां लूणैजी नै भोजन अरोगण रो कैयो पण लूणैजी मना कर दियो।राजपूतां कैयो" आ तो होय नीं सकै कै म्हे भोजन करां अर म्हांरै घरै चारण भूखो रैवै!धूड़ है म्हांरै ऐड़ै भोजन में।"
लूणैजी कैयो "थांरै घरै शुभ काम है अर म्हारा भोजन करतां ई प्राण नीं रैवै सो थांरै घरै विघन नीं करूं।"सांखलां कैयो कै "आप म्हांरै माथै रा मोड़।आप भूखा रैवो अर म्हे जीमां!तो म्हांनै लख लांणत है।!हिंदू मरै जठै ई हद है!जे ऐड़ी होयगी तो आपरी जथा जुगत करांला!!"लूणैजी देखियो सांखला मानै नी जणै उणां कैयो कै "थे ओ वचन देवो कै अठै म्हारा प्राणांत हो जावै तो म्हनै अठै दाग नीं देयर म्हारै गांम ले जाय ऊदावतां री तिबारी रै दरवाजै माथै दाग देवोला!"
सांखलां कैयो "वचन है !!जै आपरो शरीर नीं रैवैला तो म्हे दाग ऊदावतां री तिबारी रै दरवाजै देवांला।"
लूणैजी ज्यूं ई भोजन कियो।ज्यूं ई इक्कीस घाव फाटग्या।जिगन में विघन पड़ियो पण उण बगत रा मिनख बाप अर बोल नै एक मानता।उणां लूणैजी री अरथी बणाय खांधां उखणी अर सींथल़ आया।लूणैजी नै दिए वचनां मुजब ऊदावतां री तिबारी में अरथी नै उतारी।ऊदावतां ई उजर किय़ो पण सांखलां नै मरण मतै देख हियो हेठो कियो।
उणी दिन कई ऊदावत डरता दिन रा गाडां गोल़ नाठग्या।एक ऊदावत आ कैयर नीं गयो कै लूणो जीवतो ई कीं नीं कर सक्यो तो मरियोड़ो कांई करेला!रात रा उणरो मांचो ऊ़चो उठियो।बो डाडियो कै थारी कवली गाय हूं !मार मती।अबार ई सींथल़ छोड दूंला!लूणैजी उणनै नै छोड दियो बो गयो परो।ओ जिकै गांम में बस्यो ,सींथल़ रा वासी उणनै निनामियो गांम कैवै।नाम नीं लेवै।जिकै ऊदावत दिन रा डरता नाठा बै सोवै गांम में बसिया।
म्हारी घणै दिनां.सूं इच्छा ही कै इण महान जूंझार माथै कीं लिख्यो जावै।आज इच्छा पूरी होई अर पूरै कथानक माथै 31दूहालां रो एक वेलियो गीत लिखियो जिको आपरी पारखी निजरां भेंट कर रैयो हूं---
क्रमशः
गिरधर दान रतनू दासोड़ी
कठै पदमणी पूंगळ री ..
शीश बोरलो..नासा मे नथड़ी..सौगड़ सोनो सेर कठै,
कठै पौमचो मरवण रौ..बोहतर कळियां घेर कठै...!!
कठै पदमणी पूंगळ री ..ढोलो जैसलमैर कठै,
कठै चून्दड़ी जयपुर री ..साफौ सांगानेर कठै.. !!
गिणता गिणता रेखा घिसगी.. पीव मिलन की रीस कठै,
ओठिड़ा सू ठगियौड़़ी ..बी पणिहारी की टीस कठै..!!
विरहण रातां तारा गिणती.. सावण आवण कौल कठै,
सपने में भी साजन दीसे ...सास बहू का बोल कठै..!!
छैल भवंरजी.. ढौला मारू ..कुरजा़ मूमल गीत कठै,
रूड़ा राजस्थान बता.. वा थारी रूड़ी रीत कठै..!!
हरी चून्दड़ी तारा जड़िया ..मरूधर धर की छटा कठै,
धौरां धरती रूप सौवणौ.. काळी कळायण घटा कठै.!!
राखी पूनम रेशम धागे.. भाई बहन को हेत कठै,
मौठ बाज़रा सू लदियौड़ा.. आसौजा का खैत कठै..!!
