कश्मीर में *कुपवाडा सेक्टर स्थित माछल में जोधपुर के *शेरगढ़ परगने के खिरजा गांव के*_*श्री प्रभु सिंह राठौड़* दुश्मनों से लोहा लेते हुए शहीद हो गए ..
पूरे विश्व में उनके शहादत की चर्चा हुई | दुश्मनों ने उनके साथ जो अमानवीय बर्बरता की उसको तो कल्पना मात्र से ही मन आक्रोश और क्षोभ से भर उठता है |आज हर एक देशभक्त और मानवतावादी उद्वेलित है.!
कल्पना कीजिये कि बेटे के जन्मदिन के दिन ही उसके माता जी या पिता जी को , उसके पत्नी को उसके शहादत की खबर मिले तो क्या गुजरती होगी उस परिवार पर जिसमें मासूम बच्चे हैं ....बहने हैं....
शहीद प्रभु सिंह ने अपनी शहादत और बलिदान से क्षत्रिय परंपरा का वह गौरवशाली इतिहास दोहराया है जिसके लिए युगों-युगों से इस समाज को जाना जाता रहा है....
उनकी शहादत को वंदन करते हुए एक सादर काव्यांजलि पेश है ..
परभू पच्चीसी
मरसिया शहीद परभू सिंघ राठौड़ रा
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जबर झूंझियो जंग में , गरज घोर घमासांण !
खतरवट री खेवना , परभू थारे पांण !! (१)
द्वारे आया देवगण. वैकुण्ठ लैण विमांण !
सुरगापुर में सरवरा , , परभू थारे पांण !! (२)
कथै कविजन कीरती ,गाय अपछरां गांण !
कीरत हन्दा कामड़ा , , परभू थारे पांण !! (३)
कुपवाडो कसमीर में ,माछल धरा महांण !
गावे जस रा गीतड़ा ,
परभू थारे पांण !! (४)
शोणित बिंदव सींचिया . निरभै घुरै निसांण
भांण भळकतौ भारती,
परभू थारे पांण !! (५)
तीरंगो तगड़ो तण़क , अड़ै आज आसमांण !
धवल धरा धिन धिन हुई, परभू थारे पांण !! (६)
कुपवाडा में कौपियो , परतख दे परमांण !
रीत रुखाली रजवटां , परभू थारे पाणं !! (७)
हीमाळै हलचल हुई ,उत्तर दिशां उफांण !
दुसमी पग पाछा दिया , परभू थारे पांण !! (८)
कटियौ पण हटियौ कठे .ठावी राखण ठांण !
दमकै दूणौ देसड़ौ , परभू थारे पांण !! (९)
गनमशीनांह गोळियां , तोपां दागी तांण !
साम्ही छाती सूरमौ , परभू थारे पांण !! (१०)
अरियां सूं अड़ियो अवल , कुल री राखण कांण !
अखियातां रहसी अमर , परभू थारे पांण !! (११)
सैल घमीड़ा सह गयो , बरछी भाला बांण !
सामधरम अर सूरता , परभू थारे पांण !! (१२)
रणचंडी रग रग रमी , सगती दे सैनांण !
अमरापुर रो आसरो , परभू थारे पांण !! (१३)
सीस समपियो सूरमै , दी न धरा दुसमांण !
जस रा आखर जीवता , परभू थारे पांण !! (१४)
छेवट तूं छोड़ी नहीं , हेम धरा हिंदुआंण !
रणखेती राती रही , परभू थारे पांण !! (१५)
कर अँजस अरपण किया , परभू प्यारा प्राण !
महिमा भारी मुलक में , परभू थारे पांण !! (१६)
माथो दे मनवारियौ , माछल रो मैदांण !
भूलै कदै न भारती , परभू थारे पांण !! (१७)
नर नाहर निपजै निडर , खिरजा वाली खांण !
शेर सवायौ शेरगढ़ , परभू थारे पांण !! (१८)
शेर परगनौ शेरगढ़ , मरुधर धरा महांण !
जस व्हियौ चावो जगत , परभू थारे पांण !! (१९)
रगत रीत कायम रखी , पाछम धरा पिछांण !
चहुंओर चावी करी , परभू थारे पांण !! (२०)
रंग घणा है राठवड़ , माछल का महिरांण !
केसरियो कसमीर में , परभू थारे पांण !! (२१)
नयण नीर मावै नहीं , बहुविध करूं बखांण !
भाग्या दुसमी भौम सूं , परभू थारे पांण !! (२२)
कायर री करतूत ने , देख रही दुनियांण !
मरजादा री मानता , परभू थारे पांण !! (२३)
ऊजळ दूध उजाळियो , आप हूय अगवांण !
गरवीजै बाँधव घणा , परभू थारे पांण !! (२४),
मैमा मूँडै मोकळी , घर घर में गुणगांण !
सँचरै निरभै देश सब , परभू थारे पांण !! (२५)
©© *रतनसिंह चाँपावत रणसीगाँव कृत* ©©