आधी रात तक होती हथाई ..माघ पौष का शीत कठै,
सुख दुःख में सब साथ रैवता.. बा मिनखा की प्रीत कठै..!!
जन्मया पैला होती सगाई ..बा वचना की परतीत कठै,
गाँव गौरवे गाया बैठी ..दूध दही नौनीत कठै..!!
दादा को करजौ पोतो झैले ..बा मिनखा की नीत कठै,
रूड़ा राजस्थान बता ..वा थारी रूड़ी रीत कठै..!!
काळ पड़िया कौठार खोलता ..बे दानी साहूकार कठै,
सड़का ऊपर लाडू गुड़ता ..गैण्डा की बै हुणकार कठै..!!
पतियां सागै सुरग जावती ..बै सतवन्ती नार कठै,
लखी बणजारो.. टांडौ ढाळै ..बाळद को वैपार कठै..!!
धरा धरम पर आँच आवतां ..मर मिटण री हौड़ कठै,
फैरा सू अधबिच उठिया..बे पाबू राठौड़ कठै..!!
गळियां में गिरधर ने गावै ..बीं मीरा का गीत कठै ,
रूड़ा राजस्थान बता ..वा थारी रूड़ी रीत कठै..!!
बितौड़ा वैभव याद दिरावै.. रणथम्बौर चितौड़ जठै ,
राणा कुम्भा रौ विजय स्तम्भ.. बलि राणा को मौड़ जठै..!!
हल्दीघाटी में घूमर घालै.. चैतक चढ्यौ राण जठै ,
छत्र छँवर छन्गीर झपटियौ.. बौ झालौ मकवाण कठै..!!
राणी पदमणी के सागै ही ..कर सोला सिणगार जठै,
सजधज सतीया सुरग जावती.. मन्त्रा मरण त्यौहार कठै..!!
जयमल पत्ता ..गौरा बादल.. रै खड़का री तान कठै,
बिन माथा धड़ लड़ता रैती.. बा रजपूती शान कठै..!!
तैज केसरिया पिया कसमा ..साका सुरगा प्रीत कठै,
रूड़ा राजस्थान बता ..वा थारी रूड़ी रीत कठै..!!
निरमोही चित्तौड़ बतावै ..तीनों सागा साज कठै,
बौहतर बन्द किवाँड़ बतावै...ढाई साका आज कठै..!!
चित्तौड़ दुर्ग को पेलौ पैहरी ..रावत बागौ बता कठै ,
राजकँवर को बानौ पैरया ..पन्नाधाय को गीगो कठै..!!
बरछी भाला ढाल कटारी.. तोप तमाशा छैल कठै,
ऊंटा लै गढ़ में बड़ता ..चण्डा शक्ता का खैल कठै.!!
जैता गौपा सुजा चूण्डा .?चन्द्रसेन सा वीर कठै,
हड़बू पाबू रामदेव सा ..कळजुग में बै पीर कठै..!!
मेवाड़ में चारभुजा सांवरो सेठ ..श्रीनाथ सो वैभव कठे ,
कठै गयौ बौ दुरगौ बाबौ.. श्याम धरम सू प्रीत कठै..!!
हाथी रौ माथौ छाती झालै.. बै शक्तावत आज कठै,
दौ दौ मौतों मरबा वाळौ.. बल्लू चम्पावत आज कठै..!!
खिलजी ने सबक सिखावण वाळौ ..सोनगिरौ विरमदैव कठै,
हाथी का झटका करवा वाळौ ..कल्लो राई मलौत कठै..!!
अमर कठै ..हमीर कठै ..पृथ्वीराज चौहान कठै,
समदर खाण्डौ धोवण वाळौ.. बौ मर्दानौ मान कठै..!!
मौड़ बन्धियोड़ौ सुरजन जूंझै ..जग जूंझण जूंझार कठै ,
ऊदिया राणा सू हौड़ करणियौ .?बौ टौडर दातार कठै..!!
जयपुर शहर बसावण वाळा.. जयसिंह जी सी रणनीत कठै,
अकबर ने ललकारण वाला ..अमर सीग राठौड कठे,
रूड़ा राजस्थान बता ..वा थारी रूड़ी रीत कठै.. !!
रूडा़ राजस्थान बता ..वा थारी रूड़ी रीत कठै..!!